मां का दूध पीने से न सिर्फ शिशु की इम्यूनिटी मजबूत होती है, बल्कि उसका शारीरिक और मानसिक विकास भी बेहतर तरीके से होता है। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि एक हेल्दी और सामान्य रूप से स्तनपान करने वाला बच्चा अचानक मां का दूध पीना बंद कर देता है। यह स्थिति मां को भावनात्मक रूप से परेशान कर सकती है और उसे यह लग सकता है कि अब बच्चा दूध नहीं चाहता या उससे कोई गलती हो गई है। जबकि वास्तव में यह एक अस्थायी स्थिति होती है, जिसका कारण कोई शारीरिक असुविधा, भावनात्मक बदलाव या आसपास के वातावरण में हुआ परिवर्तन हो सकता है। इस स्थिति को नर्सिंग स्ट्राइक कहा जाता है। इस लेख में मा-सी केयर क्लीनिक की आयुर्वेदिक डॉक्टर और स्तनपान सलाहकार डॉ. तनिमा सिंघल (Dr. Tanima Singhal, Pregnancy educator and Lactation Consultant at Maa-Si Care Clinic, Lucknow) से जानिए, नर्सिंग स्ट्राइक क्या है? जानें इसके कारण और लक्षण क्या हो सकते हैं?
नर्सिंग स्ट्राइक क्या है? - What Is Nursing Strike
डॉ. तनिमा सिंघल बताती हैं कि नर्सिंग स्ट्राइक वह स्थिति है जब कोई शिशु, जो पहले सामान्य रूप से स्तनपान कर रहा था, अचानक स्तनपान करने से मना कर देता है या स्तन पकड़ने से इनकार करता है। यह स्थिति जन्म के कुछ सप्ताह बाद से लेकर 1 वर्ष की उम्र तक के बच्चों में देखी (What are some common causes of breast refusal) जा सकती है। यह कोई स्थायी स्थिति नहीं होती और अक्सर कुछ दिनों से लेकर एक हफ्ते में ठीक (How long does breast refusal last) हो जाती है। यह जानना जरूरी है कि नर्सिंग स्ट्राइक का मतलब यह नहीं कि बच्चा स्तनपान छोड़ना चाहता है, बल्कि इसका कारण कुछ अस्थायी असुविधा या बदलाव हो सकता है।
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नर्सिंग स्ट्राइक के सामान्य कारण - What are the symptoms of breast refusal
1. बच्चे से जुड़े कारण
- यदि बच्चे को सर्दी या जुकाम है, तो वह ठीक से सांस नहीं ले पाता, जिससे दूध पीने में तकलीफ होती है।
- मुंह में छाले या इंफेक्शन या दांत निकलना भी दूध पीने में असुविधा उत्पन्न कर सकता है।
- कान में दर्द, टीकाकरण के बाद असहजता या गिरने से लगी हल्की चोट भी इसका कारण हो सकती है।
- 3 से 6 महीने की उम्र के बच्चों में आसपास की चीजों के प्रति रुचि बढ़ती है, जिससे उनका ध्यान दूध पीने से हट सकता है।
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2. मां से जुड़े कारण
- मां का दूध कम या ज्यादा आना यानी अचानक दूध की मात्रा में बदलाव आने पर बच्चा असहज महसूस कर सकता है।
- साबुन, परफ्यूम या स्किन क्रीम का इस्तेमाल भी इसका कारण बन सकता है। मां के शरीर की गंध में बदलाव होने पर बच्चा पहचान नहीं पाता और स्तनपान से मना कर देता है।
- यदि मां किसी कारणवश तनाव या चिड़चिड़ी हो, तो बच्चा इस भाव को महसूस कर सकता है।
- घर का माहौल बदलना, शोरगुल या दिनचर्या में बदलाव से बच्चा परेशान हो सकता है।
- अगर मां कुछ घंटों या दिनों के लिए बच्चे से दूर रही हो, तो बच्चा नराज होकर स्तनपान से इनकार कर सकता है।
