क्या आप 45 साल से अधिक उम्र के हैं? एक उम्र के बाद शरीर पहले की तरह फुर्तीला और लचीला नहीं रहता है। साथ ही बढ़ती उम्र में हड्डियों से जुड़ी समस्याएं भी होने लगती है। ऐसे में मुश्किल योगासनों का अभ्यास करना थोड़ा कठिन होता है। लेकिन फिट और एक्टिव रहने के लिए आपको योगा को अपनी रूटीन लाइफ में शामिल रखना ही चाहिए। इस स्थिति में आप अपनी उम्र को ध्यान में रखते हुए कुछ आसन योगासन कर सकते हैं।
इन योगासनों का करें अभ्यास
- 1. विपरीत करणी आसन (Viparita Karani Asana)
- 2. सुप्त वज्रासन (Supta Vajrasana)
- 3. भुजंगासन (Bhujangasana)

विपरीत करणी आसन (Vipareeta Karani Asana)
विपरीत करणी आसन को करना बहुत ईजी होता है। आप इसे घर पर भी आसानी से कर सकते हैं। इसमें आपके पैर ऊपर और सिर नीचे होता है। इसलिए इसे विपरीत करणी आसन कहा जाता है। इसे नियमित रूप से करने पर स्वास्थ्य को कई लाभ मिलते हैं। यह हाथों, पैरों और कमर की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मददगार होता है। विपरीत करणी आसन शरीर में रक्त के संचार को बेहतर बनाता है। आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए भी विपरीत करणी योगासन फायदेमंद होता है।
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- इस आसन को करने के लिए सबसे पहले एक मैट पर पीठ के बल लेट जाएं।
- अपने दोनों पैरों को एक साथ रखें।
- लंबी गहरी सांस लेते हुए पैरों को सीधे रखते हुए धीरे-धीरे ऊपर उठाएं।
- अपनी दोनों हथेलियों को नितंब के नीचे रखें। कोहनियों को जमीन या मैट पर रखें।
- अब धीरे-धीरे सांस लेते हुए कमर को ऊपर उठाएं। इस अवस्था में रहकर सांस लें और छोड़ें।
- अब इस अवस्था में कुछ देर रुकें।
- इसके बाद सामान्य अवस्था में आ जाएं।
- इस प्रक्रिया को आप 3-5 बार दोहरा सकते हैं।
- आप चाहें तो पैरों को दीवार के सहारे लगाकर भी इस आसन को कर सकते हैं।

भुजंगासन (Bhujangasana)
भुजंगासन को अंग्रेजी में कोबरा पोज के नाम से जाना जाता है। इसमें शरीर के आगे वाले हिस्से को कोबरे के फन की तरह उठाया जाता है। इस आसन को नियमित रूप से करने पर सिर से लेकर पैरों तक फायदा मिलता है। डायबिटीज के रोगियों के लिए भुजंगासन करना बहुत आसन है। बढ़ती उम्र के लोग भी इस आसन को आसानी से कर सकते हैं। यह शरीर को फिट और एक्टिव रखने में मदद करता है। यह पूरे शरीर में खिंचाव पैदा करता है। पेट की चर्बी को कम करने के लिए यह आसन लाभकारी है। थायरॉइड के रोगियों के लिए भुजंगासन करना बेहद फायदेमंद है। आप इस आसन को साइटिका, स्लिप डिस्क होने पर भी कर सकते हैं।
- इस आसन को करने के लिए सबसे पहले किसी शांतिपूर्ण वातावरण में एक मैट बिछा लें।
- इस पर पेट के बल लेट जाएं।
- अपनी दोनों हथेलियों को कंधे के सीध में नीचे रखें।
- पैरों के बीच की दूरी को कम करें। दोनों पैर एकदम सीधे होने चाहिए।
- अब लंबी गहरी सांस लेते हुए शरीर के ऊपरी हिस्से को नाभि तक उठाएं।
- इस अवस्था में 20-30 सेकेंड तक बने रहें।
- इसके बाद सामान्य अवस्था में आ जाएं।
- इस प्रक्रिया को आप 3-5 बार दोहरा सकते हैं।

सुप्त वज्रासन (Supta Vajrasana)
सुप्त वज्रासन का मतलब है सोया हुआ। इस आसन में आपको वज्रासन में बैठकर पीछे की तरफ लेटना होता है। इसलिए इसे सुप्त वज्रासन कहा जाता है। इस आसन को नियमित रूप से करने पर पैरों, पेट और पीठ की मासंपेशियां मजबूत बनती हैं। साथ ही यह पाचन तंत्र को भी मजबूत बनाता है। सांस संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए आप इस आसन को कर सकते हैं। बैली फैट को कम करने के लिए भी इसे करना लाभकारी होता है।
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- इस आसन को करने के लिए सबसे पहले वज्रासन में बैठ जाएं।
- अब कोहनियों का सहारा लेते हुए पीछे की तरफ झुकने की कोशिश करें।
- इस दौरान आपकी कोहनियां जमीन पर रहेंगी।
- हाथों को धीरे-धीरे सीधे फैलाते हुए सिर के पीछे ले जाएं।
- इस दौरान कंधों को भी जमीन पर टिकाएं।
- इस अवस्था में धीरे-धीरे सांस लें और छोड़ें।
- इस अवस्था में कुछ देर बने रहें।
- इस प्रक्रिया को 3-5 बार दोहराएं।
आप अगर 45 साल से ऊपर की है, तो आप नियमित रूप से इन तीन आसनों को आसानी से कर सकते हैं। शुरुआत में इन आसनों को करने से पहले आपको एक्सपर्ट की सलाह और देखरेख पर ही करना चाहिए। नियमित रूप से इन योगासनों का अभ्यास करके आप खुद को हेल्दी, फिट और एक्टिव रख सकते हैं।
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