लॉकडाउन में अकेलेपन से पुरुषों की तुलना में महिलाएं हैं ज्यादा परेशान, शोध में हुआ खुलासा

शोध बताता है कि लॉकडाउन के कारण अकेलेपन से 30 साल से कम उम्र की महिलाएं ज्यादा पीड़ित हैं। वहीं 50 से 69 वर्ष की आयु के पुरुष सबसे कम प्रभावित हैं।
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लॉकडाउन में अकेलेपन से पुरुषों की तुलना में महिलाएं हैं ज्यादा परेशान, शोध में हुआ खुलासा

लॉकडाउन (Coronavirus lockdown) का लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर एक गहरा असर पड़ा है। काम पर न जाना, सामाजिक कटाव और आर्थिक संकट जैसी तमाम चिंताओं ने लोगों को घर कर लिया है और इसका उनके मानसिक स्वास्थ्य पर खराब असर हो रहा है। पर क्या लॉकडाउन पुरुषों और महिलाओं को अलग तरह से प्रभावित कर सकता है? हाल ही में किए गए एक अध्ययन से लगता है कि तीन में से एक महिला लॉकडाउन के कारण अकेलेपन (lockdown loneliness) से पीड़ित है। एसेक्स विश्वविद्यालय में कुछ अर्थशास्त्रियों द्वारा आयोजित, अनुसंधान से पता चलता है कि कोरोनोवायरस के प्रकोप के बीच महिलाओं को पुरुषों की तुलना में अधिक मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

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क्या कहता है अध्ययन

अध्ययन से यह भी पता चलता है कि कोरोनावायरस महामारी के दौरान अंतर्निहित मानसिक स्वास्थ्य मुद्दे की रिपोर्ट करने वाले लोगों की संख्या में सात प्रतिशत से 18 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। महिलाओं के लिए, विशेष रूप से ये आंकड़े लॉकडाउन में 11 प्रतिशत से 27 प्रतिशत (women suffering from lockdown loneliness) तक बढ़ गए हैं। शोधकर्ताओं का मत है कि वृद्धि इस तथ्य के कारण हो सकती है कि महिलाओं को बच्चों और घरेलू काम दोनों के साथ ऑफिस आदि की एक्ट्रा जिम्मेदारी उठानी पड़ रही है।

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अध्ययन में, यह पाया गया कि 34 प्रतिशत महिलाओं ने सबके साथ होते हुए भी लॉकडाउन में अकेला महसूस करने की सूचना दी, जबकि 11 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें अक्सर अकेलापन महसूस होता है। इसकी तुलना में, मात्र 23 प्रतिशत पुरुषों ने कहा कि उन्हें लॉकडाउन में अकेलापन महसूस होता है और छह प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें ऐसा कभी कभार ही लगता है। अध्ययन यूके के ऑनलाइन साक्षात्कार पर आधारित है। 

महिलाओं पर बढ़ गई हैं अतिरिक्त जिम्मेदारियां

इससे पहले, इसी तरह के विषयों पर कई अध्ययन किए गए हैं, जो बताते हैं कि दुनिया भर में, महिलाओं पर घर के काम का प्रबंधन करने और अपने बच्चों और काम के प्रति प्रतिबद्धता का ख्याल रखने के लिए बहुत अधिक तनाव है। इस साल की शुरुआत में, मैकिन्से की एक रिपोर्ट ने सुझाव दिया कि महिलाएं अपनी खुद की कार्य प्रतिबद्धताओं के बावजूद घर पर अधिक जिम्मेदारियां लेती हैं जिसका उनके स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है। जबकि शिक्षित और नौकरीपेशा महिलाओं की संख्या बढ़ रही है, उनकी घरेलू जिम्मेदारियां और भागीदारी कम नहीं हुई हैं। वे अपने पार्टनर या परिवार के अन्य पुरुषों की तुलना में बच्चों और घर के कामों का अधिक ध्यान रख रही हैं।

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कोरोनावायरस का सामाजिक रिश्तों पर असर 

शोध से पता चला है कि सबसे बड़ा कारक कोविड-19 तनाव है, जो सामाजिक रिश्तों पर एक गहरा असर डाल रहा है। महिलाओं ने इस शोध में बताया है कि वो जिम्मेदारियों से इतनी लदी हुई हैं कि उनके पास अपने दोस्तों के लिए भी समय नहीं बचा है। वहीं शोध ये भी बताता है सामजिक रिश्तों का अच्छा होना और दोस्तों से मेलमिलाप करना आपके मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालता है। शोध ब्रिटेन में अध्ययन का जवाब देने वाले लोगों ने ऑनलाइन साक्षात्कार करने के बाद वैज्ञानिकों को लॉकडाउन के दौरान लोगों की मानसिक स्थिति को ट्रैक करने की अनुमति दी है। निष्कर्ष ये दर्शाता है कि कि कोरोना के कारण लोग लगातार अलगाव से जूझ रहे हैं। विश्लेषण के परिणामों से पता चलता है कि कई देशों में लोग बढ़ते हुए अकेलापन, चिंता और उदासी के कारण गहरे अवसाद से जूझ रहे हैं और इसी के कारण आत्महत्या के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है।

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