एक्सपर्ट से जानें लंबी उम्र तक दिल को स्वस्थ रखने के 10 टिप्स

एशियन हार्ट इंस्‍टीट्यूट, मुंबई के वरिष्ठ हस्तक्षेप हृदय रोग विशेषज्ञ और कार्डिएक पुनर्वास के प्रमुख डा. निलेश गौतम दिल संबंधित बीमारियों अैर उससे बचाव के तरीके बता रहें हैं।
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एक्सपर्ट से जानें लंबी उम्र तक दिल को स्वस्थ रखने के 10 टिप्स

स्‍वस्‍थ शरीर में ही स्‍वस्‍थ दिल रहता है। आप बहुत जवान या उम्रदराज हो गये हैं यह जरूरी नहीं है, दिल की देखभाल हर उम्र में करनी चाहिए। स्‍वस्‍थ आदतें ही आपके शरीर को कार्डियोवस्‍कुलर बीमारियों से बचा सकती हैं।


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व्‍यायाम की कमी, अस्‍वस्‍थ खानपान, खराब आदतें, कार्डियोवस्‍कुलर बीमारियों को न्‍योता देती हैं। आप उम्र के किसी भी पड़ाव पर दिल को स्‍वस्‍थ रख सकते हैं और खुद को दिल संबंधित बीमारियों से बचा भी सकते हैं। एशियन हार्ट इंस्‍टीट्यूट, मुंबई के वरिष्ठ हस्तक्षेप हृदय रोग विशेषज्ञ और कार्डिएक पुनर्वास के प्रमुख डा. निलेश गौतम दिल संबंधित बीमारियों अैर उससे बचाव के तरीके बता रहें हैं।

स्‍वस्‍थ खानपान हो

कार्डियोवस्‍कुलर बीमारियों के लिए सबके अधिक जिम्‍मेदार खानपान की खराब आदतें होती हैं। इसलिए हमेशा स्‍वस्‍थ आहार योजना का पालन कीजिए। ऐसे आहार का सेवन करें, जिसमें संतृप्‍त वसा, कोलेस्‍ट्रॉल, सोडियम, शुगर की मात्रा कम हो। स्‍वस्‍थ आहार के रूप में ताजे फल और हरी सब्जियों का सेवन कीजिए, इसके अलावा फाइबरयुक्‍त आहार जैसे - साबुत अनाज, मछली (सप्‍ताह में कम से दो दिन मछली का सेवन करें), सूखे मेवे, फलियां और बीजों का सेवन करें। बिना मांस वाले आहार का सेवन करने की भी कोशिश करें। वसा रहित और कम वसायुक्‍त डेयरी उत्‍पाद का सेवन करें। शुगर और शुगरयुक्‍त चीजों के सेवन को कम कर दें।

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शारीरिक गतिविधि

दिल को स्‍वस्‍थ रखने के लिए व्‍यायाम बहुत जरूरी है। कम मेहनत वाले एरोबिक व्‍यायाम (ब्रिस्‍क वॉक यानी तेज चलना) सप्‍ताह में कम से कम 2½ घंटे (150 मिनट) करें, या फिर अधिक मेहनत वाले एरोबिक व्‍यायाम (जैसे - जॉगिंग या रनिंग) सप्‍ताह में कम से कम 1 घंटे 15 मिनट तक जरूर करें, या फिर दोनों व्‍यायाम एक साथ करें। इसके अतिरिक्‍त अपनी मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए सप्‍ताह में दो या तीन दिन तक स्‍ट्रेंथ ट्र‍ेनिंग कीजिए, इससे आपके पैर, कमर, पीठ, सीने, कंधे, की मांसपेशियां मजबूत बनेंगी।

धूम्रपान से बचें

प्रत्‍यक्ष और अप्रत्‍यक्ष तरीके से धूम्रपान करने से बचें। प्रत्‍यक्ष धूम्रपान से अधिक नुकसानदेह अप्रत्‍यक्ष धू्म्रपान होता है। यूएस सर्जन जनरल की रिपोर्ट के अनुसार अप्रत्‍यक्ष तरीके से धूम्रपान करने वालों में दिल और फेफड़े संबंधित बीमारियों के फैलने का खतरा प्रत्‍यक्ष धूमप्रान करने वालों से 30 प्रतिशत तक अधिक होता है।

