दुनियाभर में ब्रेस्ट कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। भारत में भी ऐसी महिलाओं की संख्या बढ़ी है जिन्हें ब्रेस्ट कैंसर है। पर ब्रेस्ट कैंसर को लेकर एक बात ज्यादातर लोगों को मालूम नहीं कि महिलाओं का हार्मोनल असंतुलन ब्रेस्ट कैंसर का भी कारण बन सकता है। जी हां ये बात आपको सुनने में भले ही अजीब लग रही हो पर ऐसा है। दरअसल आसान भाषा में समझें तो, शरीर में कुछ हार्मोन्स का बढ़ जाना ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को बढ़ाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि कैंसर के सेल्स पर कुछ हार्मोन्स का एक गहरा प्रभाव पड़ता है। जैसी कि ईआर-पॉजिटिव ब्रेस्ट कैंसर (ER-positive breast cancer) जो कि शरीर में एस्ट्रोजन बढ़ने के कारण होता है। इसी तरह स्तन कैंसर प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के प्रति भी संवेदनशील होता है। दरअसल, कैंसर कोशिकाओं में रिसेप्टर्स होते हैं जो उन्हें इस हार्मोन के साथ जुड़ कर ब्रेस्ट कैंसर का कारण बनते हैं। महिलाओं में होर्मोनल हेल्थ और ब्रेस्ट कैंसर के बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने डॉ. शालू कक्कड़ (Dr. Shallu Kakkar), एडिशनल डायरेक्टर, प्रसूति एवं स्त्री रोग, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल, जयपुर से बात की। पर आइए सबसे पहले जानते हैं क्या है ER-positive breast cancer?
ईआर-पॉजिटिव ब्रेस्ट कैंसर- ER-positive breast cancer
स्तन कैंसर के कारण तो कई हैं। पर कुछ स्तन कैंसर आपके शरीर में स्वाभाविक रूप से पाए जाने वाले महिला हार्मोन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के प्रति संवेदनशील होते हैं। ऐसे ही दो प्रकार के होर्मोन्स ब्रेस्ट कैंसर को प्रभावित करते हैं और इन्हें आप ब्रेस्रट कैंसर के प्रकार के रूप में भी देख सकते हैं। जैसे कि एस्ट्रोजन रिसेप्टर (ईआर) पॉजिटिव ब्रेस्ट कैंसर और प्रोजेस्टेरोन रिसेप्टर (पीआर) पॉजिटिव ब्रेस्ट कैंसर। बात अगर सिर्फ ईआर-पॉजिटिव ब्रेस्ट कैंसर की करें तो इसमें महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है। इस प्रकार के स्तन कैंसर की कोशिकाओं में रिसेप्टर्स होते हैं जो उन्हें बढ़ने के लिए हार्मोन एस्ट्रोजन का उपयोग करने की अनुमति देते हैं।
टॉप स्टोरीज़
एस्ट्रोजन हार्मोन की ब्रेस्ट कैंसर में भूमिका-How does estrogen cause breast cancer
ब्रेस्ट के कुछ टिशूज एस्ट्रोजन का उत्पादन करते हैं और 80 प्रतिशत तक ब्रेस्ट कैंसर एस्ट्रोजन के ज्यादा उत्पादन के कारण होता है। दरअसल, एस्ट्रोजन कैंसर के सेल्स को तेजी से बढ़ने में मदद करते हैं और उन्हें फैलाते हैं। इसके अलावा ये म्यूटेंट कैंसर सेल्स में तेजी से बढ़ोतरी करते हैं। एस्ट्रोजन बढ़ने का खतरा बढ़ती हुई उम्र के साथ और मेनोपॉज के करीब आते-आते और बढ़ने लगता है। ऐसे में हमें एस्ट्रोजन हार्मोन को ज्यादा बढ़ने से रोकना चाहिए।
शरीर में एस्ट्रोजन कब ज्यादा बढ़ता है?
महिलाओं मे एस्ट्रोजन सेक्सुअल डेवलपमेंट के साथ शुरू होता है। प्रीमेनोपॉजल महिलाओं में, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का स्तर पीरियड्स के दौरान घटता बढ़ता रहता है। पर कुछ चीजे हैं महिलाओं में एस्ट्रोजन के बढ़ने का खतरा बढ़ाता है। जैसे कि
- -खराब लाइफ स्टाइल
- -पीसीओडी
- -एस्ट्रोजन रिप्लेसमेंट थेरेपी
- -मेनोपॉज में
इसे भी पढ़ें: प्रेगनेंसी में करवाचौथ व्रत रखने से पहले जरूर लें डॉक्टर की सलाह और अपनाएं ये टिप्स
ये स्तन कैंसर कितनी तेजी से बढ़ता है?
