कुशिंग सिंड्रोम एक चयापचय विकार है, जो तनाव हार्मोन कार्टिसोल के उच्च स्तरों की वजह से होता है। इसके अलावा एड्रीनल ग्लैंड्स के ट्यूमर और अन्य शरीर के भागों द्वारा भी कार्टिसोल का उच्च उत्पादन होता है। एक शोध के अनुसार इसके पीड़ित बच्चों में अवसाद की समस्या ज्यादा रहती है।
यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) की एक शोध के अनुसार कुशिंग सिंड्रोम पीड़ित बच्चों में चिंता, अवसाद, आत्महत्या और अन्य मानसिक समस्याओं का ज्यादा जोखिम होता है। भले ही बच्चों में इस रोग का पूर्णतया इलाज हो चुका हो, मगर इसके बाद भी बच्चों को भविष्य में इन जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है। कुशिंग सिंड्रोम वयस्कों और बच्चों दोनों को ही प्रभावित करता है।
शोधकर्ता के अनुसार, “हमारा अध्ययन बताता है कि जो चिकित्सक कुशिंग सिंड्रोम पीड़ितों की देखभाल कर रहे हैं। उनके लिए जरूरी है कि वह रोगियों की मौलिक चिकित्सा खत्म होने के बाद रोगी की अवसाद संबंधी मानसिक समस्याओं की जांच करते रहें। रोगी अपने आप नहीं बताते हैं कि वह अवसादग्रस्त हैं, इसलिए रोगियों में इस तरह की परेशानियों का पता लगाने का यह एक अच्छा उपाय हो सकता है।”
इस अध्ययन के लिए शोधार्थियों ने साल 2003 से 2014 तक के कुशिग सिंड्रोम पीड़ित कुल 149 बच्चों और युवाओं के स्वास्थ्य इतिहास की समीक्षा की थी।
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