5 साल से कम उम्र के 20 करोड़ बच्चों की सेहत पर खतरा, UNICEF ने जारी की चौंकाने वाली रिपोर्ट

यूनिसेफ ने दुनियाभर के 20 करोड़ बच्चों की सेहत पर चिंता जताते हुए मंगलवार को रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया का हर 2 में से 1 बच्चा या तो कुपोषण का शिकार है, या मोटापे का शिकार है या जरूरी पोषक तत्वों की कमी से जूझ रहा है। प

Anurag Anubhav
Written by: Anurag AnubhavUpdated at: Oct 15, 2019 12:19 IST
5 साल से कम उम्र के 20 करोड़ बच्चों की सेहत पर खतरा, UNICEF ने जारी की चौंकाने वाली रिपोर्ट

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5 साल से कम उम्र के जितने भी बच्चे दुनियाभर में मौजूद हैं, उन सभी की सेहत पर भयानक खतरा मंडरा रहा है। यूनिसेफ एक ऐसी वैश्विक संस्था है, जो बच्चों की मूलभूत जरूरतों और अधिकारों की रक्षा के लिए बनाई गई है। यूनिसेफ ने मंगलवार को सुबह एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें उसने दुनियाभर के बच्चों को लेकर गंभीर चिंता जताई है। यूनिसेफ की इस रिपोर्ट के अनुसार 5 साल से छोटी उम्र के लगभग 20 करोड़ बच्चे अस्वस्थ भविष्य की तरफ बढ़ रहे है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया में आज हर 3 में से 1 बच्चा या तो मोटापे का शिकार है या कुपोषण (Undernourishment) का शिकार है।

इसी रिपोर्ट के अनुसार 6 माह से 2 साल की उम्र के हर 3 में से 2 बच्चे को सही खानपान और दूध नहीं मिल पाता है, जिसके कारण उसके शरीर और मस्तिष्क का विकास ठीक से नहीं हो पाता है। इसी वजह से आने वाली पीढ़ियों में खराब दिमागी क्षमता, सीखने में परेशानी, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता और जल्दी इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ रहा है। यही कारण है कि बहुत सारे बच्चे 5 साल से कम उम्र में ही मर जाते हैं।

हमने विकास तो किया मगर बच्चों की सेहत पर ध्यान नहीं दिया

यूनिसेफ के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर, हेनरिट फोर ने कहा, "पिछले कुछ दशकों में हमने तकनीक, संस्कृति और समाज के स्तर पर काफी विकास किया है, मगर हमारी नजर एक बहुत छोटी बात पर नहीं गई, और वो ये कि बच्चे अगर खराब खाएंगे, तो उनकी सेहत भी खराब होगी। करोड़ों बच्चे आज अस्वस्थ भोजन खाने को मजबूर हैं क्योंकि उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है। कुपोषण को लेकर हमारी जो समझ है, उसमें थोड़ा बदलाव की जरूरत है। आमतौर पर हमें लगता है कि बच्चों को पेटभर खाना मिल जाए, तो वो कुपोषण का शिकार नहीं होंगे। मगर यहां यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि उन्हें 'सही खाना' मिले जो उनकी जरूरतों को पूरा कर सके। ये आज हमारे लिए आज एक सामान्य चुनौती है।"

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34 करोड़ बच्चों को नहीं मिल रहे जरूरी पोषक तत्व

यूनिसेफ द्वारा जारी ये रिपोर्ट 21वीं सदी के बच्चों की सेहत के बारे में काफी कुछ बताती है। रिपोर्ट के अनुसार करोड़ों बच्चे जहां पर्याप्त खाना न मिलने से कुपोषण का शिकार हो रहे हैं, वहीं करोड़ों बच्चे ऐसे भी हैं, जो गलत खानपान के कारण मोटापे का शिकार हो रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार-

  • 14.9 करोड़ बच्चे ऐसे हैं, जिनका विकास अपनी उम्र के हिसाब से धीमा होता है या जो अपनी उम्र के हिसाब से अविकसित रह जाते हैं।
  • 50 लाख बच्चे ऐसे हैं, जिनकी लंबाई तो बढ़ जाती है, मगर वे अपनी लंबाई और उम्र के हिसाब से बहुत दुबले-पतले और कमजोर होते हैं।
  • 34 करोड़ (हर 2 में 1) बच्चे ऐसे हैं, जिनके शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी होती है, जैसे- विटामिन ए या आयरन की कमी आदि।
  • 4 करोड़ बच्चे 5 साल की उम्र से कम उम्र में ही मोटापे का शिकार हैं।

पैदा होने के साथ ही बच्चों की सेहत से खिलवाड़ करते हैं मां-बाप

रिपोर्ट में इस बात को चेताया गया है कि खानपान से जुड़ी गलत आदतों की शुरुआत बच्चे के पैदा होने के साथ ही शुरू हो जाती है। जैसे कि- 6 माह से छोटे शिशुओं के लिए स्तनपान बहुत जरूरी है, जो उन्हें कई तरह के रोगों से बचाता है। मगर दुनियाभर के सिर्फ 42% बच्चे ही 6 माह की उम्र तक स्तनपान कर पाते हैं। यानी 58% बच्चों को स्तनपान भी कराया जा पाता है। 2008 के मुकाबले 2013 में फॉर्मूला मिल्क की बिक्री में 72% की उछाल आई थी। ये इस बात का संकेत है कि मां-बाप अब बच्चों को स्तनपान कराने से ज्यादा फॉर्मूला दूधों पर निर्भर रहना चाहते हैं। इसमें काफी हद तक गलती मार्केटिंग कंपनियों की भी है, जो भ्रामक विज्ञापन दिखाकर लोगों के बीच फार्मूला मिल्क की बिक्री बढ़ाने का काम करते हैं।

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नन्हें बच्चों को गलत चीजें खिलाते हैं लोग

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार 6 महीने के बाद शिशुओं को ठोस आहार देना शुरू कर देना चाहिए। मगर रिपोर्ट बताती है कि ज्यादातर बच्चों को 6 महीने के बाद गलत खाना खिलाया जाता है, जिससे उनकी इम्यूनिटी कमजोर होने लगती है। रिकमंडेशन के अनुसार छोटे बच्चों को फल, सब्जियां, अंडे, डेयरी उत्पाद, मछली और मीट खिलाना चाहिए, जिससे उन्हें पोषक तत्व मिले। मगर मां-बाप बच्चों को टॉफी, चॉकलेट, इंस्टैंट नूडल्स, फ्राइज, पिज्जा आदि खिलाते हैं, जो बचपन से ही उनकी सेहत खराब कर देते हैं और कम उम्र में जानलेवा रोगों का कारण बनते हैं।

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