डायबिटीज को लेकर डब्ल्यूएचओ ने पेश किए नए आंकड़ें

डायबिटीज के फैलते दुष्प्रभाव को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य दिवस पर डब्ल्यूएचओ ने दक्षिण एशिया को चेताया है।
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डायबिटीज को लेकर डब्ल्यूएचओ ने पेश किए नए आंकड़ें


शहरीकरण के दौर में डायबिटीज लोगों को शहरीकरण के साइडइफेक्ट के तौर पर मिली है। डायबिटीज के फैल रहे दुष्प्रभाव को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य दिवस से पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेताते हुए नए आंकड़े पेश किए हैं। डब्ल्यूएचओ ने भारत समेत दक्षिण एशियाई देशों को मधुमेह के फैल रहे दुष्प्रभावों को देखते हुए चेताया है और इसे रोकने के लिए गंभीर उपाय करने की हिदायत दी है।

मधुमेह

डायबिटीज बन गई है महामारी

डब्ल्यूएचओ के अनुसार डायबिटीज एक जानलेवा बीमारी है जो महामारी बनती जा रही है और 2030 तक दुनिया की सबसे बड़ी सातवीं जानलेवा बीमारी बन जाएगी। डब्ल्यूएचओ ने यह भी कहा कि सरकार को बच्चों को दिए जाने वाले भोजन के विपणन पर भी नियमन करना चाहिए ताकि स्टीक फुड लेबलिंग को सुनिश्चित किया जा सके। इससे उपभोक्ताओं को डायबिटीज अनुसार फुड लेने में मदद मिल सकेगी। इससे डायबिटीज को रोकने में मदद मिलेगी।

डब्ल्यूएचओ की दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशन पूनम क्षत्रपाल सिंह ने सात अप्रैल को मनाए जाने वाले विश्व स्वास्थ्य दिवस से पहले कहा, मधुमेह विरले सुर्खियां बनती है और इसके बावजूद अगर सरकारों, समुदायों और लोगों की तरफ से सघन और केंद्रित प्रयास नहीं किए जाते हैं तो यह 2030 तक दुनिया की सबसे बड़ी सातवीं जानलेवा बीमारी बन जाएगी।

 

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