क्रोनिक थकान से ग्रस्‍त मरीज की इस तरह से करें देखभाल

थकान के बावजूद लगातार काम करते रहने वाले व्यक्तियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बदल जाती है। कोलंबिया यूनिवर्सिटी के शोध में इस बीमारी को क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम (सीएफएस) या मियालजिक एंसेफेलोपेथी (एमई) का नाम दिया गया है। इस बारें में विस्तार से जानने के लिए ये लेख पढ़े।
  • SHARE
  • FOLLOW
क्रोनिक थकान से ग्रस्‍त मरीज की इस तरह से करें देखभाल

आजकल के भागते-दौड़ते जीवन में नई नई बीमारी भी सामने आ रही है, क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम या मियालजिक एंसेफेलोपेथी (एमई) भी एक ऐसी ही बीमारी है। सीएफएस के अधिकांश मामले अचानक शुरू होते हैं,जिसके साथ आमतौर पर फ्लू जैसी बीमारी भी होती है जबकि अधिकांश मामले गंभीर प्रतिकूल तनाव के कई महीनों के भीतर ही शुरू होते हैं। इस बीमारी में हमेशा थकान का अनुभव ही होता है। इस बीमारी से आज न केवल काम के बोझ से दबे तनाव में जीने वाले लोग ही नहीं बल्कि घर में खाली बैठे रहने वाले भी पीड़ित है। हालिया अध्ययन बताते हैं कि प्रत्येक दस में से एक व्यक्ति इस रोग से पीड़ित है। यही नहीं पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं इससे कहीं अधिक पीड़ित हो रही हैं।

  • एमई/सीएफएस एक गंभीर रोग है जिसके कारण मस्तिष्क और जठरांत्रीय, प्रतिरक्षी और हृदय से संबंधित प्रणालियों को प्रभावित करने वाले लक्षण हो सकते हैं। इसमें रोगी पूरे समय सुस्ती का अनुभव होता रहता है। नर्वस सिस्टम में गड़बड़ी व अनिद्रा का शिकार हो जाता है या फिर उसे हर वक्त नींद ही आती रहती हैं।
  • यह एकाएक ही तब शुरू होती है, जब कोई व्यक्ति भावनाओं में बह रहा होता है । सीएफएस के मरीज शरीर के अलग-अलग हिस्सों में दर्द और मांसपेशियां कमजोर होने की शिकायत करते हैं। सांस जैसी परेशानियों का बना रहना, पाचन संबंधी समस्याओं का होना, मुंहासों का निकलना आदि जैसे लक्षण भी सामने आते है।
  • सामान्यत: ज्यादा काम करने के कारण लोग थकान का अनुभव करते है पर अच्छी नींद या आराम भी आपकी थकान दूर ना हो तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए। अध्ययन के अनुसार लोग बगैर इसका कारण जाने वर्षों तक इससे पीड़ित रहते है। चिकित्सकों ने थकान के अनुभव और उसके छह माह तक लगातार जारी रहने को सीएफएस करार दे देते है।
  • मोटापे सरीखे शारीरिक बदलाव को भी थकान का जिम्मेदार माना गया। एनीमिया, थायरायड व हृदय से जुड़ी तमाम बीमारियों में भी व्यक्ति थका-थका महसूस करता है। साथ ही अनिद्रा या खर्राटेदार नींद भी इसकी जिम्मेदार मानी गई। भावनात्मक स्तर पर तनाव और चिंता से भी थकान पनपती है। किसी स्थिति पर नियंत्रण स्थापित न होने या नाकाम होने से जो कुंठा और चिड़चिड़ापन पनपता है वह सीएफएस में ही आता है।
  • थकान का चक्र किन खास महीनों या दिनों में आता है, इसे नोट करें। किसी खस मौसम, ज्यादा सफर आदि जैसी बातें भी नोट करें। शरीर या मन में कोई भी असामान्य लक्षण नजर आए, तो अनदेखी न करें। एक हफ्ते तक रोज छह से आठ घंटे की नींद लेकर देखें। अगर थकान कम हो जाए, तो इसे आदत बना लें।
  • कभी-कभी एकाध हफ्ते के लिए मिनरल्स के साथ मल्टी-विटामिन टैब्लेट्स की डोज लेने में बुराई नहीं है। अगर असर ठीक हो, तो डॉक्टर से खुराक दुरुस्त करने के बारे में राय लें। अगर मांसपेशियों में दर्द लगातार जारी रहे, तो इसकी असली वजह मालूम करना बेहद जरूरी हो जाता है।


अगर थकान और टूटन के लक्षण दो हफ्ते से भी ज्यादा दिनों तक जारी रहें, तो फौरन डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

 

Image Source-getty

Read More Article About Mental Health in Hindi

Read Next

ये आंकड़े बता रहे हैं कि मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य से सभी होते हैं प्रभावित

Disclaimer