खाना खाते समय होने वाली ये 5 समस्‍याएं ग्रासनली में कैंसर के हैं संकेत

एसोफैगल में कोशिकाओं का असामान्‍य रूप से बढ़ना एसोफैगल कैंसर कहलाता है। इस लेख में एसोफैगल कैंसर के बारे में विस्तार से जानें।
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खाना खाते समय होने वाली ये 5 समस्‍याएं ग्रासनली में कैंसर के हैं संकेत


एसोफैगल कैंसर, ग्रासनली (आपके गले से पेट तक जाने वाला एक लंबा खोखला ट्यूब) में होने वाला कैंसर होता है। ग्रासनली आपके द्वारा खाए और निगले गये भोजन  को पचाने के लिए पेट तक ले जाने का काम करती है। आइये इस लेख में एसोफैगल कैंसर के बारे में विस्तार से जानें।

एसोफेगल कैंसर, एसोफेगस में कोशिकाओं की असामान्य बढ़ोत्तरी है। एसोफेगस वह नली (ट्यूब) होती है, जो गले से आपके पेट तक भोजन और पानी को ले जाती है। एसोफेगस की नार्मल लाईनिंग को स्क्‍वामस एपिथीलियम कहते हैं। यह वह कोशिकीय परत (सेलुलर लाईनिंग) है जो आपके मुंह, गले और फेफड़ों में पाई जाती है।

 

एसोफेगस जहां पर पेट से जुड़ती है वहां इसकी परत एक अलग प्रकार की कोशिकीय बनावट की होती है, जिसमें विभिन्न केमिकल्स का रिसाव करने वाली अनेक ग्रंथियां या संरचनाएं होती हैं। यदि एसोफेगस का कैंसर उस हिस्से से शुरू होता है जहां पर ट्यूब पेट से मिलता है, तो इस कैंसर को स्क्‍वामस सेल कार्सिनोमा कहते हैं। यदि यह एसोफेगस के ग्रंथियों वाले हिस्से से शुरू होता है तो इसे एडेनोकार्सिनोमा (ग्रंथियों की बनावट वाले हिस्सें का कैंसर) कहते हैं।

एसोफैगल कैंसर आमतौर पर ग्रासनली में लाइंड कोशिकाओं में शुरू होता है। यह कैंसर ग्रासनली के साथ कहीं भी हो सकता है, लेकिन खासकर अमरीका में एसोफैगल कैंसर ग्रासनली के निचले हिस्से में सबसे अधिक बार होता है। एसोफैगल कैंसर महिलाओं से अधिक पुरुषों में मिलता है। एसोफैगल कैंसर केवल संयुक्त राज्य अमेरिका में ही आम नहीं है, दुनिया के अन्य हिस्सों में भी जैसे एशिया और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में एसोफैगल कैंसर काफी आम है।

एसोफेगल कैंसर दो प्रकार का होता है:

स्क्‍वामस सेल कार्सिनोमा

स्क्‍वामस सेल कार्सिनोमा, एसोफेगस की लाईन वाली कोशिकाओं में शुरू होता है। इस प्रकार का एसोफेगल कैंसर एसोफेगस में कहीं भी हो सकता है। पहले इस प्रकार का एसोफेगल कैंसर बहुत पाया जाता था। पिछले कुछ दशकों से एडेनोकार्सिनोमा, एसोफेगल कैंसर के अनेक नए मामलों से संबंधित है।

एडेनोकार्सिनोमा

एडेनोकार्सिनोमा, एसोफैगस के निचले सिरे पर शुरू होता है जहां यह पेट में खुलती है। जहां लाईनिंग कोशिकाऐं, ग्रंथियों के प्रकार की कोशिकाओं (ग्रेंडुलर टाईप सेल्स) में बदलती हैं वहां से यह शुरू होता है। इस स्थिति को बैरेट्स एसोफैगस कहते हैं।

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एसोफैगल कैंसर के लक्षण 

- निगलने में कठिनाई (निगरणकष्ट)

- कोशिश कर के बिना वजन में कमी

- सीने में दर्द, दबाव या जलने

- थकान

- खाते समय लगातार श्वसन मार्ग में अवरोध

- अपच या एंठन 

- खांसी या स्वर बैठना

हालांकि एसोफैगल कैंसर के शुरूआत में कोई प्रत्यक्ष लक्षण नहीं दीखाई देते हैं, और रोग के बढ़ने के साथ इसके लक्षण उजागर होने लग जाते हैं।  

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अनेक विशेषज्ञ इस बढ़ोत्तरी का सम्बन्ध एसोफैगस के निम्न स्तर में स्टमक कंटेंट के रिगरगिटेशन से जोड़ते हैं और इसे गैस्ट्रोयएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (जीईआरडी) कहते हैं। एसोफैगल कैंसर के किसी भी लक्षण के लगातार दिखने पर अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

एसोफेगल कैंसर एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में आमतौर से पाया जाता है लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका में यह कम पाया जाता है। हालांकि एसोफेगल के एडेनोकार्सिनोमा के मामलों की संख्या संयुक्त राज्य में लगभग सभी अन्य कैंसर मामलों से ज्यादा तेजी से बढ़ रही है।

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