चीनी को यूं ही मीठा जहर नहीं कहा जाता। पोषक तत्वों के लिहाज से इसमें कोई खास गुण नहीं होता। लेकिन, इसका अधिक सेवन हमारे दिल, दिमाग और संपूर्ण सेहत पर भारी दुष्प्रभाव डालता है। ज्यादा चीनी हमारे मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करती है और साथ ही हमें कई प्रकार की बीमारियां भी देती है। चलिये हम आपको बताते हैं कि चीनी के आपकी सेहत पर पड़ने वाले दस बड़े दुष्प्रभावों के बारे में।
दांतों को पहुंचाये नुकसान
आपने कई बार सुना होगा, लेकिन हम इसे एक बार और दोहरा देते हैं। अधिक चीनी, चाहे वो सिरप में हो या फिर किसी अन्य पदार्थ में, इसमें किसी भी प्रकार के पोषक तत्व नहीं होते। हालांकि, इसमें कैलोरी की मात्रा काफी अधिक होती है। इसमें न तो किसी भी प्रकार का प्रोटीन होता है और न ही जरूरी फैट्स, विटामिन अथवा मिनरल की कोई मात्रा होती है। इसमें कुछ होता है तो सिर्फ और सिर्फ कैलोरी। जब आप अपनी रोजमर्रा की कैलोरी की जरूरत का 10-20 से अधिक चीनी से लेते हैं, तब असली समस्या शुरू होती है। इससे आपको अन्य पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। चीनी दांतों के लिए भी काफी नुकसानदेह होती है क्योंकि दांतों के बैक्टीरिया को ताकत देती है।
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लिवर को नुकसान
चीनी आपकी सेहत के लिए क्यों नुकसानदेह होती है यह समझने के लिए यह जानना जरूरी होता है कि आखिर यह किस चीज की बनी होती है। पाचन क्रिया और रक्त का हिस्सा बनने से पहले चीनी मुख्य रूप से दो हिस्सों में बंट जाती है। एक हिस्से को ग्लूकोज और दूसरे को फ्रूटोज कहा जाता है। ग्लूकोज धरती पर मौजूद हर जीव में पाया जाता है। यदि हम आहार द्वारा इसका सेवन नहीं करते, तो हमारा शरीर इसका निर्माण करने लगता है।
जैविक रूप से फ्रूटोन की जरूरत नहीं
फ्रूटोज एक अलग चीज है। हमारा शरीर इसका अधिक निर्माण नहीं करता। और न ही जैविक रूप से हमें इसकी जरूरत ही होती है। इसके साथ ही हमारा लिवर भी फ्रूटोज की एक सीमित मात्रा ही पचा सकता है। तो यदि हम फल अथवा किसी अन्य चीज से थोड़ी मात्रा में फ्रूटोज का उपभोग करें, तो घबराने वाली कोई बात नहीं होती। इसके साथ ही यदि हम अभी-अभी व्यायाम करके हटे हैं, तो भी हम फ्रूटोज के कुछ भाग का उपभोग कर सकते हैं।
लिवर में हो जाता है जमा
इन परिस्थितियों में फ्रूटोज ग्लाकोजन में परिवर्तित होकर लिवर में तब तक संरक्षित रहेगा, जब तक हमारे शरीर को इसकी जरूरत नहीं पड़ती। तो, यदि हम इसका अधिक सेवन करेंगे, तो लिवर पर अधिक जोर पड़ेगा। इसके साथ ही फ्रूटोज वसा के रूप में परिवर्तित हो जाएगा। लगातार इस प्रकार के आहार का सेवन लिवर में वसा की अधिकता का कारण बनता है। जिससे आपको कई स्वास्थ्य समस्यायें हो सकती हैं।
याद रखिये यह नियम फलों पर लागू नहीं होता। क्योंकि फलों के जरिये फ्रूटोज का ओवरडोज होना लगभग असंभव है। यदि आप अधिक व्यायाम करते हैं और स्वस्थ जीवनशैली अपनाते हैं, तो आप सामान्य लोगों की अपेक्षा थोड़ी अधिक मात्रा में शुगर का उपभोग कर सकते हैं।
डायबिटीज का खतरा
