तकनीकी तरक्की ने शारीरिक चुनौतियों का सामना कर रहे लोगों के लिए खासी उम्मीद जताई है। दुनियाभर में वैज्ञानिक ऐसी चीजें विकसित करने में जुटे हैं जिनसे कृत्रिम अंगों का उपयोग करने वाले लोगों की जिंदगी बेहतर हो सकेगी।
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पहली इलेक्ट्रॉनिक त्वचा या ई-त्वचा का निर्माण किया है। जो कागज से भी पतली हैं, ई-त्वचा मानव त्वचा की नकल कर बनाई गई है, इसे कृत्रिम रबर और प्लास्टिक से बनाया गया है और यह दबाव और तापमान को पहचानने में सक्षम है। यह तकनीक उन लोगों के लिए खास उपयोगी होगी जिन्होंने युद्व या किसी हादसे में अपने अंग खो दिए हों।
किसी चीज के संपर्क में आते ही ई-मेल त्वचा में लगी एलईडी रोशनी प्रकाशित हो उठेगी, स्पर्श का दबाव बढ़ने के साथ त्वचा में रोशनी की चमक और बढ़ जाएगी, इससे उपयोगकर्ता को किसी चीज को स्पर्श खुद करने के समान एहसास होगा। स्मार्टफोन, कार का डैशबोर्ड और रोबोट को स्पर्श संवेदी बनाने में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
महज दो माइक्रोमीटर मोटे इस सर्किट का निर्माण जापान के टोक्यो विश्वविद्यालय में किया गया है। यह लचीला सर्किट पंख से भी हल्का होगा, जो सिर्फ एक बार छूने से कृत्रिम अंग के इस्तेमाल को और भी आसान बना देगा।
यह सर्किट छूने के बाद दिमाग को निर्देश भेजकर कृत्रिम अंगों के संचालन को बेहतर करेगा। यह हर प्रकार के आंकड़ों का विश्लेषण कर सकता है, जैसे ही शरीर का तापमान, रक्तचाप आदि। यह मांसपेशियों और दिल की सूक्ष्म धड़कनों को भी माप सकता है। इस सर्किट का निर्माण खास तौर पर उन लोगों के लिए किया गया है जो कृत्रिम अंगों का इस्तेमाल करते हैं। इसे किसी भी सतह पर लगाया जा सकता है और इसे पहनने के बाद हिलने-डुलने में भी दिक्कत नहीं होगी। एथलीट इसका प्रयोग झटका रोधी सेंसर के तौर पर कर सकते हैं, यह तनाव कम करने में भी सहायक होगा।
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