मां बनना मेरे लिए या फिर किसी भी महिला के लिए एक नए तरीके का अनुभव होता है, खासकर जब वो पहली बार बच्चे को जन्म देती हैं। ये एक ऐसा समय होता है जब महिला से मिलने वाले सभी लोग उन्हें अलग-अलग तरह की सलाह देते हैं जिससे की बच्चे का स्वास्थ्य बेहतर हो सके। सभी लोग बच्चे के साथ-साथ महिला को भी स्वस्थ होने का तरीका बताते रहते हैं। मुझे ऐसा लगता है कि सभी लोगों के पास हर तरह के सुझाव होते हैं। जबकि हम सब जानते हैं कि बच्चे को 6 महीने तक मां का ही दूध पीना होता है।
मेरा मानना है कि यह पहली बार बनी मां के लिए, शारीरिक और भावनात्मक रूप से काफी चुनौतीपूर्ण होता है। बच्चे को दूध पिलाना अपने आप ही आता है ये एक प्राकृतिक है। हम जानते हैं कि बच्चे को मां का दूध पिलाना कितना जरूरी होता है, लेकिन कब तक जरूरी होता है ये आजतक साबित नहीं हो सका है। कुछ कहते हैं कि 3 से 4 महीने तक बच्चे को मां का दूध पिलाना काफी होता है, जबकि कुछ लोग बच्चे को मां का दूध एक साल तक पिलाने की सलाह देते हैं।
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इसके अलावा, मेरा मानना यह है कि 6 महीने तक बच्चे को दूध पिलाना यानी स्तनपान कराने में महिलाओं के लिए इसे आसान बनाने के लिए कुछ नहीं किया गया है। ये पूरी तरह से मां की पसंद होती है कि उसके बच्चे के लिए क्या जरूरी है क्या नहीं। बच्चे को दूध पिलाने के लिए स्वच्छता के बहुत सी चीजों के लिए महिलाओं का मनोबल तोड़ा जाता है।
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समय के साथ-साथ वैज्ञानिकों ने इस फॉर्मूले में काफी बदलाव किया है। कई मामलों में महिलाओं को जबरदस्ती कुछ कदम उठाने को कहा जाता है सिर्फ कुछ छोटे कारण के लिए। ये मुमकिन हो सकता है कि बच्चे की मां प्रयाप्त दूध बनाने में सक्षम न हो या फिर उसे दर्द का सामना करना पड़ता हो। इसके अलावा कुछ मामले ऐसे भी होते हैं जिसमें महिला को स्तनपान के लिए मेंटली और इमोश्नली परेशान किया जाता है।
मैं ऐसा मानती हूं कि ये मेरा अधिकार है कि मेरे बच्चे के लिए क्या सही है या क्या नहीं और चाहे बात बच्चे को स्तनपान कराने की हो। मैंने बच्चे के लिए जरूरी होने पर सीधे स्तनपान, पम्पिंग और फार्मूला फीड जैसी चीजों का चयन किया है। मेरा मानना है कि जब एक मां खुश रहेगी तो उसका बच्चा खुद ही स्वस्थ और खुश रह सकेगा।
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मेरे हिसाब से अगर कोई भी मां अपने बच्चे के लिए कोई फैसला लेगी तो उससे इस बात का अंदाजा होगा कि उसके बच्चे के लिए क्या सही है और क्या उसके सेहत के लिए अच्छा है। इसलिए सभी नई मां को सभी लोगों की सलाह के आधार पर इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि उसके बच्चे के लिए क्या अच्छा रहेगा और क्या नहीं। इसके साथ ही बच्चे की पसंद को जानना बहुत जरूरी हो जाता है। बच्चे को स्वस्थ रखने के लिए हमेशा डॉक्टर की सलाह को खारिज नहीं करना चाहिए, बल्कि उसका पालन करना चाहिए।
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