विश्व कैंसर दिवस : मप्र में हर साल मुंह और फेफड़े के कैंसर से मरते हैं हजारों लोग, जानें बचाव के तरीके

आज यानि कि 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस है। इस दिवस को मनाने का मकसद लोगों में कैंसर के प्रति जागरुकता फैलाना है। हालांकि इससे अलग अलग देशभर में जगह जगह कैंसर से बचने और इसके प्रति जागरुकता फैलाने के लिए अभियान होते रहते हैं लेकिन 4 फरवरी कैंसर के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण होती है। अगर आंकड़ों की बात करें तो दिल्ली के साथ उत्तरप्रदेश, बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश में लोग सबसे ज्यादा मुंह और फेफड़ों के कैंसर के शिकार होते हैं।
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विश्व कैंसर दिवस : मप्र में हर साल मुंह और फेफड़े के कैंसर से मरते हैं हजारों लोग, जानें बचाव के तरीके


आज यानि कि 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस है। इस दिवस को मनाने का मकसद लोगों में कैंसर के प्रति जागरुकता फैलाना है। हालांकि इससे अलग अलग देशभर में जगह जगह कैंसर से बचने और इसके प्रति जागरुकता फैलाने के लिए अभियान होते रहते हैं लेकिन 4 फरवरी कैंसर के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण होती है। अगर आंकड़ों की बात करें तो दिल्ली के साथ उत्तरप्रदेश, बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश में लोग सबसे ज्यादा मुंह और फेफड़ों के कैंसर के शिकार होते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में हर साल मुंह के कैंसर से करीब 90 हजार लोगों की मौत होती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, मध्य प्रदेश में 28.1 प्रतिशत लेाग किसी न किसी रूप में चबाने वाले तंबाकू उत्पादों का उपभोग करते हैं, जिसमें 38.7 प्रतिशत पुरुष एवं 16.8 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं। तंबाकू के उपयोग के चलते मुंह, फेफड़े का कैंसर हो जाता है और राज्य में हर साल कैंसर व तंबाकू जनित अन्य बीमारियों के कारण 90 हजार लोग मौत के मुंह में समा जाते हैं।

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम (एनसीआरपी) के डेटा के मुताबिक, 2017 में भारत के चार बीमारू राज्यों- बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में ओरल कैंसर के 15.17 लाख मामले सामने आए थे। उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 12.5 लाख मामले दर्ज किए गए हैं। कैंसर दुनियाभर में मौत का सबसे प्रमुख कारण है और 2008 में इसकी वजह से 76 लाख मौतें (सभी मौतों में लगभग 13 फीसदी) हुई थीं। 2030 में दुनियाभर में कैंसर की वजह से करीब 1.31 करोड़ मौतों की आशंका जताई गई है।

ग्लोबल एडल्ट तंबाकू सर्वेक्षण, 2017 के अनुसार, 10.7 प्रतिशत वयस्क भारतीय (15 वर्ष और उससे अधिक) धूम्रपान करते हैं, जबकि चबाने वाले तंबाकू का सेवन 21. 4 प्रतिशत लोग करते हैं। देश में पान मसाला का विज्ञापन जारी है, जो समान नाम के तंबाकू उत्पादों के लिए भी विपणन को प्रोत्साहन (सरोगेट एडवरटिजमेंट) दे रहे हैं। सिगरेट और तंबाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा) के प्रावधानों के अनुसार, तंबाकू उत्पादों का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष विज्ञापन प्रतिबंधित है। गैटस दो सर्वे 2016-17 के अनुसार, मध्य प्रदेश में वर्तमान में 50.2 प्रतिशत पुरुष, 17.3 प्रतिशत महिलाओं में धूम्रपान या धुआंरहित तंबाकू का उपयोग करने का चलन है। आंकड़ों के मुताबिक, 19.0 प्रतिशत पुरुष, 0.8 प्रतिशत महिलाएं धुआं युक्त धूम्रपान करती हैं, जबकि 38.7 प्रतिशत पुरुष, 16.8 प्रतिशत महिलाएं धुआं रहित तंबाकू का उपयोग करते हैं।

ग्लोबल एडल्ट तंबाकू सर्वेक्षण, 2017 के अनुसार, देश में धुआंरहित तंबाकू उपयोगकर्ताओं (19.94 करोड़) में से 29.6 प्रतिशत पुरुष और 12.8 प्रतिशत महिलाएं हैं। वर्तमान में सात करोड़ महिलाएं 15 वर्ष और उससे अधिक उम्र की हैं, जो धुआंरहित तंबाकू का उपयोग करती हैं। डॉक्टरों का कहना है कि जो महिलाएं गर्भावस्था के दौरान धुआंरहित तंबाकू का सेवन करती हैं, उनमें एनीमिया (खून की कमी) होने का खतरा 70 प्रतिशत अधिक होता है। महिलाओं में धुआंरहित तंबाकू उपयोगकर्ताओं में मुंह के कैंसर का खतरा पुरुषों की तुलना में आठ गुना अधिक होता है।

इसी तरह धुआं रहित तंबाकू सेवन करने वाली महिलाओं में हृदय रोग का खतरा पुरुषों की तुलना में दो से चार गुना अधिक होता है। इसी तरह की महिलाओं में पुरुषों की तुलना में मृत्युदर भी अधिक होती है। वॉयस ऑफ टोबैको विक्टिम्स (वीओटीवी) के संरक्षक डा़ॅ टी़ पी़ शाहू बताते हैं कि धुआंरहित तंबाकू के उपयोगकर्ताओं की संख्या में वृद्धि हुई है, क्योंकि पहले के तंबाकू विरोधी विज्ञापनों में सिगरेट और बीड़ी की तस्वीरें दिखाई जाती थीं और घातक बताया जाता था। इससे लोगों को लगता था कि केवल सिगरेट और बीड़ी का सेवन हानिकारक है। परिणामस्वरूप धीरे-धीरे धुआंरहित तंबाकू की खपत बढ़ गई है।

मुंह के कैंसर से बचने के तरीके

यदि मुंह, होंठों या जीभ पर किसी तरह का घाव या छाला बन जाए और शीघ्र ठीक नहीं हो रहा हो तो तुरन्त चिकित्सक को दिखाना चाहिए। यदि मुहं में होने वाले कैंसर का पता प्रथम चरण में ही चल जाए तो इसका निदान संभव है। इसमें देरी करने पर इसकी भयावहता बढ़ जाती है। इसके अलावा अगर कोई लक्षण नहीं भी दिखाई दें, फिर भी इन बातों का जरूर ध्यान रखें।

  • धूम्रपान एवं नशे का सेवन ना करें।
  • दांतों और मुंह की नियमित दो बार अच्छी तरह सफाई करें।
  • दांतों मसूड़ों व मुंह के भीतर कोई भी बदलाव नजर आए तो तत्काल डॉक्टर से जांच करायें।
  • जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड, कोल्ड ड्रिंक्स, डिब्बा बन्द चीजों का सेवन बन्द कर दें।
  • ताजे मौसमी फल, सब्जी, सलाद अवश्य खाएं। इन्हें अच्छे से धोकर उपयोग करें।

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