What Is Dysthymia Explained With A Real Case Study In Hindi: "43 वर्षीय माला महेश्वरी की जिंदगी को देखकर कोई भी ईर्ष्या से भर सकता था। क्यांकि वह समाज के पैरामीटर पर सेट होने वाली सभी खुशियों से भरपूर थी। उसकी शादी एक बड़े बिजनेस मैन से हुई थी और अब उसके दो टीनेजर बच्चे हैं और वह खुद एक बेहतरीन हाउज होममेकर है। इसे हम कह सकते हैं कि एक परफेक्ट लाइफ। इसके बावजूद, वह खुश नहीं थी। वह अपने परिवार के साथ कहीं भी घूमने-फिरने जाती, उसे अच्छा नहीं लगता था। अक्सर खुद को उदासी से घिर पाती थी। कभी जो काम करने उसे पसंद थे, अब उन्हीं कामों में उसे मजा नहीं आता था। महीनों नहीं, बल्कि सालों उसके साथ ऐसा रहा। जब वह मेरे पास आई, तब पता चला कि वह पर्सिस्टेंस डिप्रेसिव डिसऑर्डर यानी डिस्थीमिया का शिकार थी। हालांकि, लंबे समय तक चले इलाज के बाद अब माला की लाइफ सामान्य पटरी पर लौट आई है। वह एक अच्छी और खुशहाल जिंदगी जीने लगी है।"
यह केस स्टडी हमारे साथ क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और माइंडट्राइब की फाउंडर डॉ. प्रेरणा कोहली ने शेयर की है, जिन्होंने माला का ट्रीटमेंट किया। माला के साथ बातचीत करके और ट्रीटमेंट के दौरान डॉक्टर प्रेरणा को पता चला कि वह डिस्थीमिया की मरीज है।
ओनलीमायहेल्थ ऐसे मानसिक विकारों और रोगों की बेहतर तरीके से समझने के लिए ‘मेंटल हेल्थ मैटर्स’ नाम से एक विशेष सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के जरिए हम विभिन्न मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के बारे में अपने पाठकों को बता रहे हैं। इस सीरीज में हम आपको मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारी के लक्षण, कारण और इलाज के संबंध में जरूरी जानकारी दे विस्तार से बताते हैं। आज इस सीरीज में हम आपको राकेश की केस स्टडी की मदद से ‘हीमोफोबिया’ के बारे में बताएंगे।
डिस्थीमिया क्या है- What Is Dysthymia In Hindi
डिस्थीमिया को पर्सिस्टेंस डिप्रेसिव डिस्ऑर्डर के नाम से भी जाना जाना है। इस स्थिति में मरीज लंबे समय तक, कभी महीनों तो कभी सालों, एक ही अवस्था में रहता है। उसका मन सही नहीं रहता, किसी काम में रुचि नहीं लगती है और अक्सर खुद को निराशा और अकेलेपन से घिर जाता है।
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डिस्थीमिया के लक्षण- Symptoms Of Dysthymia In Hindi
माला के लक्षणों की बात करें, तो वह अक्सर उदास रहती थी, मन मुताबिक काम में भी उसे मजा नहीं आता था और अक्सर दूसरों से कटी-कटी रहना पसंद करती थी। ऐसा उसके साथ लगभग दो साल तक चला। यहां तक कि उसे अपने परिवार के साथ समय बिताना भी अच्छा नहीं लगता था। इसके अन्य लक्षण इस प्रकार हैं-
- हर समय उदास रहना और खालीपन महसूस करना।
- किसी काम में मन लगना और जो करना, उसमें रुचि न आना।
- भूख न लगना या फिर बहुत ज्यादा भूख लगना।
- नींद आने में परेशानी महसूस करना या फिर बहुत ज्यादा सोना यानी हाइपरसोमनिया होना।
- अक्सर थकान और ऊर्जा की कमी महसूस करना।
- आत्मविश्वास का कम होना या फिर किसी बात को लेकर अपराधबोध से घिरे रहना।
- ध्यान केंद्रित करने, निर्णय लेने में कठिनाई होना।
- सामाजिक गतिविधियों, जैसे दोस्तों या परिवार से मिलने-जुलने से बचना। पार्टी या इवेंट में न जाना।
- अक्सर चिड़चिड़ापन से घिरे रहना।
डिस्थीमिया का कारण- Causes Of Dysthymia In Hindi
माला के केस में यह कहना मुश्किल था कि आखिर उसे डिस्थीमिया क्यों हुआ? जबकि उसकी हंसती-खेलती जिंदगी थी, प्यारे-प्यारे दो बच्चे थे। इसके बावजूद, वह उदासी और खालीपन से घिरी रहती थी। इसी, तरह डिस्थीमिया क्यों होता है, इसकी किसी ठोस वजह का अब तक पता नहीं चला है। फिर भी शोधकर्ता कुछ कारणों को हाइलाइट करते हैं, जैसे-
