ब्रूसीलोसिस एक तरह का संक्रमण है जो कि जेनेटिक होता है। यह ऐसा संक्रमण है जो जानवरों की कुछ प्रजातियों से मानव शरीर में फैलता है। हालांकि इसके लक्षण फ्लू की तरह दिखाई देते हैं, लेकिन यह फ्लू नहीं होता है। फ्लू की तरह लक्षण दिखने के कारण शुरूआत में इसकी पहचान करना थोड़ा मुश्किल होता है। इस लेख में हम आपको ब्रूसीलोसिस के बारे में विस्तार से बता रहे हैं, जिससे कि आप इसमें और फ्लू के बीच के अंतर को आसानी से समझ लें।

क्या हैं इसके लक्षण
- बुखार होना, जो कि दोपहर के समय तेज़ी से चढ़ता है।
- कमर में दर्द होना।
- शरीर में ऐंठन और दर्द।
- भूख में कमी और वजन का कम होना।
- हमेशा सिरदर्द बना रहना।
- रात में सोते वक्त अधिक पसीना आना।
- कमजोरी का एहसास होना।
कब दिखते हैं लक्षण
सामान्यतया बैक्टीरिया के संपर्क में आने के 5 से 30 दिनों के बाद इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं। लक्षणों की तीव्रता और उनसे होने वाली समस्याएं उस ब्रूसेला के प्रकार पर निर्भर करती हैं, जिससे व्यक्ति संक्रमित हुआ है। ब्रूसेला अबोर्टस से हल्के और मध्यम लक्षण दिखते हैं। ब्रूसेला कैनीस के लक्षण पीड़ित में आते-जाते रहते हैं। कैनीस के लक्षणों में उल्टी और दस्त भी होते हैं। ब्रूसेला सुइस विभिन्न अंगो के हिस्से संक्रमित कर सकता है। जिसे एब्सेसेस कहा जाता है। ब्रूसेला मेलिटेंसिस से तीव्र लक्षणों के साथ शारीरिक विकारों का कारण मिलता है।
कैसे बढ़ता है जोखिम
- पुरुषों में यह खतरा अधिक रहता है, फार्म और खेती में लगे लोगों में यह संक्रमण ज़्यादा होता है।
- बैक्टीरिया संक्रमित गाय, बकरी और अन्य जानवरों से प्राप्त बिना पाश्चूरीकृत किये डेयरी उत्पादों का सेवन से।
- ब्रूसेला प्रभावित क्षेत्रों में जाने से खतरा अधिक रहता है।
- मीट प्रोसेसिंग इकाई या बूचड़खाने में काम करने वाले लोगो में।
इनके अलावा शिकारियों और जानवरों में ब्रूसेला का टीकाकरण करने वाले वेटेनरी डॉक्टर्स में भी यह जीवाणु संक्रमण फैला सकता है। अगर आपको भी यह लक्षण दिखे तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।
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