किसी व्यक्ति को सुस्ती आना एक आम बात है। लेकिन इसके चलते कई बार हमारे काम प्रभावित होते हैं। इसके पीछे के कारण अनियमित दिनचर्या, ऑफिस या घर पर काम का बोझ या नींद पूरी न होना आदि हो सकते हैं। इसके अलावा कुछ ऐसी दवाइयां जिनके कारण सुस्ती आती है, भी जिम्मेदार होती हैं। ऐसे में अगर हमें पहले से लक्षणों के साथ कारण और उपचार भी पता होंगे तो हम इस विकार से लड़ सकते हैं। आज का लेख हमारा इसी विषय पर है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि सुस्ती क्या है? साथ ही हम जानेंगे कि इसके लक्षण और कारण क्या हैं? इसके उपचारों पर भी हम प्रकाश डालेंगे। पढ़ते हैं आगे...
बता दें कि जब शरीर में ऊर्जा की कमी हो जाती है या शरीर थकान महसूस करता है तो उसे सुस्ती कहा जाता है। यह किसी भी प्रकार के रोग या दवाइयों के सेवन से उत्पन्न हो सकती है। इसके अलावा जो लोग शारीरिक गतिविधियों को अपनी दिनचर्या में जगह नहीं दे पाते, जिन्हें अनिद्रा की समस्या होती है या जो अधिक काम या तनाव में रहते हैं उन लोगों को भी ये समस्या उत्पन्न हो जाती है। बता दें कि सुस्ती आपके शारीरिक व मानसिक दोनों तरफ ये इशारा करती है कि आपको अब अपनी दिनचर्या में बदलाव करने की या डॉक्टर की मदद की जरूरत है।
क्या है सुस्ती आने के लक्षण (what is symptoms of lethargy)
सुस्ती आने के निम्नलिखित लक्षण इस प्रकार हैं-
1 - शरीर के अंगों में निष्क्रियता आ जाना
2 - शरीर में फुर्ती और ऊर्जा का स्तर कम होना
3 - शरीर में थकान महसूस करना
4 - सोचने की क्षमता का कम होना
5 - मूड में परिवर्तन लाना
6 - काम करते हुए सतर्कता खो देना
बता दें कि जिस व्यक्ति को सुस्ती आती है या वह थकान महसूस करता है तो वह आलसी बन जाता है और कार्य करने की क्षमता खो देता है।
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शरीर में सुस्ती आने के कारण (causes of lethargy)
वैसे तो कई ऐसी बीमारियां हैं जिनके कारण सुस्ती आना आम बात है। इन बीमारियों के लिए पेट के विषाणु, बुखार, जुकाम आदि शामिल हैं। लेकिन आपको बता दें कि सुस्ती के निम्न कारण इस प्रकार हैं-
1 - गुर्दे की विफलता यानी किडनी के फेल हो जाने के कारण
2 - दिमाग में सूजन आ जाने के कारण
3 - दिमागी बुखार यानी मेनिनजाइटिस के कारण
4 - पिट्यूटरी रोग जैसे कैंसर आदि के कारण
5 - स्ट्रोक के कारण
6 - कुपोषण का शिकार हो जाने के कारण
7 - बैक्टीरिया के कारण होने वाली बीमारी जैसे लाइन डिजीज
8 - थायराइड का कम होना यानी हाइपोथायरायडिज्म क्या थायराइड का बढ़ना यानी हाइपरथायरायडिज्म के कारण
9 - शरीर में पानी की कमी यानी निर्जलीकरण के कारण
10 - बुखार होने के कारण
11 - स्लीप एपनिया के कारण
12 - टीबीआई यानी मस्तिष्क में गंभीर चोट लगने के कारण।
कैसे होता है सुस्ती का परीक्षण ( diagnosis of lethargy)
बता दें कि सुस्ती कोई बीमारी नहीं है ये अन्य बीमारियों के लक्षणों में से एक है। लेकिन जब ये समस्या बढ़ने लगती है तो लोग डॉक्टर के पास जाते हैं डॉक्टर व्यक्ति की जांच निम्न प्रकार से करते हैं-