नर्सिंग स्ट्राइक के लक्षण - What are the symptoms of a nursing strike
- स्तन को मुंह में लेने से इनकार करता है
- दूध पीते समय रोने या चिल्लाने लगता है
- कुछ सेकंड दूध पीकर हट जाता है
- बार-बार भूख लगने पर भी स्तन नहीं पकड़ता
नर्सिंग स्ट्राइक से कैसे निपटें? - How to deal with nursing strike
- बच्चे का ध्यान भटकने से रोकने के लिए शांति और एकांत वाला स्थान चुनें।
- बच्चे को बिना कपड़ों के अपनी गोद में लेकर बैठें, जिससे वह सुरक्षित महसूस करे और खुद से दूध पीने की (bacha doodh na piye to kya kre) इच्छा करे।
- अक्सर बच्चे नींद में या नींद के करीब होने पर आसानी से स्तन पकड़ लेते हैं।
- यदि बच्चा बार-बार रोता है या स्तन पकड़ते ही चिल्लाता है, तो डॉक्टर से जांच करवाएं कि कहीं मुंह में छाले, कान दर्द या कोई इंफेक्शन तो नहीं है।
- यदि बच्चा स्तनपान नहीं कर रहा है, तो दूध को पंप करके निकालते रहें, जिससे आपूर्ति बनी रहे और इंफेक्शन का खतरा न हो।
कब डॉक्टर से संपर्क करें? - When to consult a doctor
नर्सिंग स्ट्राइक आमतौर पर अस्थायी होती है, लेकिन यदि बच्चा कई दिनों तक बिल्कुल दूध नहीं पी (baccha doodh na piye to kya karna chahiye) रहा है, वजन घट रहा है, डिहाइड्रेशन के लक्षण नजर आ रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।
निष्कर्ष
नर्सिंग स्ट्राइक एक अस्थायी और सामान्य स्थिति है, जिससे ज्यादातर मां-बच्चों को किसी न किसी समय गुजरना पड़ता है। यह मां के लिए चुनौतीपूर्ण जरूर हो सकता है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं होती। प्यार, धैर्य और सही समझ से यह स्थिति कुछ ही दिनों में ठीक हो सकती है।
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FAQ
0 से 6 महीने के बच्चे के लिए कौन सा दूध सबसे अच्छा है?
0 से 6 महीने के शिशु के लिए मां का दूध ही सबसे अच्छा और संपूर्ण आहार होता है। यह न केवल बच्चे की पोषण संबंधी सभी जरूरतें पूरी करता है, बल्कि उसमें इम्यूनिटी भी बढ़ाता है। मां के दूध में मौजूद एंटीबॉडीज शिशु को इंफेक्शन, एलर्जी और बीमारियों से बचाते हैं। यदि किसी कारणवश मां का दूध उपलब्ध न हो, तो डॉक्टर की सलाह से ही फॉर्मूला मिल्क दिया जाना चाहिए।6 से 12 महीने के बच्चों को क्या खिलाना चाहिए?
6 से 12 महीने के बच्चों को मां के दूध के साथ-साथ हल्की भोजन शुरू किया जाता है। इस उम्र में बच्चे को सुपाच्य, नरम और घर का बना ताजा भोजन देना चाहिए। शुरुआत दाल का पानी, चावल का मांड, अच्छी तरह पका और मैश किया हुआ खिचड़ी, दाल, आलू, गाजर, केला, सेब की प्यूरी, या सूजी की खीर से की जा सकती है।कितने महीने का बच्चा बैठ सकता है?
अधिकतर बच्चे 4 से 7 महीने की उम्र के बीच बैठना शुरू करते हैं। शुरुआत में वे सहारे के साथ बैठते हैं, जैसे तकिया या मां-पिता की गोद का सहारा लेकर। करीब 6 महीने की उम्र तक कई बच्चे थोड़े समय के लिए बिना सहारे के बैठने लगते हैं, लेकिन संतुलन बनाना अभी भी सीख रहे होते हैं। 7 से 9 महीने के बीच अधिकतर बच्चे अच्छी तरह से बिना सहारे बैठ पाते हैं। यह विकास हर बच्चे में थोड़ा अलग हो सकता है, इसलिए जल्दबाजी न करें।