इनसुलिन हमारे शरीर का बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। यह ग्लूकोज यानी रक्त शर्करा को रक्त में जाने देता है। और साथ ही कोशिकाओं को ग्लूकोज का उपयोग करने का निर्देश देता है। रक्त में ग्लूकोज की अधिकता विष के समान कार्य करती है। और यह न केवल डायबिटीज बल्कि उसके दुष्प्रभावों जैसेकि अंधेपन का भी कारण बन सकती है। अधिक शर्करा कहीं न कहीं मेटाबॉलिक निष्क्रियता का भी कारण होती है। लंबे समय तक अधिक चीनी युक्त भोजन का उपयोग करने से इनसुलिन की कार्यक्षमता पर असर पड़ता है और समय के साथ-साथ ये कोशिकायें 'प्रतिरोधक' हो जाती हैं। यह डायबिटीज का शुरुआती चरण कहा जाता है। इसके साथ ही कई बीमारियां एक साथ हमलावर हो सकती हैं। व्यक्ति पर मेटाबॉलिक निष्क्रियता, मोटापा, दिल की बीमारी और खासकर टाइप-2 डायबिटीज हो सकती है।
चीनी से कैंसर का खतरा
दुनिया भर में होने वाली मौतों की बड़ी वजह है कैंसर। और यह कैंसर कोशिकाओं की अनियंत्रित बढ़ोत्तरी के कारण तेजी से फैलता है। इस प्रकार की संख्या बढ़ोत्तरी को रोकने के लिए इनसुलिन महत्वपूर्ण हॉर्मोन है। इसी वजह से कई वैज्ञानिक मानते हैं कि इनसुलिन के स्तर में लगातार होने वाला इजाफा कहीं न कहीं कैंसर की वजह बन सकता है।
इसके साथ ही चीनी के उपभोग से जुड़ीं मेटाबॉलिक समस्यायें, जलन और सूजन का कारण बन सकती हैं। ये भी आगे चलकर कैंसर के रूप में परिलक्षित हो सकती हैं। कई शोध यह बात प्रमाणित कर चुके हैं कि अधिक चीनी खाने वाले लोगों को कैंसर होने का खतरा सामान्य लोगों से अधिक होता है।
दिमाग पर असर
हर कैलोरी समान नहीं होती। अलग प्रकार के आहार का हमारे मस्तिष्क पर अलग तरह से असर पड़ता है। और भोजन के उपभोग और उसके शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव को काफी हद तक हॉर्मोंस नियंत्रित करते हैं। कई शोध दिखाते हैं कि फ्रूटोस का असर ग्लूकोज के मुकाबले अलग होता है।
एक शोध में लोगों को या तो फ्रूटोस से भरा ड्रिंक दिया गया, तो दूसरों को ग्लूकोज युक्त। कुछ समय बाद देखा गया कि फ्रूटोस का उपभोग करने वाले लोगों में भोजन के प्रति कम तृप्ति देखी गई और वे कुछ देर बाद ही भूखा महसूस कर रहे थे। इस शोध में यह बात सामने आई कि फ्रूटोस मस्तिष्क को भूख न लगने के संकेत देता ही नहीं है। इसका अर्थ यह होता है कि आप जरूरत से ज्यादा कैलोरी का उपभोग कर लेते हैं, जो आगे चलकर मोटापे का कारण बनता है। और मोटापा किस हद तक खतरनाक है यह बताने की तो जरूरत नहीं।
कम होता है जीवन
लंबा जीवन जीने के लिए जिन चीजों को जरूरी बताया गया है उनमें ज्यादा से ज्यादा अनाजों के सेवन के अलावा संयमित रहने की दरकार बताई गई है। शोध के मुताबिक रक्तशर्करा का कम स्तर भी आपकी जिंदगी लंबी कर सकता है।
तंत्र पर दबाव
सामान्यत: डायबिटीज या प्रीडायबिटीज के लिए डाक्टर ओरल ग्लूकोज टालरेंस टेस्ट (ओजीटीटी) करते हैं। इस टेस्ट के जरिए शर्करा का तंत्र पर दबाव आंका जाता है। एक शोध के मुताबिक किसी सामान्य मीठे पेय में ग्लूकोज की अल्पमात्रा (75 ग्राम) भी तंत्र पर दबाव डालती है।
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