आज की इस भागदौड़ भरी ज़िंदगी में हम सभी किसी न किसी तरह के मानसिक तनाव का सामना करते ही हैं। बच्चों से लेकर बड़े-बुजुर्ग, घरेलू महिला से लेकर वर्किंग महिलाएं, स्कूल जाने वाले से लेकर कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चे हर वर्ग के लोग किसी न किसी रूप में तनाव का सामना करते हैं। दरअसल, जब हमारे ऊपर काम, पढ़ाई, परिवार, या समाज की से जुड़ी जिम्मेदारियां ज्यादा बढ़ जाती हैं और हम उन जिम्मेदारियों को सही तरह से संभाल नहीं पाते हैं तो मानसिक रूप से परेशान रहने लगते हैं। इसी परेशानी को मनोवैज्ञानिक दबाव या Psychological Pressure के रूप में जाना जाता है। साइकोलॉजिकल दबाव से पीड़ित व्यक्ति ऊपर से काफी नॉर्मल लगता है। लेकिन, उसकी गतिविधियों में कई तरह के बदलाव हो सकते हैं। अगर समय रहते व्यक्ति साइकोलॉजिकल प्रेशर के लक्षणों को पहचान ले तो मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी अन्य समस्याएं जैसे एंग्जाइटी, डिप्रेशन आदि से बचाव हो सकता है। ऐसे में आइए नई दिल्ली के तुलसी हेल्थकेयर के सीईओ और सीनियर साइकेट्रिस्ट डॉ. गौरव गुप्ता (Dr. Gorav Gupta, Senior psychiatrist & CEO- Tulasi Healthcare New Delhi) से जानते हैं कि साइकोलॉजिस्ट प्रेशर के कारण और लक्षण क्या हैं?
साइकोलॉजिकल प्रेशर का क्या कारण है? - What Causes Psychological Pressure in Hindi?
1. वर्कप्लेस का तनाव
ऑफिस की डेडलाइन्स, बॉस की आपसे उम्मीदें, और प्रोफेशनल कॉम्पिटिशन के कारण आपके मन में लगातार तनाव बढ़ता है। ऐसे में जब काम और निजी जीवन के बीच संतुलन नहीं बन पाता, तो प्रेशर और ज्यादा बढ़ जाता है।
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2.पारिवारिक समस्याएं
परिवार में लड़ाई-झगड़े, आर्थिक समस्याएं या रिश्तों में तनाव भी मानसिक दबाव का बड़ा कारण बनते हैं। बच्चों की परवरिश, बुज़ुर्गों की देखभाल, और घरेलू जिम्मेदारियां कभी-कभी आपको मानसिक स्वास्थ्य पर दबाव डाल सकते हैं।
3. अकादमिक दबाव
नौकरी करने वाले व्यक्ति के अलावा, स्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चों को भी कई बार साइकोलॉजिकल प्रेशर का सामना करना पड़ता है। छात्रों पर अच्छे अंक लाने, कॉम्पिटेटिव एग्जाम में पास होने और करियर बनाने का बहुत ज्यादा दबाव होता है। माता-पिता और समाज की उम्मीदें अक्सर बच्चों पर इस बोझ को बढ़ाती हैं।
4. खुद से अपेक्षा करना
जब कोई व्यक्ति खुद से बहुत ज्यादा उम्मीदें रखता है या खुद की तुलना दूसरों से करता है, तो यह भी अक्सर साइकोलॉजिस्ट तनाव का कारण बनता है। सोशल मीडिया ने लोगों में इस समस्या को और ज्यादा बढ़ा दिया है।
5. इमोशनल सपोर्ट की कमी
जब किसी को अपनी बात कहने, दर्द बताने या मदद मांगने पर कोई इमोशनल सपोर्ट नहीं मिलता है तो वह मानसिक रूप से कमजोर महसूस करने लगते हैं, और इससे उनके मेंटल हेल्थ पर प्रेशर बढ़ता है।
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साइकोलॉजिकल प्रेशर के लक्षण - Symptoms Of Physiological Pressure in Hindi
- साइकोलॉजिकल दबाव में रहने वाला व्यक्ति हमेशा किसी न किसी बात को लेकर परेशान रहता है। छोटी-छोटी बातें भी उसे बेचैन कर देती हैं।
- ऐसे व्यक्ति जल्दी गुस्सा करने लगते हैं या फिर हर समय उदास रहते हैं। उसके व्यवहार में अचानक बदलाव आ सकते हैं।
- साइकोलॉजिकल प्रेशर के कारण व्यक्ति का तनाव का स्तर बढ़ सकता है, जिसके कारण नींद में कमी, बार-बार नींद खुलना या फिर बहुत ज्यादा सोने की समस्या हो सकती है।
- मानसिक दबाव से शरीर भी थका-थका महसूस करता है। व्यक्ति का किसी भी काम में मन नहीं लगता और हमेशा थकान बनी रहती है।
- मेंटल हेल्थ पर प्रेशर पड़ने के कारण पीड़ित को फोकस करने में मुश्किल हो सकती है, जिससे पढ़ाई, काम या अन्य चीजों से ध्यान भटक सकता है।
- साइकोलॉजिकल प्रेशर से पीड़ित व्यक्ति को सिरदर्द, सीने में जकड़न, पेट दर्द, सांस लेने में तकलीफ आदि जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
- मानसिक दबाव के कारण व्यक्ति को ऐसा महसूस हो सकता है कि वह किसी काम के लायक नहीं है, और वे और ज्यादा डिप्रेशन में जा सकता है।
निष्कर्ष
साइकोलॉजिकल प्रेशर एक ऐसी स्थिति है, जो धीरे-धीरे व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। इसकी शुरुआत मामूली लक्षणों से होती है, जिसे अक्सर लोग अनदेखा कर देते हैं। लेकिन, समय रहते इसके लक्षणों को जानकर और कारण को पहचान कर आप इस समस्या को गंभीर रूप लेने से रोक सकते हैं।
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FAQ
ज्यादा टेंशन लेने से कौन सी बीमारी होती है?
बहुत ज्यादा तनाव लेने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके कारण व्यक्ति को हाई बीपी, दिल से जुड़ी बीमारियां, मोटापा, डायबिटीज, एंग्जाइटी, डिप्रेशन आदि बीमारियां हो सकती हैं।दिमाग को टेंशन फ्री कैसे रखें?
दिमाग को टेंशन फ्री रखने के लिए आप नियमित रूप से एक्सरसाइज करें, पर्याप्त नींद लें, हेल्दी डाइट फॉलो करें, मेडिटेशन और योग करें, साथ ही सकारात्मक बातें सोचें।तनाव के शारीरिक लक्षण कौन से हैं?
तनाव न सिर्फ हमारी मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि ये शारीरिक स्वास्थ्य पर भी असर डालता है, जिसके कारण मांसपेशियों में तनाव, सिरदर्द, पेट या पाचन से जुड़ी समस्याएं, नींद में कमी आदि परेशानियां हो सकती हैं।