सामान्यतः शिशु को 6 माह के बाद ही सोलिड यानी ठोस आहार देना चाहिए। इसके साथ ही कुछ बातों का ख्याल भी रखना आवश्यक है मसलन शिशु को खिलाते वक्त उसकी शारीरिक स्थिति कैसी हो। ध्यान रखें कि खाते वक्त शिशु का पोस्चर बहुत मायने रखता है। सुलाकर कतई न खिलाएं। ऐसे में उसके गले में खाने का ग्रास फंस सकता है। उसे परेशानी हो सकती है। जब भी उसके मुंह में खाने का निवाला दें तो उसके सिर को पीछे की ओर झुकाएं ताकि उसे निगलते हुए परेशानी न हो।
ठोस आहार के साथ मां का दूध
मांओं के लिए यह भी एक सवाल होता है कि जब शिशु को ठोस आहार दिया जाए तो क्या उसे मां का दूध पिलाना सुरक्षित है? जी, बिल्कुल सुरक्षित है। जरूरी नहीं है कि शिशु को ठोस आहार देना शुरु कर दिया है तो उसे अपना दूध न पिलाएं। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि कब अपना दूध और कब ठोस आहार देना आवश्यक है। इस सम्बंध में विशेषज्ञों की सलाह लें।
कब कब दें ठोस आहार
6 माह के शिशु को उठते ही ठोस आहार न दें। उनके लिए चाहिए कि उनके खानपान की शुरुआत मांएं अपने दूध से करें। लेकिन यही नियम 9 माह के शिशु के लिए लागू नहीं होता। उन्हें सुबह उठते ही दलिया, खिचड़ी आदि कोई भी ठोस आहार दे सकते हैं। इससे उन्हें आवश्यक पौष्टिक तत्व मिलते हैं जो उन्हें बढ़ने में मदद करता है। 9 माह के शिशु को दो से ढाई घंटे के बीच बीच में कुछ ठोस आहार देते रहें। जबकि 6 माह के शिशु को चूंकि मां का दूध भी चाहिए होता है तो उन्हें दोपहर, रात और सुबह ठोस आहार दिया जा सकता है।
खिलाते वक्त ध्यान रखें
शिशु को खिलाते वक्त ध्यान रखें कि न सिर्फ आपके हाथ धुले हुए हों बल्कि शिशु के भी हाथ धुले हों। दरअसल मुंह में ठोस पदार्थ जाते ही शिशु उन्हें अपने हाथ से छूकर देखता है, उन्हें मुंह से निकालता है। यहां तक कि नीचे गिरे दाने भी वह उठा उठाकर खाने की कोशिश करता है। ऐसे में उसके हाथ धुले होना आवश्यक है। इसके अलावा यह भी ध्यान रखें कि शिशु के खाने के दौरान टीवी, म्यूजिक आदि चीजें चल न रही हों। इससे शिशु का फोकस भटक सकता है। एक बात और जान लें कि शिशु खाते वक्त अकसर मुंह घुमाता है, न खाने की चाह प्रकट करता है। इससे आप यह न समझ बैठें कि उसे नहीं खाना। प्रत्येक शिशु इस तरह करते हैं। अतः उन्हें कोशिशन खिलाएं।
शिशु को क्या दें
- दाल : छोटे यानी 6 माह के शिशु के लिए दाल उपयुक्त आहार है। वास्तव में दाल में आयरन और कुछ अन्य तत्व होते हैं जो कि 6 माह के शिशु को जरूरी आवश्यक तत्व के लिए पर्याप्त है। ध्यान रखें कि छूटते ही उसे थक्के वाली दाल न खिलाएं। कुछ समय पतली दाल खिलाएं ताकि उसे निगलने की प्रैक्टिस हो जाए। इसके बाद थक्के वाली दाल खिलायी जा सकती है।
- दलिया/खिचड़ी : 9 माह के शिशु को सिर्फ दाल न दें। उन्हें अब विकास के लिए कुछ अन्य तत्व की भी जरूरत है। अतः खिचड़ी या दलिया दें। लेकिन जरूरी यह है कि दलिया या खिचड़ी में तमाम किस्म की सब्ज्यिां दें। विशेषज्ञों के मुताबिक दलिया जितने रंगों से भरी होगी अर्थात जितनी ज्यादा उसमें सब्जियां होंगी, वह उतनी ही असरकारक और स्वास्थ्यकर होगी। अतः दलिया या खिचड़ी में विभिन्न किस्म की सब्जियां अवश्य डालें। इसके अलावा उन्हें फल भी जरूर दें। फल उन्हें भीतरी रूप से ठोस बनाता है।
- सब्जियां : दलिया के अलावा आप चाहें तो उन्हें मैश की हुई सब्जियां भी दे सकते हैं। सब्जियों को उबाल लें। इसके बाद उसमें मक्खन और हल्का सा नमक बुरककर शिशु को खिलाएं। शिशु को चावल भी खिलाए जा सकते हैं। चावल के साथ दाल या सब्जी बेहतरीन विकल्प है।
क्या नहीं देना चाहिए
जितना जरूरी यह जानना है कि शिशु को क्या दिया जाना चाहिए, उतना ही जरूरी यह जानना भी है कि शिशु को क्या नहीं दिया जाना चाहिए। शिशु को शहद, नींबू, संतरा, नट्स, पीनट बटर, किशमिश, बेर, सूखे बेर आदि न दें। इसके अलावा उनके हाथ में कोई भी बीज वाले फल न दें क्योंकि इससे उनके गले में बीज के अटकने का खतरा बना रहता है। यही नहीं उन्हें बहुत सूखी चीजें भी न खिलाएं जो उनके गले में फंस सकता है। अगर देते भी हैं तो साथ साथ पानी अवश्य पिलाएं।
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