गर्भावस्था में तनाव को इस तरह करें छूमंतर

गर्भावस्था किसी भी स्त्री के लिए एक खूबसूरत दौर होता है, लेकिन इस दौरान महिला खुश ही रहे, ऐसा जरूरी नहीं है। गर्भावस्था में महिला के शरीर में जब हार्मोनल बदलाव होते हैं तो शारीरिक के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है। इस स्थिति में अधिकतर महिलाओं को मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन या अत्यधिक तनाव का सामना करना पड़ता है। जिसके कारण महिला व उसके गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
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गर्भावस्था में तनाव को इस तरह करें छूमंतर

गर्भावस्था किसी भी स्त्री के लिए एक खूबसूरत दौर होता है, लेकिन इस दौरान महिला खुश ही रहे, ऐसा जरूरी नहीं है। गर्भावस्था में महिला के शरीर में जब हार्मोनल बदलाव होते हैं तो शारीरिक के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है। इस स्थिति में अधिकतर महिलाओं को मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन या अत्यधिक तनाव का सामना करना पड़ता है। जिसके कारण महिला व उसके गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

गर्भावस्था में अधिकतर महिलाएं तनाव की शिकायत करती हैं। यह तनाव उन्हें मानसिक रूप से बैचेन करता है और फिर महिला का शारीरिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। हालांकि ऐसी कई महिलाएं होती हैं, जिन्हें यह समझ ही नहीं आता कि इन तनाव को कैसे छूमंतर किया जाए। अगर आप भी ऐसी ही किसी कशमकश से जूझ रही हैं तो यह टिप्स यकीनन आपके लिए मददगार होंगे।

दूर करें डर

इन्द्रप्रस्थ अपोलो हॉस्टिपल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रंजना शर्मा कहती हैं कि एक गर्भवती स्त्री के तनाव की मुख्य वजह होती है 'फियर ऑफ अननोन' अर्थात किसी अज्ञात का डर। अक्सर गर्भवती स्त्री को यह चिंता सताती रहती हैं कि न जाने आगे क्या होगा? उसकी डिलीवरी कैसी होगी, बच्चा स्वस्थ होगा या नहीं? इतना ही नहीं, जैसे-जैसे प्रेग्नेंसी पीरियड बढ़ता जाता है, महिला के शरीर में होने वाले बदलाव भी कई बार उसे काफी परेशान करते हैं। जिसके कारण महिला खुद को काफी तनावग्रस्त महसूस करती है।

प्रोफेशनल की मदद

जब भी एक गर्भवती स्त्री खुद को अधिक तनावग्रस्त महसूस तरें तो यह जरूरी है कि किसी प्रोफेशनल की मदद ली जाए। अगर आप किसी बात को लेकर टेंशन में हैं या फिर आपको लगता है कि आपकी प्रेग्नेंसी में किसी तरह की दिक्कत है तो अनावश्यक तनाव लेने से अच्छा है कि आप इस बारे में अपनी गाइनेकोलोजिस्ट से बात करें। हो सकता है कि आप जिस बात को सोच-सोचकर चिंता में है, वास्तव में वैसी कोई दिक्कत हो ही नहीं। इसके अतिरिक्त अगर गर्भावस्था में तनाव बहुत अधिक बढ़ गया हो तो प्रेग्नेंसी स्ट्रेस से निपटने में काउंसिलिंग या फिर कुछ दवाईयां भी मदद करती हैं।

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इंटरनेट का सहारा

डॉ. रंजना कहती हैं कि वर्तमान में इंटरनेट ज्ञान का महासागर बन चुका है और हर तरह की जानकारी एक क्लिक पर उपलब्ध है। लेकिन गर्भावस्था में अगर आप किसी जानकारी को जुटाना चाहती हैं तो बेहतर होगा कि किसी प्रोफेशनल साइट पर ही जाएं। किसी भी वीडियो या जानकारी पर यूं ही भरोसा न करें। इसके अतिरिक्त एक स्त्री के गर्भवती होने के बाद उसके परिजन व अन्य महिलाएं उन्हें कई तरह की सलाह देती हैं, जिन पर आंख मूदकर विश्वास नहीं करना चाहिए। इससे भी तनाव की स्थिति उत्पन्न होती है। इसलिए जरूरी है कि गर्भावस्था में किसी बात को मानने या उस पर विश्वास करने की बजाय एक बार विशेषज्ञ से बात अवश्य करें।

