टेस्टिकुलर कैंसर के बारे में रखें ये जानकारियां

टेस्टिकुलर कैंसर कैंसर का ही एक प्रकार है, यह पुरुषों के अंडकोश में होता है। अगर घर में किसी को यह कैंसर हो चुका है तो परिवार के अन्‍य लोग इसकी गिरफ्त में आ सकते हैं। यह एक आनुवांशिक बीमारी है।
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टेस्टिकुलर कैंसर के बारे में रखें ये जानकारियां


जब वीर्यकोष की कोशिकाओं में असामान्‍य तरीके से वृद्धि होती है उस स्थिति को टेस्टिकुलर कैंसर या वृषण कैंसर कहते हैं। यह कैंसर पुरुषों में होता है। वीर्यकोष पुरुष सेक्स ग्रंथियां हैं जो लिंग के पीछे, अंडकोश की थैली में स्थित होती हैं जो टेस्टोस्‍टेरॉन और अन्य हार्मोन का उत्पादन करती है। साथ ही वह शुक्राणुओं का उत्पादन भी करती है, जो कि पुरुष प्रजनन कोशिकाएं हैं। यह युवा पुरुषों में सबसे आम कैंसर है। एक बार टेस्टिकुलर कैंसर विकसित होने के बाद, यह वृषण के भीतर रहता है, या यह पेट में लिम्फ नोड्स में फैल सकता है। यदि इसका पता न चले तो यह वृषण कैंसर अंततः किडनी, ब्रेन, लीवर और अन्य जगहों में फैल सकता है।
 
वृषण अर्थात टेस्टिकुलर कैंसर काले लोगों की तुलना में गोरे लोगों में आम है। जिन पुरूषों में वीर्यकोष का कुछ भाग नीचे अंडकोष के बजाय पेट में रह जाता है ऐसे पुरुषों में वृषण कैंसर का जोखिम ज्यादा होता है। इसके अलावा, जिन पुरुषों में एक अंडकोष में कैंसर का विकास होता है, उनको लगभग 2 प्रतिशत से 3 प्रतिशत तक दूसरे अंडकोष में भी कैंसर के विकास का जोखिम जीवन भर रहता है।

 

 

टेस्टिकुलर कैंसर के कारण

  • अगर घर में किसी को यह कैंसर हो चुका है तो परिवार के अन्‍य लोग इसकी गिरफ्त में आ सकते हैं। यह एक आनुवांशिक बीमारी है।
  • जिनके गुप्‍तांगों का विकास नही हो पाता उनको भी टेस्टिकुलर कैंसर का खतरा होता है।
  • एचआईवी पॉजिटिव मरीजों को भी कैंसर का यह प्रकार हो सकता है।
  • डाउन सिंड्रोम या क्लिनफेल्‍टर सिंड्रोम ग्रस्‍त महिलाओं को भी हो सकता है।

 

टेस्टिकुलर कैंसर के अन्‍य कारण

  • यदि अंडकोष में गलगण्ड रोग का संक्रमण हुआ है तो यह हो सकता है।
  • एजेंट ऑरेंज के संपर्क में आने से।

 

वृषण कैंसर के 5 प्रतिशत  मामले अंडकोष सहायक ऊतकों में ट्यूमर होने से शुरू होते है। इन कैंसर कोशिकाओ को सेर्टोली और लीडिग कोशिका ट्यूमर कहा जाता है।

 

 

Image Source - Getty Images

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