आज के समय में आयुर्वेद चिकित्सा को स्वास्थ्य के लिए सबसे बेहतर माना जाता है। आयुर्वेद के जरिए आसानी से निरोगी काया पाई जा सकती है। लेकिन आयुर्वेद को अपनाने के साथ ही जरूरी है त्वचा को पोषण देने वाले भोजन को ग्रहण करना या स्वास्थ्यप्रद भोजन लेना। आइए जानें आयुर्वेद से कैसे पा सकते हैं निरोगी काया।
- आज अधिकांश लोग आयुर्वेद पर भरोसा करते हैं, क्योंकि आयुर्वेद प्राकृतिक चिकित्सा का ही दूसरा रूप है।
- आयुर्वेद के जरिए ही प्रयोग में लाए जाने वाले सभी प्राकृतिक तत्वों में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के गुण शामिल होते है। ये तो सभी जानते हैं कि जिन व्यक्तियों की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है वे निरोगी रहते हैं।
- शहद ऐसा तत्व है जिससे त्वचा को पोषण तो मिलता ही है और त्वचा चमकदार भी बनती है और इसके साथ ही सुबह के समय गुनगुने पानी और नींबू को साथ में लेने से मोटापा भी कम होता है, जो कि कई बीमारियों की जड़ है।
- केसर से सेवन से भी आपकी त्वचा में निखार आता है और आप पहले से कहीं अधिक खुबसूरत दिखने लगते हैं।
- आयुर्वेद का सबसे महत्वपूर्ण तत्व त्रिफला जिसमें आंवला, हरड़ और बहेड़ा शामिल होता है, ये स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभकारी है।
- किशोरावस्था से यौवनावस्था में प्रवेश करने पर कई तरह के हार्मोंन में परिवर्तन होने से चेहरे पर कील-मुंहासे, इत्यादि हो जाते हैं और रक्त में भी अशुद्वियां होने लगती हैं। आयुर्वेद में इसका उपचार भी मौजूद है, केसर शहद और जड़ीबूटियों से रक्त को साफ किया जा सकता है और कील-मुंहासों से छुटकारा पाकर खुबसूरत बना जा सकता है।
- गर्भावस्था के दौरान, महावारी के दौरान या शुरू होने से पहले, मेनोपोज के शुरूआत या मेनोपोज के दौरान महिलाओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है लेकिन इन सबके उपचार के लिए कुछ आयुर्वेदिक और हर्बल रेमेडिज उपलब्ध हैं जिनके सेवन से निरोगी काया पाई जा सकती है और समस्याओं को दरकिनार किया जा सकता है।
आयुर्वेद न सिर्फ इम्युन सिस्टम मजबूत करता है बल्कि इससे रोगों से लड़ने की ताकत भी अधिक होती है। निरोगी काया पाने के लिए जरूरी है कि आयुर्वेद के नुस्खों को अपनाया जाएं।