Signs And Symptoms Of Diabetes Distress In Hindi: वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुमान के अनुसार हमारे देश में 18 साल से अधिक उम्र के 77 मिलियन लोग टाइप 2 डायबिटीज का शिकार हैं। जबकि लगभग 25 मिलियन प्री-डायबिटीज हैं। हैरानी तो इस बात की है कि करीब 50 फीसदी लोगों को डायबिटिक होने के बारे में जानकारी ही नहीं है। अगर डायबिटिक होने का समय पर पता न चले, तो यह ओवर ऑल हेल्थ पर बहुत बुरा असर डाल सकता है। डायबिटीज न सिर्फ फिजिकल हेल्थ को इफेक्ट करता है, बल्कि इसका मेंटल हेल्थ पर भी बुरा असर पड़ता है। इसे हम डायबिटीज डिस्ट्रेस के नाम से जानते हैं। डायबिटीज डिस्ट्रेस तब होता है, जब डायबिटीज होने पर व्यक्ति लंबे समय तक परेशान, दुखी और चिंतित रहता है। वह चाहकर भी इस बात को इग्नोर नहीं कर पाता है कि वह डायबिटीज से ग्रस्त है। डायबिटीज डिस्ट्रेस से निपटना है, तो बहुत जरूरी है कि व्यक्ति इसके लक्षणों और कारणों को बेहतर तरीके से समझे। तभी आप डायबिटीज डिस्ट्रेस को मैनेज करने में सफल हो सकेंगे।
डायबिटीज डिस्ट्रेस का कारण- Signs And Symptoms Of Diabetes Distress In Hindi
डायबिटीज डिस्ट्रेस का कारण डायबिटीज का होना ही है। असल में डायबिटीज डिस्ट्रेस का मेडिकल और साइकोलॉजिकल कनेक्शन है। जब व्यक्ति को डायबिटीज डिस्ट्रेस हो जाता है, तब उसे लगता है कि आखिर उसने डायबिटिक होने से पहले अपने ब्लड शुगर को मैनेज करने के लिए सही कदम क्यों नहीं उठाए? अपने ब्लड शुगर की जांच नियमित रूप से क्यों नहीं की और अपनी लाइफस्टाइल में जरूरी बदलाव क्यों नहीं किए? डायबिटीज होने के बाद इस तरह के सवाल मरीज को परेशान करते हैं, जो कि एक समय बाद डायबिटीज डिस्ट्रेस का रूप ले लेता है।
डायबिटीज डिस्ट्रेस के लक्षण
वैसे तो डायबिटीज डिस्ट्रेस महसूस होना होना कोई गलत बात नहीं है। अगर अचानक कोई व्यक्ति ऐसी मेडिकल कंडीशन से जूझने लगे, जो लाइफटाइम साथ रहने वाली है। ऐसी कंडीशन में परेशान या दुखी होना सामान्य होता है। इसके बावजूद, डायबिटीज डिस्ट्रेस होने पर व्यक्ति में अलग किस्म के संकेत या लक्षण नजर आ सकते हैं, जैसे-
- अपनी कंडीशन के बारे में सोच-सोचकर फ्रस्ट्रेटेड होना, परेशान और रहना और डायबिटीज के प्रति गुस्सा आना।
- डायबिटीज होने पर अपने ब्लड शुगर के स्तर को मैनेज करने के लिए कोई ठोस कदम न उठाना। लेकिन, ऐसा करने की वजह से गिल्ट में रहना।
- अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करने के प्रति मोटिवेटेड महसूस न करना।
- रेगुलर ब्लड शुगर की जांच न करना या फिर अपनी डायबिटिक कंडीशन को गंभीरता से न लेना।
- न चाहते हुए भी अनहेल्दी चीजों को अपनी डाइट में शामिल करना और बाद में इस तरह की चीजों को खाने के बाद गिल्ट से भर जाना।
- ऐसा महसूस होना कि ‘मेरे साथ ही ऐसा क्यों हुआ’।
डायबिटीज डिस्ट्रेस से कैसे निपटें
डायबिटीज डिस्ट्रेस को मैनेज करना मुश्किल नहीं है। बस, आपको अपनी फीलिंग को समझना और सही तरह से रिएक्ट करना होगा। यहां हम आपको बता रहे हैं, कुछ जरूरी टिप्स-
- अपनी फीलिंग को समझने की कोशिश करें। यूं तो हर व्यक्ति अपने जीवन में किसी न किसी वजह से परेशान हो सकता है या स्ट्रेस में आ सकता है। डायबिटीज होने पर स्ट्रेस का बढ़ना सामान्य है। आप इसे इग्नोर न करें, बल्कि इसे एक्सेप्ट करें। अगर दो सप्ताह से ज्यादा समय तक आप परेशान हैं, तो बेहतर है कि आप डॉक्टर से संपर्क करें।
- डायबिटीज होने पर खुद को अकेला न समझें। अपने दोस्तों, रिश्तेदारों से बात करें। जो लोग लंबे समय से डायबिटिक हैं, उनसे मिलें और लाइफस्टाइल को मैनेज करने की सलाह लें।
- समय-समय पर अपनी जांच करवाएं और ब्लड शुगर के स्तर पर नजर रखें। जब भी जरूरी हो, डॉक्टर से मिलें और लाइफस्टाइल में जरूरी बदलाव करते रहें। डाइट में ऐसी चीजें न लें, जिसे खाने के बाद गिल्ट हो।
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