कोलंबिया के शोधकर्ताओं ने नई नैदानिक उपकरण विकसित किया है जिसकी मदद से कि लगभग 2 लाख ज्ञात वायरस स्क्रीन कर सकता हैं। तब भी जबकि उन वायरसों का रूप बदल जाता है। जीहां, ये एक ऐसी सस्ती नैदानिक परीक्षण (वायरल टेस्ट) व्यवस्था है, जोकि डॉक्टरों को बेहतर तरीके से वायरल संक्रमण के सटीक स्रोत की पहचान करने में मदद कर सकती है। चलिये विस्तार से जानें कि भला ये कम पैसे में बेहतर परिणाम देने वाला वायरल टेस्ट क्या है और कैसे काम करता है।
VirCapSeq-VERT परीक्षण
mBio नामक पत्रिका में प्रकाशित एक पेपर के माध्यम से इस टेस्ट से संबंधित विस्तृत जानकारियां मिली। कोलंबिया यूनिवर्सिटी'स मैलमन स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ के सेंटर फॉर इन्फेक्शन एंड इम्युनिटी के शोधकर्ताओं ने इस टेस्ट को डेवलप किया है। इस नैदानिक परीक्षण को VirCapSeq-VERT नाम दिया गया है। लेकन वर्तमान नैदानिक परीक्षण के विपरीत VirCapSeq-VERT परिक्षण एक साथ एक ही बार में सैकड़ों अलग वायरसों का परीक्षण कर सकता है। कोलंबिया में एपिडेमियोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर थौमर ब्राइस के अनुसार VirCapSeq-VERT द्वारा 20 वायरस की जांच के दौरान लगभग 40 डालर का खर्च आता है। जबकि rRNA जैसी अन्य प्रक्रियाओं में प्रति सेंपल 60 डोलर तक का खर्च आता है।
पहले पेपर आधारित एक उपकरण भी हुआ था इजात
कुछ वैज्ञानिकों ने पूर्व में एक पेपर आधारित उपकरण भी विकसित किया था जोकि रोगियों की बीमारी के आधार पर रंग बदलता है। यह उसकी बीमारी या वायसर के प्रकार पर निर्भर करता है। जैसे कि मरीज को उसे इबोला, पीत ज्वर या डेंगू में से क्या हुआ है। इस तकनीक से कम संसाधन होने की स्थिति में भी कुछ ही मिनटों में बीमारी का पता चल जाता है।
बकौल अध्ययनकर्ता किंबरले हमाद शेफरली, वायरल संक्रमण के निदान की दिशा में तकनीकी विशेषज्ञता और महंगे उपकरणों की जरूरत होती है और लोग पॉलीमरेस चेन रिएक्शन (पीसीआर) और जाइम से जुड़े इम्मयूनोसोरबेंट एस्से (ईएलआईएसए) आदि कराते हैं। हालांकि ये परिक्षण बेहद सटीक होता है, लेकिन इन्हें करने के लिये नियंत्रित लैब स्थिति की जरूरत होती है। पीसीआर और ईएलआईएसए बायोएसेस हैं जो क्रमश: सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से पैथोजेंस की खोज और पहचान करते हैं।
यह पेपर उपकरण प्रेगनेंसी की जांच किट की ही तरह रंग बदलने का काम करता है। हमाद शेफरली के अनुसार यह पीसीआर और ईएलआईएसए का विकल्प नहीं है, क्योंकि उनकी सटीकता का मिलान नहीं किया जा सकता है। लेकिन यह एक पूरक तकनीक जरूर है जहां बिना पानी और बिजली के परिक्षण किया जा सकता है।
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