इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम (Irritable Bowel Syndrome) बहुत ही कम लोगों ने इस बीमारी का नाम सुना होगा। इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम को स्पास्टिक कोलन, इरिटेबल कोलन, म्यूकस कोलाइटिस और स्पस्टी कोलाइटिस के रूप में भी जाना जाता है। अगर आम भाषा में इसे समझा जाए तो यह सूजन आंत्र रोग से अलग स्थिति है और दूसरे किसी आंत्र स्थितियों से भी संबंधित नहीं है। इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम (IBS) की स्थिति वो है जो आंतों के लक्षणों का एक समूह है जो आमतौर पर एक साथ दिखाई देता है।
इसके लक्षण किसी भी स्थिति में अलग हो सकते हैं और हर किसी में अलग तरह के दिखाई दे सकते हैं। ये इरिटेबल सिंड्रोम (Irritable Bowel Syndrome) कुछ मामलों में आंतों की खराब करने का कारण बन सकता है। इस स्थिति में कब्ज, दर्द और दस्त की समस्या होती है और आपको कुछ भी खाने पीने का मन नहीं करता। लेकिन आपको खानपान और कुछ नियमों का पालन करना जरूरी होता है, जो डॉक्टर भी आपको करने के लिए जोर देते हैं। हम आपको इस लेख में इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम की स्थिति में खानपान और इलाज के बारे में बताने जा रहे हैं जो काफी अहम है।
इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम में क्या खाएं?
पार्क हॉस्पिटल के डीएम गेस्ट्रो, डॉक्टर ललित कुमार कुर्रे (Lalit Kumar Kurrey, DM Gastro, Park Hospital) बता रहे हैं कि इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम (Irritable Bowel Syndrome) में आपको क्या खाना चाहिए जो आपको स्वस्थ रखने में कारगर हो। डॉक्टर कुर्रे कहते हैं कि कुछ आहार ऐसे होते हैं जो पेट में बहुत ज्यादा गैस बनाते हैं और ये संवेदनशीलता को बढ़ाते हैं। इसलिए मरीज को इस स्थिति में उन चीजों का भोजन नहीं करना चाहिए जिससे उन्हें गैस का खतरा होता है।
डॉक्टर कु्र्रे कहते हैं कि मरीजों को इस दौरान अपनी डाइट में फाइबर की मात्रा को बढ़ा लेना चाहिए जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां और कच्चे सलाद। इसके साथ ही कुर्रे कहते हैं कि जो लोग अपनी डाइट में फाइबर ज्यादा लेते हैं उन्हें इस समस्या का सामना बहुत कम करना होता है और जो लोग कम फाइबरयुक्त खाना खाते हैं उन लोगों को ये ज्यादा दिक्कतें होती है।
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इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम का उपचार
इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम (Irritable Bowel Syndrome) का उपचार बहुत ही आसान है, डॉक्टर कुर्रे बताते हैं कि इस रोग का इलाज कई प्रकार से किया जा सकता है। डॉक्टर कुर्रे के मुताबिक, मरीज को सबसे पहले खानपान को लेकर हिदायतें दी जाती है कि वो अपने खानपान को बहुत ही संतुलित रखें और बहुत समय तक खाली पेट न रहें। वहीं, मैदे से बनी हुई चीजें और जंक फूड को बिलकुल त्याग देना चाहिए। लेकिन अगर मरीज खानपान के बदलाव के बाद भी ठीक न हो तो दवाएं दी जाती है जो पूरी तरह से लक्षणों पर निर्भर होती है। ये दवाएं फाइबरयुक्त होती है जो पेट को स्वस्थ रखने में मदद करती है। डॉक्टर कु्र्रे कहते हैं कि इस रोग में मरीज के लिए मनोचिकित्सक का बहुत अहम किरदार होता है, ऐसा इसलिए क्योंकि मरीज अगर इस स्थिति में ज्यादा तनाव ले तो उसकी हालात और ज्यादा गंभीर बन सकती है। इसलिए मरीज को इस दौरान खुद को तनावमुक्त रखना चाहिए।
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घरेलू उपाय
- नियमित शारीरिक व्यायाम करें।
- छोटे भोजन खाएं।
- तनाव को किसी भी तरह से कम करने की कोशिश करें।
- गैस और सूजन को दूर करने में मदद करने के लिए प्रोबायोटिक्स लें।
- तले हुए या मसालेदार भोजन से परहेज करें।
इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम के लक्षण आम पेट दर्द, कब्ज, गैस और अपच की तरह होते हैं, इसे आप ज्यादा दिन तक नजरअंदाज न करें। बल्कि आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर इसका इलाज कराना चाहिए और अपने खानपान को ठीक रखना चाहिए।