- बचपन में कोई दुर्घटना घटी हो, जिसने मन में बहुत गहरी छाप छोड़ी है।
- ब्रेन केमिस्ट्री भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, न्यूरोट्रांसमीटर इसके लिए जिम्मेदार हो सकता है। यह ब्रेन में मौजूद एक तरह का केमिकल होता है, जो मूड को रेगुलेट करता है। अगर इसमें कोई खराब आ जाए, तो संभवतः मरीज को डिस्थीमिया हो सकता है।
- बचपन में गरीबी झेलनी पड़ी हो, लंबे समय तक करयिर में फेलियर रहा हो, रिश्ते खराब रहे हों, तो भी इस तरह की समस्या हो सकती है।
- कुछ मेडिकल कंडीशन, जैसे हार्ट डिजीज, डायबिटीज भी डिस्थीमिया का कारण हो सकते हैं।
- कुछ दवाईयों के कारण भी डिस्थीमिया हो सकता है।
- शराब, नाकोर्टिक्स भी डिप्रेशन को बढ़ावा दे सकते हैं।
डिस्थीमिया का इलाज- Treatment Of Dysthymia In Hindi
माला महेश्वरी के इलाज के लिए डॉ. कोहली ने कई ठोस कदम उठाए थे। जैसे उसकी थेरेपी की गई थी, जिसके तहत माला को समझाया गया कि नेगेटिव थॉट से कैसे बाहर आना है। इसके बाद, माला के परिवार को भी थेरेपी दी गई, ताकि वे माला की स्थिति को समझ सके और उसे डिस्थीमिया से बाहर आने में मदद कर सकें। इसके अलावा, डॉ. कोहली ने साइकिएट्रिस्ट की मदद से माला को कुछ दवाईयां दी, जो उसके लक्षणों को कम करने में मदद की। इस तरह, माला की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हुआ। अब माला सहज जिंदगी जीने लगी है। वह अपने परिवार घूमने-फिरने जाती है और उसे इंज्वॉय करती है। डॉ. कोहली के अनुसार, अन्य तरीके इस प्रकार हैं-
- लाइफस्टाइल में जरूरी बदलाव किए जाते हैं, जैसे सोने की आदत और खानपान की आदतों में सुधार किया जाता है।
- ड्रग्स और शराब से मरीज को दूर रखा जाता है।
- ट्रीटमेंट के दौरान स्लीप हाइजीन का विशेष ध्यान रखा जाता है।
- जरूरी हो, तो मरीज को साइकिएट्रिस्ट की मदद से दवाईयां देना। इसके अलावा, दवाई से होने वाले रिस्क के बारे में भी जानकारी रखना।
डिस्थीमिया के मरीज की मदद कैसे करें- How To Help Someone With Dysthymia In Hindi
माला की रिकवरी में डॉ. कोहली के साथ-साथ उनके परिवार के सपोर्ट ने अहम रोल निभाया। उनके बच्चों ने उनका पूरा साथ दिया और पति ने भी उनकी स्थिति को समझते हुए हाथ थामे रखा। यह बहुत जरूरी है। अगर आपके परिवार में भी ऐसा कोई है, तो उसकी मदद करने के लिए उचित कदम उठा सकते हैं, जैसे-
- डिस्थीमिया के बारे में खुद को एजुकेट करें। यह क्या बीमारी है और क्यों होती है, इस संबंध में खुद को जागरूक करें।
- हमेशा मरीज के साथ बात करने के लिए तैयार रहें। बातचीत के दौरान उसे कभी जज करने की कोशिश न करें।
- मरीज का कभी भी मजाक न उड़ाएं। हमेशा उसे प्रोफेशनल हेल्प लेने के लिए मोटिवेट करें।
- मरीज को हमेशा अच्छे और पोजिटिव कामों के लिए मोटिवेट करें और उसे एंगेज रखने की कोशिश करें।
- खुद में हमेशा धैर्य बनाए रखें। बातचीत के दौरान आप कभी भी नेगेटिव शब्दों का उपयोग न करें।
माला की तरह अगर आपके घर में भी ऐसा कोई है, जिसे डिस्थीमिया है, तो आप सावधान हो जाएं। उसे लेकर तुरंत एक्सपर्ट के पास जाएं। इस लेख में हमने "डिस्थीमिया" से जुड़ी सभी जानकारी देने की कोशिश की है। अगर फिर भी आपके मन में कोई सवाल रह गए हैं, तो हमारी वेबसाइट www.onlymyhealth.com में 'Dysthymia' से जुड़े दूसरे लेख पढ़ें या हमारे सोशल प्लेटफार्म से जुड़ें।
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