Neglected Tropical Disease in Hindi: विश्व स्वास्थ्य संगठन हर साल 30 जनवरी को 'विश्व उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (NTD) दिवस' के रूप में मनाता है। उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग या नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज (Neglected Tropical Disease) कई बीमारियों का समूह है। दुनियाभर के सभी देश नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज से पीड़ित हैं। साल 2000 में संयुक्त अरब अमीरात ने विश्व उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग दिवस को मनाने का प्रस्ताव दिया था, जिसके बाद से ही 30 जनवरी के दिन इस तरह की बीमारियों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए दुनियाभर में यह दिन मनाया जाता है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं, नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज के बारे में और भारत में इसकी स्थिति।
नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज क्या है?- What is Neglected Tropical Disease in Hindi
खानपान से जुड़ी गड़बड़ी, खराब जीवनशैली, खराब हाइजीन और बीमारियों के प्रति जागरूकता की कमी के कारण बीमारियों के फैलने का खतरा ज्यादा रहता है। बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए इनके प्रति जागरूकता बढ़ानी चाहिए। बाबू ईश्वर शरण हॉस्पिटल के सीनियर फिजीशियन डॉ समीर कहते हैं, "नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज संक्रमण का एक समूह है। इस तरह की बीमारियां एशिया, अमेरिका और अफ्रीका जैसे देशों में आम हैं। वायरस, बैक्टीरिया, प्रोटोजोआ और परजीवियों के कारण इस तरह की बीमारियों के फैलने का खतरा रहता है। मलेरिया, एचआईवी-एड्स, ट्रेकोमा जैसी बीमारियां नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज की श्रेणी में आती हैं।"
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भारत में नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज की स्थिति- Neglected Tropical Disease in India
भारत समेत दुनिया के कई देशों में नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज की समस्या है। भारत में काला-जार, फाइलेरिया, रेबीज, डेंगू बुखार और लेप्रोसी जैसी बीमारियां नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज की श्रेणी में आती हैं। इसके अलावा एस्कारियासिस, ट्राइक्यूरियासिस, हुकवर्म इन्फेक्शन, म्फेटिक फाइलेरियासिस, सिस्टीसर्कोसिस जैसी बीमारियों को भी नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज की श्रेणी में रखा गया है।
भारत में कालाजार यानी लेशमानियेसिस (Visceral Leishmaniasis) नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज की श्रेणी में सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्या है। इस बीमारी के कारण हर साल लाखों लोगों की जान भी जाती है। लेशमानियोसिस को काला-जार या काला-ज्वर भी कहा जाता है। भारत के चार राज्य बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल इस बीमारी से सबसे ज्यादा पीड़ित हैं। सरकार की तरह से इस बीमारी को खत्म करने और इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए लगातार कोशिशें जारी हैं। इन चार राज्यों में काला-ज्वर जैसी गंभीर बीमारी के इलाज के लिए अलग से अस्पतालों की व्यवस्था भी की गई है।
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