जानें कब और क्यों किया जाता है जॉइंट रिप्लेसमेंट और क्या हैं जरूरी सावधानियां

उम्र बढ़ने के साथ-साथ हमारी हड्डियों के इन जोड़ों पर मौजूद चिकनाई खत्म होने लगती है या टिशूज में सूजन आ जाती है, जिससे इन्हें हिलाने-डुलाने में दर्द का सामना करना पड़ता है और सूजन आ जाती है।
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जानें कब और क्यों किया जाता है जॉइंट रिप्लेसमेंट और क्या हैं जरूरी सावधानियां


जॉइंट रिप्लेसमेंट की जरूरत आमतौर पर तब पड़ती है जब शरीर के किसी अंग के जोड़ में समस्या आने लगती है। आपको ये पता है कि हमारा शरीर हड्डियों से बना है। अंगों को हिलाने-डुलाने की सुविधा के लिए हमारे शरीर में अलग-अलग हड्डियां सॉकेट की मदद से जुड़ी हुई हैं, यानी जोड़ (जॉइंट) शरीर में मौजूद वो स्थान हैं, जहां दो हड्डियां आपस में जुड़ती हैं। उम्र बढ़ने के साथ-साथ हमारी हड्डियों के इन जोड़ों पर मौजूद चिकनाई खत्म होने लगती है या टिशूज में सूजन आ जाती है, जिससे इन्हें हिलाने-डुलाने में दर्द का सामना करना पड़ता है और सूजन आ जाती है। आमतौर पर इन जोड़ों से संबंधित सभी गंभीर समस्याओं में जॉइंट रिप्लेसमेंट की जरूरत पड़ती है।

क्या है जॉइंट रिप्लेसमेंट

बढ़ती उम्र के साथ-साथ जोड़ घिसने लगते हैं या कार्टिलेजों (हड्डियों के सिरों को ढकने वाले सुरक्षा उत्तकों) में विकार आ जाता है, जिससे इनमें सूजन आ जाती है। इसके कारण हड्डियों के जोड़ परस्पर रगड़ने लगते हैं। इसी कारण जोड़ों में दर्द, अर्थराइटिस और अंगों में सूजन की समस्या हो जाती है। कई बार समस्या बढ़ने पर चलना-फिरना भी मुश्किल हो जाता है। इन सब जोड़ो को बदलने की प्रक्रिया को ही टोटल जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी कहा जाता है। इस प्रक्रिया में बेकार हुए जोड़ों को बदला जाता है।

आमतौर पर रिप्लेसमेंट घुटनों, नितंबों, उंगलियों तथा कमर की हड्डियों में होता है। हालांकि कलाइयों, कोहनियों, कंधों तथा टखनों के जोड़ भी कॉर्टिलेज की समस्या से प्रभावित हो सकते हैं।

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क्यों जरूरी होता है जॉइंट रिप्लेसमेंट

जॉइंट रिप्लेसमेंट इसलिए जरूरी है क्योंकि जोड़ों में समस्या के कारण कई बार व्यक्ति को अपने दैनिक कामों जैसे- उठना, बैठना, शौच करना, चलना, गाड़ी चलाना, झुकना आदि भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में अगर मरीज रिप्लेसमेंट सर्जरी करवाता है, तो टोटल जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी के बाद इन सब तकलीफों से निजात मिल जाती है। इसके बाद मरीज काफी हद तक पहले की स्थिति में आ जाता है और उसे जोड़ों को मोड़ने में तकलीफ नहीं होती। दर्द से राहत मिलती है और जोड़ों की विकृति भी ठीक हो जाती है। हालांकि सर्जरी के बाद कुछ समय तक आपको कई सावधानियां बरतनी पड़ती हैं।

जॉइंट रिप्लेसमेंट से पहले कंट्रोल करें बीमारियां

जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी से पहले ज़रूरी है कि अगर आपको कोई ओर दिक्कत है, तो उसे कंट्रोल में करें, जैसे- हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल या डायबिटीज़। अगर आप स्मोक करते हैं, तो इसका दुष्प्रभाव भी सर्जरी पर पड़ सकता है। अगर आपको कोई स्किन प्रॉब्लम है या डेंटल डिज़ीज़ है, तो भी डॉक्टर को बताएं, क्योंकि दांतों की दिक्कत से सर्जरी के दौरान हिप या नी में इंफेक्शन फैलने का डर होता है। अगर आपको रुमेटॉयड आर्थराइटिस है, तो सर्जरी से एक महीना पहले इसकी दवाईयां रोकनी पड़ सकती हैं, ताकि जॉइंट रिप्लेसमेंट ठीक से हो जाए।

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जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी के बाद सावधानियां

  • टोटल जॉइंट रिप्लेसमेंट के बाद पैर, टखने, घुटने, और जांघ में सूजन हो सकती है। जो आम बात हैं, सूजन को रोकने के लिए पैरों को ऊंचा रखे 45-60 मिनट के लिए, यह प्रक्रिया दिन में दो बार करें।
  • निर्देश के अनुसार अपने वॉकर या बेंत का उपयोग करें ताकि आप गिर न जाए। डॉक्टर से पूछे बिना इसका इस्तेमाल बंद न करें।
  • 30 मिनट से ज्यादा एक ही जगह पर मत बैठें। उठिए, चलिए और अपनी पोजीशन बदलते रहिए।
  • जोड़ों के लाल होने या ड्रेन होने की स्थिति में फौरन चिकित्सक से संपर्क करें।
  • बिना डॉक्टर के निर्देश के ड्राइविंग न शुरू करें।
  • बुखार 101 डिग्री फॉरनहाइट या अधिक होने पर डॉक्टरी सलाह लें।
  • अगर दर्द, झुनझुनाहट, अकड़न या जोड़ों के आस-पास का रंग बदलने लगे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
  • डॉक्टर के निर्दशानुसार जब आप चलने लगें तो पहले कुछ हफ्तों के दौरान सीढ़ियों में ऊपर या नीचे जाते समय परिवार के किसी सदस्य की सहायता अवश्य लें।
  • अपने वजन को हमेशा नियंत्रित रखे और मांसपेशियों को मजबूत करने वाली एक्ससरसाइज न करें।

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