अपनों का साथ

गर्भावस्था में महिला का स्वास्थ्य आम दिनों जैसा बेहतर नहीं होता। साथ ही उसके भीतर होने वाले हार्मोनल बदलाव उसे मन ही मन परेशान करते हैं। इस स्थिति में अगर अपनों का साथ मिल जाए, तो महिला मानसिक रूप से काफी अच्छा महसूस करती है। इसलिए जब भी आप परेशान हों तो अपने परिवार के सदस्यों से बात अवश्य करें। अगर आपके लिए परिवार के सदस्यों से बात करना सहज नहीं है, तो आप अपनी किसी दोस्त से बात करके भी तनाव को कम कर सकती हैं।

करें जो मन कहे

डॉ. रंजना कहती हैं कि एक गर्भवती स्त्री अपनी प्रेग्नेंसी में ऐसे व्यवहार करती है, जैसे कि वह कोई बीमार महिला हो। लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। पूरा दिन बेड पर लेटे रहना या फिर हरदम कुछ न कुछ सोचते रहना आपके और गर्भस्थ शिशु के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं है। इस अवस्था में तनाव कम करने का सबसे आसान और बेहतर तरीका है कि आप वह चीजें करें, जिसे करने से आपको भीतर से खुशी प्राप्त होती हो। वह कुछ भी हो सकता है, फिर चाहे वह गाने सुनना हो, एक्सरसाइज करना, पेंटिंग करना, किताबें पढ़ना या फिर कुछ और। वैसे तनाव को कम करने में मेडिटेशन व योग भी बेहद कारगर माना गया है।

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जानें इनके भी अनुभव

हाउसवाइफ और एक मां किरण भारद्वाज बताती हैं कि अपनी प्रेग्नेंसी के समय वह इंडिया में नहीं थीं, जिसके कारण वह अपनों से बहुत दूर थीं और उनकी प्रेग्नेंसी में उन्हें काफी कॉम्प्लिकेशन्स भी थीं, जिसके कारण उनके मन में हमेशा ही एक डर रहता था। ऐसे में वह किसी शांत जगह पर जाकर कुछ देर अकेले बैठना पसंद करती थीं, इससे वह मन ही मन काफी रिलैक्स हो जाती थीं। इसके अतिरिक्त जब भी उन्हें काफी डर का अहसास होता था, तो वह भागवत कथा में श्रीकृष्ण लीलाएं पढ़ती थीं। उन्हें पढ़ने के बाद उन्हें अहसास होता कि उन्हें या उनके गर्भस्थ शिशु को किसी प्रकार की समस्या नहीं होगी। आज किरण दो बच्चों की मां हैं। वह और उनके बच्चे बिल्कुल स्वस्थ हैं।

वहीं एक एमएनसी में काम करने वाली गीता का अनुभव इससे कुछ अलग है। गीता कहती हैं कि उन्हें हमेशा से ही एक्सरसाइज करना काफी अच्छा लगता रहा है। लेकिन जब वह गर्भवती हुईं, तो उनके परिवार के सदस्य उन्हें एक्सरसाइज करने से मना करते थे। कुछ समय तक तो उन्होंने ऐसा ही किया लेकिन फिर धीरे-धीरे उनके भीतर एक चिड़चिड़ापन और आलस्य आने लगा। कुछ समय बाद गीता ने अपनी डॉक्टर से इस बारे में बात की। उसके बाद डॉक्टर ने उन्हें समझाया कि वह प्रेग्नेंट हैं, बीमार नहीं। इतना ही नहीं, एक्सरसाइज करने से उनका बच्चा अधिक स्वस्थ होगा। जिसके बाद डॉक्टर की सलाह पर गीता ने कुछ व्यायाम करने शुरू किए। इसके अतिरिक्त गीता कुछ समय वॉक, मेडिटेशन और योग को भी देती थी। उसके बाद गीता ने एक बेहद प्यारे और स्वस्थ बेटे को जन्म दिया।

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