16 श्रृंगार जो पिया मन भाए!

अगर पिछले कुछ दिनों से पति आप पर ध्यान नहीं दे रहे हैं तो इस तरह से 16 श्रृंगार कर कीजिए उन पर अपना जादू चलाइए और लाइए रिश्ते में नई ताजगी।
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16 श्रृंगार जो पिया मन भाए!


खुशी और उसके पति के बीच में सब सही था लेकिन वो एक्साइटमेंट नहीं थी जो एक रिश्ते में होनी चाहिए। ऐसा पिछले दो साल से है जबकि उनके शादी को तीन साल ही हुए हैं। जब उसने अपनी ये समस्या अपनी एक दोस्त को बताई तो उसकी दोस्त ने उसे वीकेंड पर अच्छे से 16 श्रृंगार करने को कहा और आपको ये जानकर हैरानी होगी कि खुशी का 16 श्रृंगार करना काम कर गया और उसके रिश्ते में पहले जैसी एक्साइमेंट धीरे-धीरे आने लगी।


खुशी की तरह आपने भी अपने रिश्ते में बोरियत महसूस की होगी। ये हर दूसरे कपल को अपने रिश्ते में महसूस होता है। इसका जिम्मेदार कोई एक इंसान नहीं है। बल्कि आज की भाग-दौड़ भरी जिंदगी और रोज-रोज की परेशानी में लोगों के पास खुद के लिए भी टाइम नहीं है जिसका सबसे ज्यादा असर शादी-शुदा रिश्ते पर पड़ता है। इसलिये आजकल तलाक की संख्या काफी बढ़ गई है।


चलिए तलाक की बात अब छोड़ते हैं और रिश्ते में रोमांच भरने की बातें करते हैं। तो हम बात कर रहे थे 16 श्रृंगार की। आइए जानें आप कैसे कर सकती हैं ये 16 श्रृंगार?

 

16 श्रृंगार

16 श्रृंगार भारतीय सुहागिनों द्वारा किया जाने वाला श्रृंगार है जो शादी होने के एक साल बाद तक और कुछ विशेष त्योहारों में सुहागिनें करती हैं। 16 श्रृंगार सर से लेकर पैरों तक का श्रृंगार है। लेकिन वर्तमान में जब शादी के एक महीने बाद ही महिलाएं ऑफिस जाने लगी हैं ऐसे में 16 श्रृंगार कर पाना मुमकिन नहीं होता। ऐसे में रोज-रोज ना सही लेकिन वीकेंड या महीने में एक बार 16 श्रृंगार कर अपने पति का दीजिये।



अगर आपको नहीं मालुम है और आपको कोई बताने वाला नहीं है तो इस लेख में 16 श्रृंगार के बारे में विस्तार से जानिए और जीतिये अपने पति का दिल।

