गाय का घी बहुत ही गुणी और उपयोगी होता है। इसमें कैंसर से भी लड़ने की क्षमता होती है। माना जाता है कि गाय का घी जितना पुराना होता है वो उतना अधिक गुणी होता है। पुराना घी तीक्ष्ण, खट्टा, तीखा और उष्ण होता है जो सभी तरह के चर्म रोगों को ठीक कर देता है। इस कारण दस वर्ष पुराने घी को कोंच और ग्यारह वर्ष पुराने घी को महाघृत कहते हैं।
चर्म रोग में दाद, खुजली, एक्जिमा आदि सारी बीमारियां आ जाती हैं। ये बीमारियां शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती हैं। ये अनियमित खान-पान, दूषित आहार, शरीर की सफाई न होने एवं पेट में कृमि के पड़ जाने और लम्बे समय तक पेट में रहने के कारण होते हैं। इन सारी बीमारियों का इलाज कई सारी दवाईयां करने के बाद भी नहीं होता है। अगर आपके साथ भी ऐसा होता है तो गाय का घी इस्तेमाल करें। गाय का घी त्वचा से संबंधित सभी तरह की बीमारियों का इलाज करता है।
इन चर्म रोगों का करता है इलाज
- दाद
- खाज (खुजली)
- एक्जिमा
- चर्मदख
- विचर्चिका तथा विपादिका
- पामा और कच्छु
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ऐसे करें घी का इस्तेमाल
एक्जिमा के लिए गाय का घी रामबाण इलाज है और इसका कोई साइडइफेक्ट भी नहीं होता। इसके इलाज के लिए कालीमिर्च, मुरदाशंख और कलईवाला नौसादर 10-10 ग्राम लेकर बारीक पीस लें। अब इस मिश्रण में घी को अच्छी तरह से मिला लें। अब इस लेप को दिन में तीन बाप एक्जिमा पर लगाएं। इससे एक्जिमा कुछ दिनों में ही जड़ से खत्म हो जायेगा।
इसके अलावा दाद और खुजली के लिए घी और ठंडे पानी का इस्तेमाल करें। इसके लिए गाय के घी को ठन्डे जल में अच्छी तरह से फेंट ले और फिर घी को पानी से अलग कर लें। यह प्रक्रिया लगभग बीस बार करें। ठंडे पानी से अलग किए हुए घी में थोड़ा सा कपूर डालकर मिला दें। इस विधि के जरिए प्राप्त घी को दाद - खुजली आदि चर्म रोगों में लगाएं। कुछ ही दिनों में सभी तरह के चर्म रोग ठीक हो जाएंगे।
नोट- इस विधि द्वारा प्राप्त घी सौराइशिस के लिए भी कारगर है।
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