आज के इस वैज्ञानिक और इंटरनेट के दौर में भी कैंसर को लेकर कई भ्रांतियां प्रचलित हैं। कई मिथ लोगों के जेहन में इतने गहरे समा गए हैं कि वे उन्हें हकीकत मान बैठे हैं। लेकिन, इनमें कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता। और ऐसे में उनके बारे में सही जानकारी ही रोग से आपका बचाव कर सकती है।
कैंसर को लेकर दुनिया जहां की जानकारी मौजूद है। आप इंटरनेट अथवा किसी अन्य माध्यम पर जाकर उनका लाभ उठा सकते हैं। हालांकि, इनमें से कुछ आपको गलत दिशा में भी लेकर जा सकती हैं। हो सकता है कि कुछ जानकारियां आधी-अधूरी हों और आपको उनसे लाभ होने के स्थान पर नुकसान हो जाए। इसके साथ ही इंटरनेट या किसी अन्य स्रोत से मिली जानकारी को एक बार अपने डॉक्टर से साथ जरूर साझा करें और साथ ही जानने का प्रयास करें कि वह जानकारी कितनी सही और उपयोगी है।
आइए जानते हैं कैंसर के ऐसे ही दस मिथ और उनसे जुड़ी वास्तविकता।
कैंसर संक्रामक रोग नहीं है
कैंसर एक संक्रामक रोग है यानी यह एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को लग सकता है। हालांकि, कुछ कैंसर वायरस के कारण होते हैं। ह्यूमन पपिलोमावायरस एक यौन संचारित रोग है, जो सरवाइकल, गुदा और सिर और गर्दन के कुछ प्रकार के कैंसर का कारण बन सकता है। इसके अलावा हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी वायरस, जो संक्रमित सुइयों और असुरक्षित यौन संबंधों द्वारा फैलता है, भी लिवर कैंसर होने का खतरा बढ़ा देते हैं।
परिवार को कैंसर हो, तो आपको फिक्र करने की जरूरत नहीं
सिर्फ पांच से दस फीसदी कैंसर ही वंशानुगत होते हैं। अधिकतर कैंसर का कारण व्यक्ति के जीवन में आने वाले अनुवांशिक बदलावों के कारण होते हैं। ये बदलाव इनसानी आदतों, जैसे तम्बाकू का सेवन, अल्ट्रा वॉयलेट किरणों के बहुत अधिक संपर्क में रहने और कुछ खास प्रकार के रसायनों के संपर्क में रहने से होते हैं। हालांकि यह भी देखा गया है कि केवल एक अकेले उत्परिवर्तन से इस प्रकार के बदलाव आने की गुंजाइश काफी कम होती है। इसी कारण अधिक उम्र के लोगों में कैंसर अधिक देखा जाता है। उनके संपूर्ण जीवनकाल में कई प्रकार के बदलाव आ चुके होते हैं।
कैंसर का पारिवारिक इतिहास होने पर आपको कैंसर जरूर होगा
हालांकि, पारिवारिक इतिहास होने पर कैंसर का खतरा बढ़ जरूर जाता है, लेकिन भविष्य में आपका स्वास्थ्य कैसा रहेगा यह उसका एकमात्र आधार नहीं है। दरअसल, एक अनुमान के अनुसार दस में से चार कैंसर के खतरे जीवनशैली में साधारण बदलाव लाकर टाले जा सकते हैं। केवल संतुलित आहार अपनाकर, स्वस्थ वजन कायम रखकर, व्यायाम, धूम्रपान और तंबाकू छोड़कर और अल्कोहल का सेवन कम कर आप कैंसर के खतरे को काफी कम कर सकते हैं। इसके साथ ही डॉक्टर ऐसे लोगों, जिनका कैंसर का पारिवारिक इतिहास रहा है, को विशेष दवा अथवा सर्जरी की सलाह दे सकता है। इससे उन्हें कैंसर होने का खतरा कम हो जाता है।
हेयर डाई से कैंसर का खतरा
अभी तक तो इस बात का कोई वैज्ञानिक आधार सामने नहीं आया है कि इस प्रकार के उत्पादों का इस्तेमाल कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है। हालांकि कुछ शोधों में यह बात निकलकर सामने आयी है 1980 के दशक में हेयरडाई बनाने में ऐसे उत्पादों का इस्तेमाल किया जाता था, जो कैंसर के खतरे को बढ़ा देते थे, लेकिन बाद में उन्हें डाई से निकाल लिया गया।
कैंसर के खतरे से अनजान बने रहना है आसान
