आयुर्वेद से करें स्वाइन फ्लू का इलाज

स्वाइन फ्लू का आयुर्वेद से इलाज संभव है। आयुर्वेद चिकित्सा के प्रभाव से स्वाइन फ्लू का इलाज तो संभव है ही साथ ही इससे प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी मदद मिलती है। आइए जाने आयुर्वेद से स्वाइन फ्लू चिकित्सा कितनी प्रभावी है।
  • SHARE
  • FOLLOW
आयुर्वेद से करें स्वाइन फ्लू का इलाज

जैसे हर बीमारी के लक्षण अलग-अलग होते है ठी‍क वैसे ही हर बीमारी का इलाज भी उनके लक्षणों के आधार पर अलग-अलग होता है। इतना ही नहीं वायरस से फैलने वाली बीमारियों के लक्षण चाहे एक हो लेकिन उनका इलाज हर पैथी में अलग-अलग होता ही होता है।  स्वाइन फ्लू का इलाज हर पैथी से संभव है। स्वाइन फ्लू का आयुर्वेद से इलाज संभव है। आयुर्वेद चिकित्सा के प्रभाव से स्वाइन फ्लू का इलाज तो संभव है ही साथ ही इससे प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी मदद मिलती है। आइए जाने आयुर्वेद से स्वाइन फ्लू चिकित्सा कितनी प्रभावी है।

 swine flu

  • आयुर्वेद चिकित्सा पद्वति आमतौर पर काफी प्रभावी है। इसके जरिए कई इलाज आसानी से संभव है। स्वाइन फ्लू को आयुर्वेद में जहां जनपदोध्वंस नाम से जाना गया है। वहीं आयुर्वेद के विशेषज्ञ स्वाइन फ्लू के लक्षणों को आयुर्वेद की प्राचीन संहिताओं में वर्णित वात श्लेष्मिक ज्वर लक्षणों के निकट मानते हुए उसे स्वाइन फ्लू के बराबर का रोग बताते हैं।
  • घातक स्वाइन फ्लू का उपचार भी वात कफ और ज्वर के तहत आयुष औषधियों से कारगर है।
  • स्वाइन फ्लू के दौरान गर्म पानी से हाथ-पैर धोएं और अधिक से अधिक सफाई रखें।
  • आयुर्वेद चिकित्सा पद्वति में स्वाइन फ्लू में नीलगिरी,इलायची तेल की एक-दो बूंदें रूमाल पर डालकर नाक पर रखनी चाहिए।
  • स्वाइन फ्लू से बचने के लिए अदरक, तुलसी को पीस कर शहद के साथ सुबह खाली पेट चाटना चाहिए।
  • आयुर्वेद चिकित्सा के प्रभाव के लिए कुछ औषधियों का भी प्रयोग करना चाहिए। औषधियों में त्रुभवन कीर्ति रस, लक्ष्मी विलास रस, संजीवनी बूटी, गुड़ ज्यादि के काड़े का सेवन करना चाहिए।
  • आयुष चिकित्सा से स्वाइन फ्लू का इलाज अनुभवी एवं योग्य चिकित्सकों द्वारा लक्षणों के आधार पर किया जा सकता है।
  • स्वाइन फ्लू से बचाव और इलाज के लिए प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करना आवश्यक है। यदि प्रतिरोधक क्षमता अधिक है तो रोगी स्वाइन फ्लू से आसानी से निजात पा सकता है।
  • आयुर्वेद में स्वाइन फ्लू के लक्षणों में शरीर में भारीपन, शिरा शूल, सर्दी जुकाम, खांसी, बुखार और जोड़ों में पीड़ा होना है।
  • तीव्रावस्था में स्वाइन फ्लू जानलेवा भी हो सकता है। इस अवस्था विशेष को आयुर्वेद में 'मकरी' नाम से जाना जाता है।
  • गले में खराबी, नाक और आंखों से पानी बहना, ज्वर तथा खांसी आदि लक्षण वाले मरीजों का उपचार वात, कफ तथा ज्वर में काम आने वाली आयुर्वेदिक औषधियों से किया जाने लगा है।
  • आयुर्वेद चिकित्सा पद्वति में स्वाइन फ्लू के लिए शरीर की प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने वाली औषधियां - गुड़ची, काली तुलसी, सुगंधा आदि का प्रयोग करना चाहिए।
  • स्वाइन फ्लू विशिष्ट उपचार के लिए पंचकोल कषाय, निम्बादि चूर्ण, संजीवनी वटी, त्रिभुवन कीर्ति रस, गोदंति भस्म और गोजिहृदत्वात् औषधियां प्रयोग की जाती हैं, लेकिन इनका प्रयोग रोगी की अवस्था के अनुसार आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में ही किया जाना चाहिए।
  • कहीं-कहीं कपूर को भी स्वाइन फ्लू के रोधी के रूप में माना गया हैं।
  • स्वाइन फ्लू शंकित रोगी को सुबह शाम तुलसी, अदरक, कालीमिर्च, गिलोय के सम्मिश्रण और मधु से बना काढा देना चाहिए।
  • रोगियों को दही, शीतलपेय, फ्रिज में रखा बासी भोजन, आईसक्रीम जैसे कफ उत्पन्न करने वाले खाद्य पदार्थों से परहेज करने की सलाह दी जाती है।

 

Read More Articles on Ayurveda Treatment in Hindi

Read Next

फोड़ों की आयुर्वेदिक चिकित्सा

Disclaimer