आज के समय में भारत सहित दुनियाभर के अन्य देशों में भी डायबिटीज के रोगियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। दरअसल, लोगों की जीवनशैली में आए बदलाव इसकी एक बड़ी वजह माने जाते हैं। डायबिटीज के कारण लोगों को कई तरह की अन्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। यदि, डायबिटीज को अनदेखा कर जीवनशैली और खानपान की आदत में बदलाव न किया गया है, तो यह अन्य गंभीर जोखिम की एक बड़ी वजह बन सकते हैं। इसमें हायपरग्लायसेमिक हायपरोस्मोलर स्टेट (Hyperglycemic Hyperosmolar State [HHS]) को भी शामिल किया जा सकता है। इस स्थिति में मरीज को जान का जोखिम हो सकता है। यह समस्या मुख्य रूप से टाइप 2 डायबिटीज के रोगियों को परेशान कर सकती है। एचएचएस तब होता है जब मरीज के रक्त में ग्लूकोज (शर्करा) का स्तर लंबे समय तक बहुत अधिक रहता है। इसकी वजह से व्यक्ति को डिहाइड्रेशन और भ्रम की स्थिति से भी गुजरना पड़ सकता है। आगे सीनियर फिजीशियन डॉक्टर विनोद कुमार से जानते हैं कि डायबिटीज में व्यक्ति को हायपरग्लायसेमिक हायपरोस्मोलर स्टेट होने के क्या कारण होते हैं और इस समस्या का इलाज कैसे किया जा सकता है।
हायपरग्लायसेमिक हायपरोस्मोलर स्टेट कब होता है?
हायपरग्लायसेमिक हायपरोस्मोलर स्टेट (एचएचएस) व्यक्ति को तब होता है जब उसके शरीर का ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है। इसकी वजह से रोगी को डिहाइड्रेशन हो सकता है। इसके अलावा, एचएचएस में इंसुलिन की कमी भी हो सकती है। लेकिन, व्यक्ति का शरीर किटोन्स के उत्पादन को रोकने के लिए पर्याप्त इंसुलिन बना सकता है। इस दौरान व्यक्ति को इंफेक्शन होने का जोखिम भी अधिक होता है।
हायपरग्लायसेमिक हायपरोस्मोलर स्टेट का क्या कारण है?- Causes Of Hyperglycemic Hyperosmolar State in Hindi
ब्लड शुगर बढ़ने पर व्यक्ति को हाइपरोस्मोलर हाइपरग्लाइसेमिक स्टेट हो सकती है। इसमें मरीज की मानसिक स्थिति पर भी प्रभाव पड़ता है। लेकिन, यदि आप डायबिटीज को मैनेज करते हैं तो इससे एचएचएस के जोखिम को कम किया जा सकता है। डॉक्टर के मुताबिक कुछ कारक इस समस्या को ट्रिगर कर सकते हैं। आगे जानते हैं इनके बारे में।
इंफेक्शन: एचएचएस के करीब 60 फीसदी मामलों में इंफेक्शन मुख्य कारण माना जाता है। निमोनिया, यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन और सेप्सिस को इसमें शामिल किया जा सकता है।
डायबिटीज की दवाएं न लेना: यदि आप डायबिटीज की दवाओं का सेवन बंद कर देते हैं, तो इससे शुगर लेवल बढ़ सकता है। यह एचएचएस की वजह बन सकता है।
डायबिटीज की दवाएं: डायबिटीज की दवाएं व कुछ असामान्य न्यूरोलेप्टिक्स कार्बोहाइड्रेट मेटाबॉलिज्म को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे एचएचएस हो सकता है।
हृदय संबंधी समस्याएं: हृदय संबंधी रोग जैसे स्ट्रोक व हार्ट अटैक शरीर के स्ट्रेस हार्मोन को रिलीज कर सकते हैं। इससे एचएचएस होने का जोखिम बढ़ जाता है।
हायपरग्लायसेमिक हायपरोस्मोलर स्टेट का इलाज - Treatment Of Hyperglycemic Hyperosmolar State in Hindi
एचएचएस के इलाज में डॉक्टर मरीज को नसों के माध्यम से दवाएं दे सकते है। इसके इलाज में आगे बताए उपायों को शामिल किया जाता है।
- डिहाइड्रेशन को कम करने के लिए तरल पदार्थ दिए जाते हैं।
- शरीर के मिनरल्स को बैलेंस करने के लिए इलेक्ट्रोलाइट्स जैसे पोटेशियम दिए जा सकते हैं।
- इंसुलिन से ब्लड शुगर के लेवल को नियंत्रित किया जा सकता है।
- साथ ही, इंफेक्शन का इलाज भी किया जाएगा।
- इस दौरान व्यक्ति को 24 घंटों तक इलाज के लिए अस्पताल में रूक सकते हैं।
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डायबिटीज को कम करने के लिए आप नियमित रूप से दवाएं लें। साथ ही, डाइट में आवश्यक बदलाव करें। इस स्थिति से बचने के लिए पानी को पर्याप्त मात्रा में पिएं। साथ ही, ब्लड शुगर को नियमित रूप से चेक करते रहे। यदि, ज्यादा समस्या हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।