तो चंद घंटों में जुड़ जाएगी टूटी हड्डी

नई दिल्ली, एजेंसी : वह दिन दूर नहीं जब एक इंजेक्शन शरीर की मदद से चंद घंटों में टूटी हड्डियों को जोड़ा जा सकेगा। यानी फ्रैक्चर होने पर महीनों बिस्तर में पड़े रहने या धातु की प्लेटों और नट बोल्टों की मदद से टूटी हड्डी को जोड़ने की जरूरत नहीं होगी।
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तो चंद घंटों में जुड़ जाएगी टूटी हड्डी


टूटी हड्डी नई दिल्ली, एजेंसी : वह दिन दूर नहीं जब एक इंजेक्शन शरीर की मदद से चंद घंटों में टूटी हड्डियों को जोड़ा जा सकेगा। यानी फ्रैक्चर होने पर महीनों बिस्तर में पड़े रहने या धातु की प्लेटों और नट बोल्टों की मदद से टूटी हड्डी को जोड़ने की जरूरत नहीं होगी।

 

ब्रिटेन के वैज्ञानिक इस दिशा में काम कर रहे हैं। इस तकनीक में इंजेक्शन से शरीर में स्टेम सेल डाला जाएगा। फिर चुंबक की मदद से उसे शरीर के एक खास हिस्से तक पहुंचा कर टूटी हड्डी को जोड़ दिया जाएगा। चूहों में इस तकनीक का सफल प्रयोग किया भी जा चुका है। वैज्ञानिक अब बकरी पर यह तकनीक आजमा रहे हैं। उम्मीद है कि जल्द ही इंसान की टूटी हड्डियों या रोगग्रस्त हड्डियों तक स्टेम सेल पहुंचा कर उसे ठीक किया जा सकेगा या बेकार हो चुकी हड्डी की जगह नई हड्डी विकसित की जा सकेगी।  कीली यूनीवर्सिटी के प्रोफेसर ए ई हज ने बताया कि इस तकनीक में पीडि़त व्यक्ति के बोनमैरो से स्टेम सेल लिए जाते हैं। इसके बाद इस स्टेम सेल का इंजेक्शन पीडि़त को लगाया जाता है ताकि स्टेम कोशिकाएं उसके शरीर में पहुंच जाएं।

 

फिर चुंबक की मदद से इन कोशिकाओं को उस विशिष्ट स्थान पर केंद्रित कर किया जाता है जहां उनकी जरुरत होती है। साथ ही स्टेम कोशिकाओं से नई हड्डी बनाने के लिए भी चुंबकीय क्षेत्र बनाया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में बोन मैरो (अस्थिमज्जा) रोगी का होता है और हड्डी की कोशिकाएं दाता से ली जाती हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह तकनीक हड्डियों की बीमारी आस्टोआर्थराइटिस के रोगियों के लिए जोड़ों के प्रत्यारोपण का एक अच्छा विकल्प भी साबित होगी। हज बताते हैं कि यह तकनीक किफायती भी होगी क्योंकि इसमें अस्पताल में भर्ती होने या महंगी दवाओं की जरूरत ही नहीं होगी। इससे पहले ब्रिटेन में कूल्हे की हड्डी से जुड़ी समस्याओं का स्टेम सेल की मदद से सफलता पूर्वक उपचार किया जा चुका है।

 

 

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