  • मांग टीका - श्रृंगार शुरू होता है सर से मतलब माथे से। मतलब की 16 श्रृंगार का सबसे पहला श्रृंगार है माथे का टीका।
  • बिंदिया - दूसरी बिंदिया.... हां हां तेरी, बिंदिया छीन लेगी मेरी निंदीया... तेरी बिंदिया।
  • ये गाना सही ही बना है। बिंदिया महिलाओं के श्रृंगार का सबसे मुख्या आकर्षण होता है जिसके बिना पूरा श्रृंगार अधूरा होता है।
  • काजल - आंखों में उपमा अलंकार की तरह काम करती है काजल। आंखों की चंचलता को बांधने के लिए आंखों में काजल लगाया जाता है जिसके बाद आंखें मृगनयनी की तरह सुंदर दिखने लगती हैं।
  • नथुनी - नाक में आजकल कम महिलाएं ही नथ पहनती हैं। जबकि ये श्रृंगार की सबसे जरूरी चीज होती है। यह श्रृंगार स्वास्थ्य की दृष्टि से भी जरूरी होता है। यह रक्त संचार को ग्रीवा भाग में स्थित करवाता है इसलिए नथ के रूप में जीवन पर्यन्त इस आभूषण को धारण करना एक सुहागन के लिए काफी जरूरी माना जाता है।
  • सिंदूर - सिंदूर आजकल कम ही महिलाएं लगाती हैं जो सुहाग की निशानी भी है। जबकि भारतीय वेदों के अनुसार शरीर में सिर का हिस्सा सूर्य का होता है और सूर्य आत्मा का कारक है इसलिए इस श्रृंगार के माध्यम से प्रथम बार कोई पुरूष किसी स्त्री को अपनी संगिनी बनाता है। इस कारण सिंदूर के बिना हर श्रृंगार अधूरा माना जाता है।
  • मंगलसूत्र - ये गले का हार और सुहागन का सबसे बड़ा श्रृंगार है जिसमें पति का पूरा प्यार छुपा होता है। भारतीय परंपरा है कि स्त्री का गला कभी खाली नहीं रहना चाहिए। लेकिन आजकल सुबह की भागम-भाग में स्त्रियां गले में कुछ पहन नहीं पाती हैं, जबकि इसे कभी उतारना भी पहले अच्छा नहीं माना जाता था। ऐसे में हम आपको इसे हमेशा पहनने के लिए तो नहीं बोल रहे हैं लेकिन एक दिन तो पहन ही सकती हैं।
  • इयर रिंग - कानों में एक मोती हर किसी का दिन जीतने के लिए काफी है। कान के श्रृंगार के बिना नारी की सजावट फीकी है। इयरिंग का हिंदु शास्त्रों में भी काफी महत्व है। दरअसल कान की नसें सीधे स्त्री की नाभि से लेकर पैर के तलवों तक पहुंचती है। जिससे उसकी सहिष्णुता निर्धारित होती है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि कान और नाक में छेद नहीं होने पर स्त्री के लिए प्रसव पीड़ा काफी कठिन हो जाती है। इसलिए कानों में एक दिन झुमके पहनकर अपने श्रृंगार के साथ स्वास्थ्य की जरूरत को भी पूरा कर सकती हैं।
  • मेहंदी- मेहंदी के बिना हर श्रृंगार अधूरा होता है। इसकी खुशबू मन और दिमाग दोनों को शांत कर देती है।
  • कंगन या चूड़ी - हाथों को रोजाना चूड़ी से भर कर रखना नामुमकिन है। लेकिन वीकेंड पर पूरे हाथों में चूड़ियां पहनिए और अपने पति को खुश करिए। चूड़ी की खनखन पति का दिल चुराने के लिए काफी है।
  • गजरा - सुंदर काले घने बालों में सफेद गजरा बालों की सुंदरता में चार चांद लगा देता है।
  • बाजूबंद - बाजूबंद का आजकल श्रृंगार में शायद ही इस्तेमाल किया जाता है लेकिन ये हाथों की नसों में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने के लिए उपयोगी माना जाता है।
  • अंगुठी - सगाई के वक्त जिस उंगुली में अंगूठी पहनाई जाती है उसकी नस सीधे दिल से जुड़ी होती है। इस कारण हिंदु धर्म में इस उंगुली में अंगुठी पहनना जरूरी माना जाता है।
  • कमरबंद - कमरबंद बड़ी उम्र में मांसपेशियों में खिंचाव और हड्डियों में दर्द को नियंत्रित करता है। इसका चलन आज शहरी क्षेत्र में काफी हो गया है। आप इस चलन को शुरू कर सकती हैं।
  • पायल - पायल की छनछन हर किसी का दिल जीत लेती है।
  • बिछिया - यह सुहागन का सबसे जरूरी श्रृंगार है। बिछिया एक्यूप्रेशर का भी काम करती है। जिससे तलवे से लेकर नाभि तक की सभी नाड़िया और मांसपेशियां व्यवस्थित होती हैं। इस कारण बिछिया पहनना जरूरी माना जाता है।
  • वस्त्र - सबसे अंतिम और जरूरी चीज है वस्त्र। जब आप पूरा सोलह श्रृंगार कर ही रही हैं तो वस्त्र वहीं घिसे-पिटे क्यों? सोलह श्रृंगार के साथ एक अच्छी सी साड़ी पहनिए और अपने पति पर चला दीजिए अपना जादू!

 

 

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