कैंसर तब शुरू होता है जब एक सामान्य स्तन कोशिका जीन में कई रेप्लीकेशन से गुजरती है जो कोशिका के विकास को नियंत्रित करती है। कैंसर कोशिका बनने से पहले ये उत्परिवर्तन लंबे समय तक होता है। स्तन में महसूस किए जा सकने वाली गांठ के निर्माण करने से पहले एक कैंसर कोशिका को औसतन 30 बार विभाजित होती है। चूंकि ट्यूमर कोशिकाएं मल्टीप्लाई करती हैं और तेजी से विभाजित होती हैं। ऐसे में हार्मोन्स रिसेप्ट के संपर्क में आ कर एक कोशिका तेजी से बढ़ती चली जाती है। ऐसे में जरूरी ये है कि समय रहते आप इसकी जल्द से जल्द पहचान करें और इसका इलाज करवाएं।
एस्ट्रोजन हार्मोन के कारण ब्रेस्ट कैंसर होने के लक्षण
ईआर-पॉजिटिव स्तन कैंसर के लक्षण कई अन्य प्रकार के स्तन कैंसर के समान होते हैं। सबसे आम लक्षण स्तनों में एत गांठ का होना है। इसके अन्य लक्षणों की बात करें तो इनमें शामिल हैं
- निप्पल से डिस्चार्ज
- त्वचा में जलन महसूस होना
- स्तनों का मोटा हो जाना या सूजन महसूस होना
- स्तन की त्वचा लाल हो जाना
- स्तन के आकार में बदलाव

ईआर-पॉजिटिव ब्रेस्ट कैंसर का इलाज
एंटी-एस्ट्रोजन हार्मोन (एंडोक्राइन) थेरेपी से उपचार कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोक सकता है। डॉ. शालू कक्कड़ बताती हैं कि हार्मोन थेरेपी स्तन कैंसर के मामलों में उपयोगी होती है जिसमें ट्यूमर कोशिकाओं को हार्मोन के लिए पॉजिटिव टेस्ट किया जाता है, जिन्हें रिसेप्टर पॉजिटिव ट्यूमर कहा जाता है। ऐसे में जब एस्ट्रोजन ज्यादा होता है तो हम टेमोक्सीफेन जैसे एंटी-एस्ट्रोजन उपचार देते हैं या स्तन कैंसर का इलाज करते हैं।
इस दौरान ध्यान देने वाली बात ये है कि मेनोपॉज के दौरान कुछ महिलाओं को एस्ट्रोजन थेरेपी मिलती है, तो वे प्रतिक्रिया देते हैं। इसलिए एस्ट्रोजन थेरेपी बहुत कम समय के लिए दी जाती है और इस दौरान उनके शरीर में होने वाली गतिविधियों पर खास ध्यान दिया जाता है।
इसे भी पढ़ें: ब्रेस्ट साइज (स्तनों का आकार) अचानक बढ़ने के हो सकते हैं ये 5 कारण
शरीर में एस्ट्रोजन को बैलेंस कैसे रखें-How to balance healthy estrogen level
1. प्रोटीन का सेवन करें
पर्याप्त प्रोटीन का सेवन करने से हार्मोन का उत्पादन शुरू होता है जो भूख को दबाता है और आपको भरा हुआ महसूस करने में मदद करता है। प्रति भोजन कम से कम 20-30 ग्राम प्रोटीन लेने की कोशिश करें। जैस कि टोफू और दूध आदि। तिल के बीज और अलसी के बीजों में लिग्नान होता है जो कि एस्ट्रोजन बैलैंस करने वाले खाद्य पदार्थों की श्रेणी में आते हैं। साथ ही पनीर और सोयाबीन जैसे फूड्स फाइटोएस्ट्रोजेन के सबसे अच्छे स्रोतों में से हैं और एस्ट्रोजन बैलेंस करने में मदद करता है। इसके अलावा आप कुछ अन्य फूड्स को भी शामिल कर सकते हैं। जैसे कि
- -लहसुन
- -ड्राई फ्रूट्स जैसे खुबानी और खजूर।
- -फल और सब्जियां
2. एक्सरसाइज करें
एक्सरसाइज शरीर और ब्रेन दोनों के फंक्शन को बेहतर बनाने में मदद करता है। एक्सरसाइज से हार्मोनल हेल्थ को बैलेंस करने में भी मदद मिलती है। ये एस्ट्रोजन हार्मोन को बैलेंस करता है और इसके प्रोडक्शन को कंट्रोल करने में मदद करता है। साथ ही स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, एरोबिक्स, पैदल चलना या अन्य प्रकार की शारीरिक गतिविधि करना हार्मोन के स्तर को इस तरह से संशोधित कर सकता है जो बीमारी के जोखिम को कम करता है और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया के दौरान मांसपेशियों की रक्षा करता है। ये मेनोपाज के लक्षणों को कंट्रोल करने में मददगार है।
इस तरह इन बातों का ध्यान रख कर एस्ट्रोजन हार्मोन को कंट्रोल कर सकते हैं और इसे उस हद तक बढ़ने से रोक सकते हैं जहां ये ब्रेस्ट कैंसर का कारण बने। साथ ही अगर आपको ब्रेस्ट कैंसर के कोई भी लक्षण महसूस होते हैं तो, अपनी तुरंत जांच करवाएं और ब्रेस्ट कैंसर होने पर इलाज करवाएं।
All images credit: wcrf.org
inside images credit: freepik