नहीं, कैंसर के किसी भी लक्षण अथवा खतरे को अनदेखा न करें। फिर चाहे वो स्तन में गांठ हो अथवा असामान्य दिखने वाला तिल अथवा मस्सा। हालांकि, कैंसर होने का विचार ही भयावह होता है, अपने डॉक्टर से बात करना और सही समय पर निदान शुरू कर देना, आपको इस बीमारी से लड़ने की क्षमता और संभावित सुरक्षा मुहैया कराते हैं। कैंसर की शुरुआती अवस्था में इलाज करना अधिक आसान होता है, इसलिए जल्दी इलाज शुरू कर देने पर इसके ठीक होने की संभावना भी अधिक होती है।
सकारात्मक विचारों से ठीक हो जाता है कैंसर
हालांकि कैंसर के इलाज के दौरान सकारात्मक विचार अपनाये रखना आपके रोजमर्रा के जीवन स्तर को सुधारता है, लेकिन इस बात का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है कि इससे आपको कैंसर से लड़ने में मदद मिलती है। अगर कारण आपके नियंत्रण से बाहर हों तथा उनमें कोई व्यापक सुधार न हो रहा हो तो, इस प्रकार के बर्ताव पर अधिक निर्भरता गैरजरूरी अपराध बोध और निराशा का कारण बन सकता है।
चीनी से बढ़ता है कैंसर
कैंसर से पीडि़त कई लोग चीनी का सेवन बंद कर देते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे कैंसर के फैलने की गति थम जाएगी। हालांकि, अभी तक इस बात का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं मिला है कि चीनी का अधिक सेवन करने से कैंसर तेजी से फैलता है। ऐसे ही जैसे चीनी का अधिक सेवन करने से कैंसर कोशिकायें अधिक तेजी से नहीं फैलतीं, वैसे ही अगर आप चीनी का सेवन बिलकुल ही बंद कर दें, तो इन कोशिकाओं के फैलने की गति भी नहीं थम जाती। और हां, इसका अर्थ यह कतई नहीं कि आप अधिक शर्करा युक्त आहार का सेवन करें। चीनी के जरिये अधिक कैलोरी का सेवन करने से आपका वजन बढ़ सकता है और आपको डायबिटीज हो सकती है। ये दोनों ही कारण कैंसर के साथ-साथ अन्य बीमारियों के भी कारण हो सकते हैं।
कैंसर का निदान, ले लेता है जान
कैंसर का अर्थ कतई सजा-ए-मौत नहीं है। कैंसर के लक्षणों को अगर शुरुआत अवस्था में पहचान लिया जाए तो इलाज के जरिये अधिकतर कैंसर पर विजय प्राप्त की जा सकती है। वास्तविकता यह है कि शुरुआती निदान के बाद अधिकतर लोग लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जीते हैं।
कैंसर हमेशा दर्दनाक होता है
दर्द हालांकि कैंसर और उसके इलाज का सबसे सामान्य लक्षण होता है। और कैंसर में होने वाले 95 फीसदी दर्द को दवाओं और दर्द प्रबंधन के अन्य तरीकों के जरिये ठीक भी किय जा सकता है। हालांकि, दर्द प्रबंधन का लाभ उठाने के लिए आपको अपने लक्षणों और संकेतों के बारे में डॉक्टर से खुलकर बात करनी चाहिए।
एक उम्र के बाद नहीं हो सकता कैंसर का इलाज
ऐसा नहीं है। कैंसर के इलाज की कोई आयु सीमा नहीं है। कैंसर के मरीजों का इलाज कैसे होगा यह उनकी उम्र पर नहीं, बल्कि उनकी परिस्थिति पर निर्भर करता है। कई उम्रदराज लोग भी कैंसर के इलाज पर नौजवानों जैसी ही प्रतिक्रिया करते हैं। हालांकि, कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्यायें कुछ बुजुर्गों की शारीरिक क्षमताओं को सीमित कर सकती हैं, जिस कारण उनके साथ किसी विशेष प्रकार की इलाज पद्धति नहीं अपनायी जा सकती। तो अधिक उम्र के मरीजों को भी इस बात की सलाह दी जाती है कि वे डॉक्टर से बात करें और जानने का प्रयास करें कि आखिर उनकी उम्र के मुताबिक किस प्रकार का इलाज उनके लिए मुफीद रहेगा।
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