1 - डॉ मरीज की पूरी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पता लगाते हैं। जैसे वे पुराने रोग, पुरानी कोई गंभीर समस्याएं, शरीर में किसी भी प्रकार का बदलाव आदि के बारे में पूछते हैं और विशलेषण करते हैं।
2 - इसके अलावा डॉक्टर पेट की समस्या, उसकी सक्रियता, फेफड़ों की सक्रियता, दिल की गति आदि का परीक्षण करते हैं।
3 - डॉक्टर मानसिक जागरूकता की जांच भी करते हैं। जिसके आधार पर वे ये पता लगाते हैं कि व्यक्ति की मानसिक सक्रियता कितनी है।
4 - दिमागी विकार के कारण सुस्ती होने पर सीटी स्कैन या एमआरआई स्कैन आदि करते हैं।
5 - अगर व्यक्ति को सुस्ती थायराइड के कारण आ रही है तो थायराइड की जांच की जाती है।
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सुस्ती से बचाव (Treatment of lethargy)
वैसे तो डॉक्टर सुस्ती को दूर करने के लिए दवाइयों का सेवन करने की सलाह देते हैं लेकिन आप अपनी दिनचर्या में कुछ आदतों को डालकर भी समस्या को दूर कर सकते हैं। जानते इन आदतों के बारे में-
1 - पर्याप्त नींद लेने से आप सुस्ती को दूर भगा सकते हैं। बता दें कि अनियमित नींद लेने से शरीर में ऊर्जा का स्तर कम हो जाता है और आप पूरे दिन थकान या सुस्त महसूस करते हैं। ऐसे में आपका मन रोज के कामों में नहीं लगता है। ऐसे में आपको तकरीबन 7 से 8 घंटे की नींद लेना बेहद जरूरी है।
2 - तनाव और चिंता को दूर करके आप खुद को ऊर्जावान महसूस कर सकते हैं। ऐसे में आप खुश रहने की कोशिश करें। आप वो काम करें, जिससे आपको शांति मिले।
3 - अपनी डायट में पौष्टिक आहार को जोड़ें। बता दें कि जंक फूड के सेवन से आप अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर बनाते हैं। ऐसे में अपनी डाइट से जंक फूड, बाहरी खाना निकाल दें और संतुलित आहार को शामिल करें। इससे आप सुस्ती को दूर रख पाएंगे।
4 - नियमित रूप से एक्सरसाइज करना जरूरी है। अगर आपका तन मन शांत रहेगा तो आपका दिमाग भी सही रहेगा। इसके लिए आप जॉगिंग, हल्के-फुल्के व्यायाम आदि को 30 मिनट के लिए अपनी दिनचर्या में जोड़ें।
5 - अपने आसपास के वातावरण को अच्छा रखें। बता दें कि इसका गहरा प्रभाव आपके जीवन पर पड़ता है। ऐसे में अव्यवस्थित चीजें आपके मन की उर्जा को कम कर देती हैं। ऐसे में एक साफ वे स्वस्थ वातावरण में रहना एक अच्छा विकल्प है। इससे आपका शरीर और मस्तिष्क दोनों स्वस्थ बनते हैं।
6 - अगर आप जल्दी उठेंगे और नियमित रूप से स्नान करेंगे तब भी आप खुद को फ्रेश महसूस करेंगे। यह एक अच्छी आदत है। स्नान करने से ना केवल मन शांत रहता है बल्कि नई नई चीजों के बारे में भी सोच पाते हैं।
7 - आप अपने दोस्तों से या कर्मियों से मिले। उन लोगों से दूर रहें जो नकारात्मक सोच रखते हैं। ऐसे में आप की सोच भी नकारात्मक होती है।सकारात्मक लोगों के साथ आप शांति और बेहद स्वस्थ महसूस करते हैं। ऐसे में आप सकारात्मक सोच वाले व्यक्तियों की संगति में रहें। इससे ना केवल आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा बल्कि आप ऊर्जावान भी महसूस करेंगे।
8 - तररल पदार्थों का सेवन अधिक से अधिक मात्रा में करें।
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