मेनिनजाइटिस (दिमागी बुखार) क्या है? जानें कारण, लक्षण और उपाय

दिमागी बुखार के कारण, लक्षण और बचाव पहले से ही पता होंगे तो समस्या का सामना आसानी से किया जा सकता है। जानते हैं इसके बारे में....
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मेनिनजाइटिस (दिमागी बुखार) क्या है? जानें कारण, लक्षण और उपाय

जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है मेनिनजाइटिस यानी कि मेनिन्जेस में होने वाली सूजन। रीढ़ की हड्डी में मस्तिष्क को मेनिन्जेस की तीन झिल्लियों से ढ़का जाता है। ऐसे में अगर इसके आसपास मौजूद लिक्विड संक्रमित हो जाए तो यह मेनिनजाइटिस इसका कारण है। इस कारण ही दिमागी बुखार हो सकता है। यह बीमारी वायरल, फंगल, बैक्टीरियल, कोनिक रूप में हो सकती है। ध्यान दें कि वायरल मेनिनजाइटिस ज्यादा गंभीर नहीं होता। लोग बिना इलाज के भी ठीक हो सकते हैं। लेकिन बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस या फंगल मेनिनजाइटिस बेहद गंभीर होता है। इसके कारण शरीर में अधिक बदलाव आने लगते हैं। साथ ही इम्यूनिटी सिस्टम भी कमजोर हो जाता है। दिमागी बुखार होता है तो गर्दन में अकड़न, बुखार, सिर दर्द आदि लक्षण दिखने लगते हैं। आज हम आपके माध्यम से बताएंगे कि दिमागी बुखार के लक्षण क्या है? यह किन कारणों के कारण होता है? और इससे बचाव के उपाय क्या है? पढ़ते हैं आगे... 

meningitis problem

मेनिनजाइटिस के लक्षण

  • दिमागी बुखार के निम्न अक्षर नजर आते हैं
  • बुखार और ठंड लगना
  • उल्टी का आना
  • गर्दन में अकड़न महसूस करना
  • सिर दर्द की परेशानी होना
  • भ्रम की स्थिति पैदा होना
  • बैठे-बैठे दौरा पड़ना
  • गले में खराश होना 

कुछ लक्षण ऐसे भी होते हैं जो कुछ ही लोगों में नजर आते हैं जैसे कमजोरी या कपकपाहट जोड़ों में सूजन या दर्द चेहरे पर निशान दिखना आदि।

दिमागी बुखार के कारण

चूंकि यह बुखार बैक्टीरियल, वायरल, फंगल, क्रॉनिक रूप में दिखाई देता है। ऐसे में इनके पीछे कारण भी अलग-अलग हैं। 

बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस

बैक्टीरियल दिमागी बुखार में बैक्टीरिया ब्लड के माध्यम से दिमाग और रीढ़ की हड्डी में पहुंच जाते हैं, जिसके कारण यह समस्या होती है। इससे अलग कुछ बैक्टेरिया ऐसे भी होते हैं जो सीधे मेनिनजाइटिस पर आक्रमण करते हैं। बता दें कि बैक्टीरिया निम्न प्रकार के होते हैं। 

स्ट्रैप्टॉकोक्कस निमोनिया- यह बैक्टीरिया किशोरों, व्यस्कों या शिशुओं में आम है। इसके कारण निमोनिया, साइनस आदि समस्या हो सकती है।

हिमोफिलस इनफ्लुएंजाए- इसमें टाइप बी जीवाणु बच्चे के शरीर में प्रवेश करते हैं और समस्या पैदा करते हैं।

मेनिंगोकोकस- यह जीवाणु ज्यादातर अधिक उम्र वाले लोगों और किशोरों को प्रभावित करता है इससे श्वसन तंत्र संक्रमण हो सकता है। 

वायरल मेनिनजाइटिस

यह वायरल ज्यादा गंभीर नहीं होते हैं और आप खुद ब खुद ठीक भी हो जाते हैं। यह समस्या ज्यादातर गर्मियां खत्म होने के बाद जब पतझड़ का मौसम शुरू होता है तब देखने को मिलती है। इसके अलावा यह वायरल एचआईवी आदि से भी फैल सकता है। 

क्रॉनिक मेनिनजाइटिस

दिमाग के आसपास मौजूद झिल्लियां और तरल पदार्थ पर जीव आक्रमण करते हैं जो क्रॉनिक मेनिमजाइटिस का कारण बनते हैं। इसके लक्षण 2 सप्ताह बाद नजर आते हैं या उसे ज्यादा भी समय विकसित होने में लग जाता है। इसके कारण सिरदर्द, मानसिक बीमारी, मन अशांत होना, बुखार आदि लक्षण नजर आते हैं। 

फंगल मेनिनजाइटिस 

फंगल मैनिंजाइटिस के कारण ही क्रॉनिक मेनिनजाइटिस हो जाता है। खास बात यह है कि यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में प्रवेश नहीं करता है। जिन लोगों का इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर होता है या उन लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है। यदि समय पर इसका इलाज ना किया जाए तो यह गंभीर बीमारी का रूप ले लेता है।

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 मेनिनजाइटिस से बचाव

  • गर्भवती महिलाएं अपने भोजन का ख्याल रखें।
  • अगर आप छींक या खास रहे हैं तो अपने मुंह को अच्छे से ढ़कें।
  • व्यायाम, हरी सब्जियां, साबुत अनाज, ताजे फल आदि को अपनी दिनचर्या में जोड़ें। इनके सेवन से इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत बनेगा।
  • अपने हाथों को समय-समय पर धोते रहें। हाथों के माध्यम से रोगाणुओं शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। ऐसे में अगर आप किसी भीड़ वाली जगह पर जाते हैं यह जानवरों के संपर्क में आते हैं तो अपने हाथों को धोना ना भूलें।
  • अपने सामान को कम से कम साझा करें। खासतौर पर टूथब्रश, खाने के बर्तन, झूठा पानी, अपना खाना, स्ट्रो आदि को किसी के साथ शेयर ना करें।

दिमागी बुखार के लोगों को किन चीजों का परहेज करना चाहिए

मांस मच्छी कैफीन युक्त पदार्थ मैदा की चीजें शराब आदि।

दिमागी बुखार में किन चीजों का सेवन करें

अपनी डाइट में फैटी एसिड, विटामिन, खनिज, एंटीऑक्सीडेंट, फल सब्जियां आदि को जोड़ें। इसके अलावा तरबूज, पपीता, गाजर, बंदगोभी, हरी पत्तेदार सब्जियां आदि भी आपके काम आ सकती हैं। आप अपनी डाइट में कद्दू के बीज, चिया के बीज, अखरोट आदि को भी जोड़ सकते हैं। इसके अलावा आप शरीर में प्रोटीन की कमी को पूरा करने के लिए सेलमन मछली का सेवन करें।

(ये लेख डॉक्टर सोनिया लाल गुप्ता, निदेशक और वरिष्ठ सलाहकार मेट्रो सेंटर ऑफ न्यूरोसाइंसेस से बातचीत पर आधारित है।)

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