रिकवरी न्‍यूट्रीशन के बारे में जानें कुछ जरूरी बातें

किसी बीमारी से रिकवर हो रहे हैं तो उसके लिए पूरी प्लानिंग करके रिकवरी न्यूट्रीशन डाइट लें। रिकवरी न्यूट्रीशन डाइट में नमक युक्त आहार को शामिल ना करें।
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रिकवरी न्‍यूट्रीशन के बारे में जानें कुछ जरूरी बातें


कुछ माह पहले आराध्य का बाइक से गिरकर एक्सीडेंट हो गया जिससे उसके सिर पर गहरी चोट लग गई थी। इससे उसकी कामकाजी जीवनशैली तो ठप्प हुई थी साथ ही सामान्य जीवशैली भी इससे अछूती नहीं रही। यही नहीं उसे अपने खानपान में भी आमूलचूल परिवर्तन करने पड़े। असल में डाक्टरों के मुताबिक चोट लगने पर या फिर एक्सीडेंट होने पर अपने खानपान को नियंत्रण में रखना आवश्यक है। साथ ही यह जानना भी जरूरी है कि स्वास्थ्यलाभ हेतु कब और कैसे पौष्टिक आहार लें। इस सम्बंध में जानने के लिए आगे पढ़ें।

 

क्यों जरूरी है पौष्टिक आहार

यूं तो स्वस्थवर्धक जिंदगी के लिए भी पौष्टिक आहार महत्वपूर्ण है। लेकिन यदि किसी तरह की चोट लगी है या बीमार हैं तो ऐसी स्थिति में पौष्टिक आहार की महत्ता और भी बढ़ जाती है। खासकर यदि चोट ब्रेन में लगी हो तो पौष्टिक आहार के जरिए स्वास्थ्यलाभ आसानी से किया जा सकता है। दरअसल रिकवरी करते समय हमारे शरीर को जरूरत से ज्यादा कैलोरी चाहिए होती है ताकि वह बेहतर ढंग से काम कर सके। यह भी ध्यान रखें कि जिस हिस्से में चोट है या फिर जिस किस्म की बीमारी है, उसके अनुसार ही पौष्टिक आहार को अपनी जीवनशैली में सम्मीलित करें।

 

प्रत्येक तीन घंटे में खाएं

रिकवरी के लिए पौष्टिक आहार खाने के साथ साथ यह जानना भी जरूरी है कि कितनी कितनी देर में खाना खाना चाहिए। असल में बीमार या चोटिल शरीर को तीन-तीन घंटे के गैप में पौष्टिक आहार की आवश्यकता होती है। विशेषज्ञों की मानें तो समय अंतराल जानना रिकवरी के लिए जरूरी होता है। अकसर लोगों को लगता है कि तीन की बजाय कभी चार तो कभी पांच घंटे के गैप में खा लें तो इसका कोई नुकसान नहीं है। जबकि शरीर समय अंतराल के अनुसार ही काम करने में सहजता महसूस करता है।

 

बैग में हेल्दी फूड रखें

यूं तो आपकी डायट में पौष्टिक आहार की संख्या ज्यादा है ही। लेकिन साथ ही अपने बैग में हमेशा हेल्दी स्नैक्स, फल और कच्ची सब्जियां रखें ताकि हल्की भी भूख लगे तो सहजता खाने के लिए कुछ उपलब्ध हो। ध्यान रखें कि ऐसे आहार रखें जिनसे इंस्टैंट ऊर्जा मिलती हो। इसमें आप उबले अण्डे, सेब, चीज़, बादाम आदि शामिल कर सकते हैं। ये तमाम आहार आप कभी भी, कहीं भी ले सकते हैं। इससे आपको पेट भरे का एहसास तो होता ही है साथ ही शरीर को आवश्यक पौष्टिक तत्व भी मिल जाता है।

 

आहार कम मात्रा में लें

जैसा कि पहले ही जिक्र किया गया है कि आप कुछ कुछ समय अंतराल में खाएं। ऐसे में यह जरूरी है कि आहार कम कम मात्रा में खाएं। आपके खानपान में वसा, प्रोटीन, तेल, कार्बोहाइड्रेट। इन सबका मिश्रण होना चाहिए। इसमें आप मछली, मीट, अण्डा आदि शामिल कर सकते हैं। इनसे आपको जरूरी तत्व तो मिलते ही हैं साथ ही रिकवरी में भी मदद मिलती है। इसके अलावा ताजा फल, सब्जियां भी रिकवरी के लिए बेहतरीन विकल्प हैं। विशेषज्ञों की मानें तो यदि आपको ब्लड शुगर की समस्या है तो कार्बोहाइड्रेट कम मात्रा में लें। इसके अलावा मीठी चीजें कम मात्रा में लें। ...और हां, यदि आपको मीठा खाने से सिर दर्द जैसी समस्या होती है तो चाकलेट आदि से दूरी बरतें।

 

ओवरईट न करें

कई बार हम अपनी चाहतों पर नियंत्रण नहीं रख पाते। खासकर जब बात खानपान की हो तो अकसर यही सोचते हैं कि जो होगा, देखा जाएगा। जबकि यह सरसासर गलत सोच है। यदि आप मनचाहा और बेतरतीब खाने को तरजीह देंगे तो आपकी रिकवरी तो धीमी होगी ही साथ ही आपके शरीर को नुकसान भी होगा। ओवरईट करने से आपको नींद की समस्या हो सकती है। अतः कम खाएं और ओवरईट जैसी परेशानी से बचें।

 

किस प्रकार के आहार से बचें

आपने रिकवरी के लिए पौष्टिक आहार शामिल करना जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है कुछ चीजों की कटौती। बीमारी हो या चोट लगी हो, दोनों ही स्थिति में शराब से दूर रहना आवश्यक है। याद रखें कि शराब आपके शरीर को धीरे धीरे लील जाता है। फिर चाहे आप बेहतरीन गुणवत्ता वाली शराब ही क्यों न पी रहे हों। अतः रिकवरी के लिए शराब से दूर रहें। इसके अलावा कैफीन, ज्यादा नमक युक्त आहार को भी से दूर रखें। यही नहीं ज्यादा मीठी चीजों को खानपान में शामिल न करें।

 

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