खुशहाल जीवन यापन के लिए जिस भी चीज की जरूरत होती है वह ममता के पास थी। 35 साल की उम्र में वह जॉब कर रही थी और उसके पति का बिजनेस भी अच्छा चल रहा था। एक पांच साल का बच्चा था जो स्कूल जाने लगा था। लेकिन ममता के अंदर एक टीस थी जिसके लिए वो पिछले दो सालों से प्रयास कर रही थी, लेकिन वह असफल थी, वह था दूसरा बच्चा पाने की इच्छा। ममता की तरह बहुत सी महिलायें हैं जो दूसरी बार गर्भधारण करना चाहती हैं लेकिन नहीं कर पाती हैं। इस लेख में यह जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों होता है।
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उम्र का अधिक होना
आजकल लोग 30 साल की उम्र के बाद शादी कर रहे हैं और 31 या 32 साल में उनके घर में पहला बच्चा आ जाता है। जब वह तीन या चार साल का हो जाता है तब महिलायें दूसरे बच्चे की तैयारी करने लगती हैं, तब तक महिला की उम्र 35 के पार हो जाती है। उम्र के इस पड़ाव पर गर्भधारण करने में समस्या होने लगती है। गर्भधारण की सही उम्र 27 से 32 साल ही मानी जाती है।
वजन का बढ़ना
गर्भधारण के बाद वजन बढ़ना स्वाभाविक है। मां बनने के बाद महिलायें इतनी उलझ जाती हैं कि वे वजन कम नहीं कर पाती हैं। ऐसे में दूसरी बार गर्भधारण करने में अधिक वजन सामने आता है। इसके अलावा मोटापा कई दूसरी बीमारियों का भी कारण बनता है।
दवाओं का साइड-इफेक्ट
गर्भधारण के बाद महिलायें कई तरह की दवाओं का सेवन करती हैं। यही नहीं कई बार में गर्भनिरोधक गोलियों का भी प्रयोग करती हैं जिससे कि दूसरी बार गर्भधारण करने में समस्या आती है। इसके अलावा कई दवायें ऐसी हैं जो गर्भावस्था में महिला को दी जाती हैं जिनका साइड-इफेक्ट होता है और दूसरी बार गर्भधारण करने में समस्या होती है।
असामान्य ओवूलेशन
गर्भधारण करने में ओवूलेशन का अहम योगदान होता है। पीरियड के बाद दूसरे सप्ताह का समय ओवूलेशन का होता है। इस दौरान यौन संबंध बनाने से गर्भधारण होता है। लेकिन पहली प्रेगनेंसी के बाद ओवूलेशन का समय अनियमित हो जाता है और महिला को गर्भधारण में समस्या होती है।
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अनियमित दिनचर्या
मेट्रो शहरों में दिनचर्या और स्पर्म की गुणवत्ता को लेकर कई सर्वे और शोध किये गये। इसमें यह परिणाम निकला कि अनियमित दिनचर्या के कारण पुरुषों की स्पर्म काउंटिंग कम हो रही है, इतना ही नहीं उनकी गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है। दूसरी बार गर्भधारण में यही समस्या सामने आती है जिसपर अनियमित दिनचर्या के साथ उम्र की दोहरी मार पड़ती है।
छुपाने के कारण
पहली बार मां बनने वाली महिलायें जब दूसरी बार गर्भधारण नहीं कर पाती हैं तो वे इसके बारे में दूसरों से चर्चा करने में हिचकती हैं। जबकि दूसरी बार गर्भधारण करने के दौरान अधिक चिकित्सक सलाह और देखभाल की जरूरत पड़ती है।
मानसिक स्थिति
मां बनना एक तरफ सुखद एहसास है साथ ही इस दौरान असहनीय पीड़ा से भी गुजरना पड़ता है, जिसके बारे में सोचकर ही डर लगने लगता है। इस कारण महिलाओं की मानसिक स्थिति दूसरी बार गर्भधारण के लिए तैयारी नहीं हो पाती है।
इसलिए अगर आप दूसरी बार मां बनना चाहती हैं तो नियमित रूप से चिकित्सक के संपर्क में रहें।
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Image Source : Gettty
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