
इरिटेबल बॉवल सिंड्रोम (Irritable bowel syndrome) आंतों का रोग है, इसमें पेट में दर्द, बेचैनी व मल करने में परेशानी होती है। पुरुषों की तुलना में यह बीमारी महिलाओं को अधिक प्रभावित करती है। कई बार तो कम उम्र के बच्चों को भी ये समस्या हो जाती है। यह आंतों को खराब तो नहीं करता लेकिन खराब होने के संकेत देने लगता है। इससे न केवल व्यक्ति को शारीरिक तकलीफ महसूस होती है, बल्कि उसे कई शारीरिक क्रियाओं में भी परेशानी होती है। इरिटेबल बॉवल सिंड्रोम होने पर खान-पान का विशेष ध्यान रखना पड़ता है वर्ना तकलीफ बढ़ जाती है। आइए आपको बताते हैं कि इस दौरान क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना (Diet for IBS) चाहिए।
इरिटेबल बॉवल सिंड्रोम में क्या खाएं -foods to eat for ibs
इरिटेबल बॉवल सिंड्रोम होने पर आमतौर पर रोगी को भूख कम लगती है और उसका कुछ खाने मन नहीं करता लेकिन शरीर को ताकत देने के लिए खाना जरूरी है। इरिटेबल बॉवल सिंड्रोम संतुलित में आहार का सेवन बहुत जरूरी है। फाइबर वाले आहार जैसे- कच्ची सब्जियां, सलाद और फलों का सेवन करें। इसके अलावा दाल और कच्चा अनाज पर्याप्त मात्रा में खाएं क्योंकि इनमें पर्याप्त मात्रा में फाइबर होता है। शरीर में पानी की मात्रा न कम होने दें और ऐसे आहार खाएं, जो आसानी से पच जाएं।
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इरिटेबल बॉवल सिंड्रोम में क्या न खाएं-foods to avoid for ibs
इस बीमारी के दौरान ऐसे आहारों से दूर रहना चाहिए, जो पेट में गैस बनाते हैं जैसे- राजमा, छोले, बीन्स आदि। इसके अलावा डेयरी उत्पाद जैसे -दूध, पनीर, क्रीम, मलाई आदि का प्रयोग से भी आपको परेशानी हो सकती है। कुछ कच्ची सब्जियां जैसे- कच्चा प्याज, मूली और टमाटर भी पेट में गैस बनाते हैं, इसलिए इनसे भी दूर रहना चाहिए। दही का सेवन कर सकते हैं मगर एक दिन में 100-200 ग्राम से ज्यादा दही न खाएं। इरिटेबल बॉवल सिंड्रोम आंतों को खराब तो नहीं करता लेकिन उसके संकेत देने लगता है। यह समस्या संवेदनशील कोलन या कमजोर रोग-प्रतिरोधक क्षमता के कारण हो सकती है।
क्या हैं इरिटेबल बॉवल सिंड्रोम के लक्षण-Symptoms of IBS
- इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम में अचानक बैठे-बैठे एक दम से आंतो में मरोड़ उठती है और पेट में दर्द होने लगता है।
- कई बार बिना कारण ही मल आने जैसा महसूस होता है।
- रोगी को प्राय: बार बार दस्त होता है।
- पेट फूलना, कब्ज, पेट दर्द की समस्या होती है।
- रोज पांच छ: बार पतले दस्त होते हैं और गैस बहुत निकलती है।
- बार-बार डायरिया हो जाता है।
- यह बीमारी लम्बे समय तक चलती है।

अन्य बीमारियों से मिलते हैं लक्षण
- लैक्टोज इनटॉलरेन्स (दूध का न पचना) के लक्षण भी इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम की तरह होते हैं।
- सिलियक डिजीज (गेहूं प्रोटीन से एलर्जी) में भी मरीज बार-बार पेट में दर्द बताता है और बार-बार उसका पेट खराब होता है।
- इंफ्लेमट्री बॉवेल डिजीज में भी बड़ी आंत में जगह-जगह घाव बन जाते है और मरीज को वहीं तकलीफ होती है जो इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम में होती है।
लेकिन हम कुछ खास लक्षणों को देखकर ही बीमारी के बारे में बताते है। अगर कुछ नेगेटिव लक्षण जैसे मल में खून आना, वजन कम होना, भूख कम लगना और अगर मरीज की कैंसर का इतिहास है तो हम आमतौर पर इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम का निदान नहीं करते हैं बल्कि उसकी अच्छे से जांच करते हैं।
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