Vanishing twin syndrome : किसी भी महिला को जब मां बनने की बात पता चलती है तो उसका मन और जीवन खुशियों से भर जाता है। इसी बीच शुरुआती जांच से पता चले कि जुड़वां बच्चे गर्भ में हैं तो मां बनने की खुशी दोगुनी हो जाती है। लेकिन आगे चलकर जब दूसरी बार जांच की जाए तो पता चलता है कि गर्भ में एक ही बच्चा है, दूसरा कहीं दिख ही नहीं रहा है। ऐसे में मां बनने वाली महिला सबसे पहले तो घबरा जाती है। उसको समझ नहीं आता है कि आखिर उसका बच्चा कहां गया है। साथ ही वह अपने दूसरे बच्चे को लेकर भी परेशान हो जाती है। ऐसे में डॉक्टर बताते हैं कि उस महिला को वैनिशिंग ट्विन सिंड्रोम हुआ है यानी जुड़वां बच्चे में एक का विकास नहीं हुआ और वह गर्भ में भी अवशोषित हो गया। केवल दूसरा बच्चा ही गर्भ में बढ़ रहा है। लेकिन असल में ऐसा होता क्यों है? और मां को इस बारे में पता कैसे नहीं चलता है? साथ ही ऐसी प्रेगनेंसी से कहीं महिला को तो कोई समस्या नहीं होती। इस बारे में मैक्स हॉस्पिटल, पटपड़गंज की सीनियर कंसल्टेंट- गायनेकोलॉजी एंड ऑब्स्टेट्रिक्स डॉ. परिणीता कालिटा के सुझाव।
एक तरह का गर्भपात
असल में एक भ्रूण के आनुवंशिक कोड में कुछ असामान्यताएं होती हैं, जिसके कारण उसका विकास रुक जाता है, वह गर्भ में गायब हो जाता है। इसे भी एक तरह का गर्भपात माना जाता है। ऐसा अधिकतर कई गर्भधारण (जुड़वां या तीन बच्चों के जन्म) के दौरान हो सकता है। जब एक भ्रूण का विकास रुक जाए तो उसके ऊतक मां या दूसरे जीवित भ्रूण में अवशोषित हो जाते हैं। इसी कंडीशन को वैनिशिंग ट्विन सिंड्रोम कहा जाता है। वैसे एक भ्रूण की अवशोषण की यह प्रक्रिया आमतौर पर हानिरहित होती है लेकिन इसके बावजूद भी डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।
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लक्षण सामान्य होते हैं
वैनिशिंग ट्विन सिंड्रोम के लक्षण सामान्य गर्भपात के लक्षणों के समान ही होते हैं। गर्भवती महिला के गर्भाशय में ऐंठन होती है। हल्का रक्तस्राव यानी ब्लड स्पॉटिंग होती है, पेल्विक एरिया और पीठ में दर्द होता है। ऐसे में कई महिलाओं को लगता है कि ऐसा तो प्रेगनेंसी के दौरान होता ही है, तो वह इन बातों को नजरअंदाज कर देती हैं।
इलाज का तरीका
गर्भावस्था के दौरान वैनिशिंग ट्विन सिंड्रोम को जानने के लिए अल्ट्रासाउंड करवाया जाना जरूरी है। तभी आगे सावधानी रखी जा सकती है। अगर पहली तिमाही में एक भ्रूण गायब हो जाता है इस स्थिति में घबराना नहीं चाहिए। क्योंकि इस समय गर्भवती महिला को और उसके जीवित भ्रूण को किसी भी जटिलता का अनुभव नहीं करना पड़ता है। इसके बाद भी गर्भावस्था जारी रहेगी और दूसरे भ्रूण का विकास ठीक से होगा। लेकिन भ्रूण दूसरे या तीसरे ट्राइमिस्टर में गायब हो जाता है तो डॉक्टर से संपर्क जरूरी है। इस दौरान डॉक्टर गर्भावस्था की अधिक बारीकी से निगरानी कर सकते हैं। दरअसल, पहली तिमाही के बाद होने वाला वैनिशिंग ट्विन सिंड्रोम, उच्च जोखिम वाला माना जाता है। ऐसे में डॉक्टर के गाइडेंस में रहना बहुत जरूरी है। क्योंकि इस समस्या का एक ही इलाज है, सही मैनेजमेंट है, जिससे कि गर्भवती महिला का स्वास्थ्य और जीवित बचे भ्रूण का स्वास्थ्य ठीक रहे। इलाज के साथ-साथ गर्भवती महिला को अपनी डाइट पर भी पूरा ध्यान देना चाहिए।
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