
2020 के साथ नया साल ही नहीं, बल्कि नए दशक की भी शुरुआत हुई है। दुनियाभर में जहां लोग इस नए दशक के लिए उत्साहित हैं, वहीं वैज्ञानिक और बुद्धिजीवी कुछ चिंतित नजर आते हैं। विज्ञान के प्रयोगों ने इंसानों को बहुत सुविधाएं दी हैं, जिनके कारण आज जिंदगी पहले से ज्यादा आसान हुई है। चिकित्सा के क्षेत्र में भी दुनिया ने काफी तरक्की कर ली है, जिसके कारण पहले जिन बीमारियों को जानलेवा समझा जाता था, उनका इलाज आज आसानी से किया जा रहा है। मगर फिर भी ऐसे बहुत सारे चैलेंज हैं, जिनके कारण लोग मर रहे हैं और लगातार बड़ी संख्या में मर रहे हैं।
दुनियाभर में स्वास्थ्य से जुड़े हितों पर नजर रखने वाली संस्था विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) यानी डब्ल्यूएचओ (WHO) ने 13 जनवरी को एक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें उन्होंने अगल एक दशक (2020 से 2030) के बीच स्वास्थ्य के क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों के बारे में बताया है। आइए हम आपको इस रिपोर्ट में बताए कुछ खास स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में बता रहे हैं, जिनका प्रभाव मूलतः भारतीयों पर दिखाई देने वाला है।
पर्यावरण से जुड़े स्वास्थ्य के खतरे
हवा में घुले प्रदूषण के कारण हर साल 70 लाख से ज्यादा लोगों की मौत होती है। जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण संक्रामक रोग जैसे- मलेरिया, ज़ीका वायरस आदि पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रहे हैं। ग्लोबल वार्मिंग के कारण दुनियाभर में होने वाली एक चौथाई मौतों का कारण हार्ट अटैक, स्ट्रोक, फेफड़ों का कैंसर और सांस की बीमारियां बन रही हैं। 2019 में 50 देशों के 80 से ज्यादा शहरों ने WHO के एयर क्वालिटी गाइड लाइन्स को फॉलो करने का वादा किया है।
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संक्रामक रोगों का खतरा
WHO के अनुसार साल 2020 में एचआईवी (HIV), टीबी, हेपेटाइटिस, मलेरिया और सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीजेज (STDs) के कारण लगभग 40 लाख लोगों की मौत होगी, जिनमें से ज्यादा संख्या गरीब लोगों की होगी। जिन रोगों से वैक्सीन (टीके) के द्वारा बचाव संभव है, 2019 में ऐसी बीमारियों के कारण भी 140,000 लोगों की मौत हुई है, जिनमें ज्यादातर बच्चे थे। पोलियों को दुनियाभर में खत्म कर दिया गया है, बावजूद इसके पिछले साल इसके 156 मामले सामने आए।
WHO के अनुसार इन बीमारियों को राजनीतिक इच्छाशक्ति के बिना नहीं खत्म किया जा सकता है।
महामारी वाले रोग
कई ऐसी बीमारियां हैं, जो हर साल दुनिया के सामने महामारी की तरह आ जाती हैं, मगर इन्हें रोकने का कोई सॉलिड उपाय नजर नहीं आता है। एयरबॉर्न वायरस जैसे एंफ्लुएंजा का खतरा सबसे ज्यादा है। इसके अलावा मच्छरों से फैलने वाली बीमारियां अगले दशक में भी बड़ा चैलेंज बनने वाली हैं। ये बीमारियां हैं- डेंगू, मलेरिया, ज़ीका वायरस, चिकनगुनिया और पीला ज्वर (यलो फीवर) आदि। मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों को रोकने के लिए फिलहाल बचाव ही सबसे आसान उपाय है।
गलत प्रोडक्ट्स से फैलने वाली बीमारियां
आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया की एक-तिहाई बीमारियों का कारण- पौष्टिक खाने की कमी, अनहेल्दी चीजें खाना और गलत आहार हैं। आज दुनियाभर में लोग जो भी चीजें खा रहे हैं उनमें शुगर, सैचुरेटेड फैट, ट्रांस फैट और नमक की मात्रा बहुत ज्यादा है। इसके कारण लोग मोटापे, वजन बढ़ने, डाइट से जुड़ी दूसरी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। वहीं तंबाकू वाले प्रोडक्ट्स और ई-सिगरेट्स के कारण भी सैकड़ों खतरनाक बीमारियों का खतरा बढ़ा है।
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बढ़ेगी कम उम्र में मौतों की संख्या
WHO के अनुसार 10 से 19 साल की उम्र में हर साल 10 लाख से ज्यादा बच्चे मरते हैं। इन मौतों का मुख्य कारण- रोड एक्सीडेंट, एचआईवी, सुसाइड, लोअर रेस्पिरेटरी इंफेक्शन्स, आपसी लड़ाई-झगड़े आदि हैं। युवाओं में एल्कोहल, तंबाकू और ड्रग्स के मामले भी पहले की अपेक्षा बढ़े हैं। इसके अलावा शारीरिक मेहनत की कमी, बिना प्रोटेक्शन के सेक्स के कारण भी कम उम्र में मौत के मामले बढ़ रहे हैं।
दवाओं का असर हो सकता है कम
जिस तेजी से लोग दवाएं खा रहे हैं, उसके अनुसार आने वाले कुछ सालों में लोगों पर कुछ खास दवाओं का असर होना बंद हो सकता है। एंटी-माइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) इस समय की एक कड़वी सच्चाई है। इंसानों द्वारा खोजी गई बहुत सारी एंटीबायोटिक दवाएं आज उस पर असर नहीं कर रही हैं। इसका एक बड़ा बिना एक्सपर्ट्स की सलाह के दवाएं खाना, झोलाछाप डॉक्टर्स, अच्छी दवाओं की कमी, सस्ती दवाओं का आकर्षण, साफ सफाई की कमी, इंफेक्शन से बचाव के लिए जरूरी कदम न उठाना आदि है।
पानी और सुविधाओं की कमी
पानी भी आने वाले सालों में एक बड़ी चुनौती बनने वाला है। शरीर, घर, बर्तन, सब्जी, खाने की चीजें आदि को साफ करने के लिए पानी की जरूरत पड़ती है। आने वाले सालों में बहुत सारे देश जब पानी की कमी से जूझ रहे होंगे, तब पानी से चीजों को साफ करने के तरीके पर पाबंदी लगेगी और बीमारियां तेजी से फैलना शुरू हो जाएंगी। इसके अलावा मेडिकल फील्ड में भी साफ-सफाई की कमी के कारण बहुत सारे खतरे बढ़ेंगे। इसी तरह गंदे पानी के प्रयोग के कारण भी बहुत सारी बीमारियां बढ़ रही हैं।
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लोगों का विश्वास जीतना बनेगी चुनौती
रोगी और डॉक्टर या हेल्थ एक्सपर्ट्स के बीच एक विश्वास बेहद जरूरी है। इंटरनेट पर बढ़ती अफवाहों से हेल्थ सेक्टर भी अछूता नहीं है। तरह-तरह की गलत धारणाओं और अफवाहों के कारण लोगों का विश्वास अस्पतालों, डॉक्टरों, वैक्सीन्स, दवाओं आदि से उठ रहा है। लोग इंटरनेट पर पढ़ने के बाद डॉक्टरों के ज्ञान पर संदेह कर रहे हैं, युवा कंडोम का इस्तेमाल करना गलत समझ रहे हैं और टीकों के बारे में तरह-तरह की अफवाहें फैलाई जा रही हैं। इसलिए अगल दशक में लोगों का विश्वास जीतना भी हेल्थ सेक्टर के लिए बड़ा चैलेंज होगा।
डॉक्टरों और हेल्थ वर्कर्स की कमी
आने वाले सालों में डॉक्टरों और हेल्थ सेक्टर में काम करने वाले लोगों की कमी भी एक बड़ा चैलेंच साबित होगी। दुनियाभर में हेल्थ एक्सपर्ट्स की कमी के कारण लोगों तक सही समय पर सही इलाज नहीं पहुंच पा रहा है, जिसके कारण करोड़ों लोगों की मौत होती है। WHO के अनुसार साल 2030 तक लगभग 1 करोड़ 80 लाख नए हेल्थ वर्कर्स की जरूरत पड़ेगी। इसके अलावा कम और मध्यम आय वाले देशों में 90 लाख नर्सों और दाइयों की जरूरत पड़ेगी। इतनी बड़ी संख्या में हेल्थ वर्कर्स की कमी को पूरा करना दुनियाभर के देशों के लिए बड़ी चुनौती है।
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