डायबिटीज रोगियों को क्यों रहती है कब्ज की समस्या? डॉक्टर से जानें Diabetic Gastroparesis से बचाव के टिप्स

गैस्ट्रोपारेसिस की परेशानी को  Diabetic Belly के नाम से भी जाना जाता है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं क्या है ये।
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डायबिटीज रोगियों को क्यों रहती है कब्ज की समस्या? डॉक्टर से जानें Diabetic Gastroparesis से बचाव के टिप्स

डायबिटीज की मरीजों को पूरे जीवन अपने ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रोल और डाइट का ख्याल रखना पड़ता है। ऐसा इसलिए कि कुछ खास कारणों को छोड़ दें, तो डायबिटीज लाइफ स्टाइल से जुड़ी हुई गंभीर बीमारी है। गैस्ट्रोपारेसिस (diabetic gastroparesis) एक ऐसी परेशानी है जो, आमतौर पर डायबिटीज के मरीजों में पेट से जुड़ी परेशानियां पैदा करती है। इसके कारण मरीज का पाचन तंत्र धीमा हो जाता है और खाना सही से पच नहीं पाता। इस बीमारी को विस्तार से समझने के लिए हमने डॉ. शैवाल चंडालिया  (Dr.Shaival Chandalia), सलाहकार एंडोक्रिनोलॉजी और मधुमेह विज्ञान, जसलोक अस्पताल और अनुसंधान केंद्र से बात की, जिन्होंने हमें बताया कि क्या है गैस्ट्रोपारेसिस (what is diabetic gastroparesis)

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क्या है गैस्ट्रोपारेसिस-what is diabetic gastroparesis?

डॉ. शैवाल चंडालिया  (Dr.Shaival Chandalia) की मानें, तो डायबिटीज के मरीजों की यह एक ऐसी समस्या है, जिसमें उनका पाचन तंत्र ठीक से काम नहीं कर पाता है या धीमा हो जाता है। इसे डिलेड गैस्ट्रिक एम्प्टयिंग (delayed gastric emptying) के नाम से भी जाना जाता है। इसके कारण भोजन पेट में लंबे समय तक रहता है और इस वजह से अपच और एसिड रिफ्लक्स  की समस्या होने लगती है। डायबिटीज के मरीजों की ये परेशानी बाकी शरीर और तमाम चीजों को भी प्रभावित करने लगती है।

क्यों होता है गैस्ट्रोपारेसिस? -Diabetic Gastroparesis causes

डॉ. शैवाल के अनुसार डायबिटीज में ज्यादातर रोगियों को कुछ आम परेशानियां होती है।  जैसे कि नर्व डैमेज, किडली डैमेज और आई डैमेज आदि। बात अगर नर्व डैमेज की करें, तो लंबे समय तक डायबिटीज से पीड़ित रहना आपके उन नर्वस को भी नुकसान पहुंचाने लगता है, जो कि पाचन तंत्र को कंट्रोल करते हैं। इन्हें ऑटोनेमिक नर्व्स कहा जाता है। ये पेट के काम-काज को सही रखते हैं और खाना पचाने में मदद करते हैं। पर जब व्यक्ति को लंबे समय तक डायबिटीज से पीड़ित रहता है, तो वो ये नर्व भी डैमेज हो जाता है, जिसके कारण पाचन तंत्र सही से काम नहीं करता, खाना नहीं पचा पाता और खाना पेट में रिस्टोर करने लगता है, जो कि गैस्ट्रोपारेसिस के ही लक्षण हैं।

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गैस्ट्रोपारेसिस के लक्षण -symptoms of gastroparesis

गैस्ट्रोपैरिस के लक्षण हल्के या गंभीर हो सकते हैं, जो कि वेगस तंत्रिका को होने वाली क्षति (damage to the vagus nerve)के आधार पर होता है। यह एक लंबी क्रेनिल नर्व  (cranial nerve) है, जो मस्तिष्क के तने से लेकर पेट के अंगों तक फैली होती है, जिसमें पाचन तंत्र भी शामिल है। लक्षण किसी भी बढ़ सकते हैं लेकिन हाई फाइबर या हाई फैट वाले खाद्य पदार्थों को खाने के बाद ये परेशानी और ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में हम कुछ लक्षणों को महसूस करते हैं। जैसे कि

  • -पेट में जलन
  • -जी मिचलाना
  • -अपच 
  • -भोजन के बाद उल्टी
  • -वजन घटना
  • -सूजन
  • -भूख में कमी
  • -ब्लड शुगर का असंतुलन
  • -पेट में ऐंठन
  • -एसिडिटी

गैस्ट्रोपारेसिस से बचाव का उपाय

डायबिटिक गैस्ट्रोपैरीसिस का कोई इलाज नहीं है, बस आपने अपनी लाइफस्टाइल को सुधार कर इसके लक्षणों से बच सकते हैं। जैसे कि

1. ब्लड शुगर को नियंत्रित रखें

डायबिटिक गैस्ट्रोपैरीसिस होने में ब्लड शुगर का एक बड़ा हाथ होता है। ऐसा इसलिए कि लंबे समय तक हाई, अनियंत्रित ब्लड शुगर के स्तर वाले लोगों में गैस्ट्रोपेरसिस अधिक आम है। ज्यादा समय तक ब्लड शुगर का हाई रहना तंत्रिका क्षति का कारण बनती है। क्रोनिक रूप से हाई ब्लड का स्तर उन रक्त वाहिकाओं को भी नुकसान पहुंचाता है जो शरीर की नसों और अंगों को पोषण और ऑक्सीजन की आपूर्ति करते हैं, जिनमें वेगस तंत्रिका और पाचन तंत्र भी शामिल हैं और दोनों अंततः गैस्ट्रोप्रैसिस की ओर ले जाते हैं। इसलिए ब्लड शुगर कंट्रोल करें और उसके लिए अपनी डाइट सही करें।

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2.डाइट सही रखें और छोटे-छोटे आहार लें

गैस्ट्रोपैरीसिस वाले लोगों को हाई फाइबर वाले खाद्य पदार्थ खाने चाहिए, क्योंकि उन्हें पचाने में अधिक समय लगता है और ये ब्लड शुगर को भी कंट्रोल करने में मदद करते हैं। इसके साथ ही फाइबर का पेट साफ करने और कब्ज से राहत (Diabetes and Constipation)दिलाने में बड़ा हाथ होता है। इन सबके अलावा आपको एक चीज का खास ध्यान रखना चाहिए कि आप दिन भर में कई बार खाएं पर छोड़ा-छोड़ा खाएं। एक बार में ही बड़ी डाइट लेने की कोशिश न करें। 

साथ ही डायबिटीज के मरीजों को खाने में कुछ चीजों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे कि कच्चे खाद्य पदार्थ जैसे सलाद आदि खाएं, ब्रोकोली जैसे हाई फाइबर वाले फल और सब्जियों को खाएं, पानी खूब पिएं और हाई फैट और हाई कार्ब्स वाले खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें।

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