स्‍वस्‍थ आदतें अपनायें

दिल को स्‍वस्‍थ रखने के लिए स्‍वस्‍थ आदतों को अपनाना बहुत जरूरी है। अपने साथ-साथ बच्‍चों को स्‍वस्‍थ आदतों के बारे में बतायें। ज्‍यादा से ज्‍यादा वक्‍त आराम करने की बजाय शारीरिक गतिविधि करने में बितायें। आसपास की जगह बाइक या गाड़ी से जाने की बजाय पैदल ही जायें। अपने बच्‍चों को भी अपने साथ शारीरिक गतिविधियों में लगायें।

पारिवारिक इतिहास

अगर आपके परिवार में किसी को दिल संबंधित बीमारी हुई है तो आपको भी भविष्‍य में दिल संबंधित बीमारी होने का खतरा बना रहता है। इसलिए अपने पारिवारिक इतिहास को जानकर इसके संभावित खतरे से बचने की कोशिश करें। वजन को नियंतत्रण में रखें, नियमित व्‍यायाम करें, धूम्रपान न करें, और स्‍वस्‍थ आहार का सेवन करें। इसके अलावा अपने दिल की नियमित जांच भी कराते रहें।

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तनाव से बचें

तनाव आपके दिल का सबसे बड़ा दुश्‍मन है, इसे काबू में रखने की कोशिश करें। तनाव के कारण दिल की धड़कन और ब्‍लड प्रेशर बढ़ जाता है जो आपकी धमनी की दीवारों को क्षतिग्रस्‍त कर सकता है। इसलिए तनाव को काबू में रखने की कोशिश करें, इस‍के लिए गहरी सांस लेने वाले योग और मेडीटेशन को आजमायें।

ब्‍लड शुगर की जांच

अपने ब्‍लड शुगर के स्‍तर की जांच समय-समय पर कराते रहें। 45 साल की उम्र तक होने के बाद ब्‍लड शुगर की जांच कराना जरूरी हो जाता है। ब्‍लड शुगर की जांच हर तीन साल पर जरूर करायें। अगर आपका वजन अधिक है, डायबिटीज से ग्रस्‍त हैं, या फिर डायबिटीज होने की संभावना है तो ब्‍लड शुगर की जांच पहले ही करायें।

खर्राटें आते हों तो

अगर आपका पार्टनर यह शिकायत करे कि आपको रात में खर्राटे आते हैं तो इसे बिलकुल भी नजरअंदाज न करें। खर्राटे आने का मतलब है कि आपको सांस लेने में समस्‍या होती है। इससे उच्‍च रक्‍तचाप, दिल संबंधित बीमारियों के होने का खतरा रहता है। नियमित व्‍यायाम और स्‍वस्‍थ खानपान की आदतें अपनाकर आप इस पर नियंत्रण पा सकते हैं।

टखने की जांच

60 साल की उम्र के बाद एंकल-ब्रेकियल इंडेक्‍स टेस्‍ट प्रत्‍येक साल या हर दूसरे साल कराना बहुत जरूरी है। इस जांच से तलवों में होने वाली पीएडी (पे‍रीफेरल आर्टरी डिजीज) का निदान होने में मदद मिलती है। यह बीमारी कार्डियोवस्‍कुलर बीमारी के होने की संभावना को भी बढ़ाती है।

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वजन की जांच

अधिक वजन दिल संबंधित बीमारियें के होने की संभावना को बढ़ाता है। इसलिए अपने वजन की नियमित जांच अवश्‍य करें। मोटापे के कारण उच्‍च रक्‍तचाप, दिल की बीमारी, डायबिटीज और उच्‍च कोलेस्ट्रॉल की संभावना अधिक रहती है। नियमित व्‍यायाम और खानपान की स्‍वस्‍थ आदतें आपके बढ़ते वजन को नियंत्रित रखने में मदद करेंगी।

खतरों को भांपें

दिल संबंधित किसी भी प्रकार की समस्‍या से बचाव के लिए जरूरी है कि इससे जुड़ी समस्‍याओं को समय रहते पहचान लें। अगर आपके स्‍ट्रोक या दिल का दौरा पड़ने क संभावना है तो इसके लक्षणों को पहचानकर तुरंत इसका उपचार करायें। समय रहते इसका निदान होने पर इसका उपचार आसान हो जाता है।

दिल की बीमारी से बचाव

  • धूम्रपान न करें या तंबाकू के सेवन से बचें।
  • नियमित 30 मिनट तक व्‍यायाम जरूर करें।
  • स्‍वस्‍थ आहार का सेवन करें।
  • वजन को नियंत्रण में रखें।
  • पर्याप्त नींद भी जरूरी।
  • नियमित रूप से जांच करायें

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