फोड़ा शरीर के किसी भी निर्धारित स्थान पर, जीवाणु या किसी ज़ख्म की वजह से संक्रमण की प्रक्रिया के कारण त्वचा के टिश्यु द्वारा सूजन से घिरे हुए छिद्र में पस का जमाव होता है। यह त्वचा के टिश्यु द्वारा एक तरह का आत्मरक्षा करने का तरीका होता है ताकि संक्रमण शरीर के दूसरे भागों में न फैल जाये।फोड़े का फाइनल ढाँचा होता है फोड़े का आवरण या कैप्स्यूल जिसकी संरचना पास के स्वस्थ कोशाणुओं द्वारा की जाती है ताकि पस आसपास के ढाँचे को हानि न पहुँचा सके। फोड़े किसी भी प्रकार के ठोस टिश्यु में विकसित हो सकते हैं, पर अधिकतर त्वचा की सतह पर, त्वचा की गहराई में, फेफड़ों में, मस्तिष्क में, दांतों पर, गुर्दे में, टॉन्सिल वगैरह में विकसित होते हैं। शरीर के किसी भाग में विकसित हुए फोड़े स्वयं ही ठीक नहीं हो सकते इसलिए उन्हें तुरंत औषधीय चिकित्सा की ज़रुरत पड़ती है।
- फोड़े किसी को भी हो सकते हैं। लेकिन फोड़ों के शिकार अधिकतर वह लोग होते हैं जिनमे किसी बीमारी या अधिक औषधियां लेने के कारण रोग प्रतिकारक शक्ति क्षीण पड़ गई होती है। जिन बीमारियों के कारण रोग प्रतिकारक शक्ति क्षीण पड़ जाती है वह मुख्यत: मधुमेह और गुर्दे की बीमारी है । वे बीमारियाँ, जिनमे सामान्य रोग प्रतिकारक प्रक्रिया से जुडी हुई एंटी बौडी तत्वों का निर्माण पर्याप्त मात्र में नहीं होता, ऐसी बीमारियों में फोड़े विकसित होने की संभावना अधिक होती है।
- फोड़ों की चिकित्सा में एंटी बायोटिक्स काफी नहीं होते, और उनके प्राथमिक उपचार के लिए गरम पैक और फोड़े में से पस का निकास कर देना होता है, लेकिन यह तब हो सकता है जब फोड़े ज़रा नर्म पड़ गए जायें। हालाँकि फोड़ों के विकसित होने की संभावना को कम किया जा सकता है लेकिन वह पूर्ण रूप से नहीं रोके जा सकते।
- फोड़े में से पस को निष्काषित करने के लिए लहसून के रस का प्रयोग करें। त्वचा के फोड़े के उपचार के लिए यह एक उत्तम तरीका है।एक चम्मच दूध की क्रीम में एक चम्मच सिरका मिला दें, और इस मिश्रण में एक चुटकी हल्दी का पाउडर मिला दें, और इसका लेप बना लें और फोड़े के संक्रमण से छुटकारा पाने के लिए इस लेप को ग्रसित जगह पर लगा दें।
- पिसे हुए जीरे में पानी मिलाकर एक लेप बना लें। इस लेप को संक्रमित जगह पर लगाने से काफी हद तक राहत मिलती है। हल्दी की सूखी जड़ को भून लें और इससे बनी राख को 1 कप पानी में घोल दें, और इस घोल को संक्रमित जगह पर लगा दें।
- नीम के पत्तों के गुच्छे को पीसकर उसका लेप बनाकर नियमित रूप से फोड़े पर लगाते रहें।अनार की सूखी छाल को पीसकर उसका चूरा बना लें, और उसमे ताज़े नींबू का रस मिलाकर उसे फोड़े पर लगा लें। ऐसा करने से लाभ मिलता है।
- एलोवेरा जेल को हल्के से संक्रमित जगह पर नियमित रूप से लगाने से भी लाभ मिलता है।हल्दी के पाउडर और अरंडी के तेल का लेप संक्रमित जगह पर दिन में चार बार लगाने से भी काफी हद तक राहत मिलती है।
- फलों के जूस का ज़्यादा से ज़्यादा सेवन करें।गर्म पानी में 10 बूँदें लैवेंडर तेल मिला दें, और इस मिश्रण में एक साफ़ सुथरा धोने का कपड़ा भिगो दें। इस भीगे हुए कपड़े से अतिरिक्त गर्म पानी निचोड़ लें और संक्रमित जगह पर रख दें जब तक वह ठंडा नहीं हो जाता। यह प्रक्रिया दिन में कई बार दोहरायें और साफ़ सफाई बनाये रखें।
अधिक से अधिक मात्रा में पानी पीयें, ताकि आपके शरीर में से विषैले तत्व निष्काषित हो सकें।ताज़े फलों का सेवन करें, और हफ्ते में कुछ दिन ठोस आहार की बजाय सिर्फ फलों के जूस का ही सेवन करें।अपने वज़न को नियंत्रण में रखें।जंक फ़ूड से दूर रहें।कब्ज़ियत की शिकायत से बचें।खान पान का सेवन उतना ही करें जितना पचाया जा सके।
Image Source-Getty
Read More Article on Ayurvedic Treatment in Hindi
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version