फिल्मी गानों में तिल को खूबसूरती का पर्याय भले माना गया है मगर क्या आप जानते हैं कि तिल और मस्से एक तरह का त्वचा रोग हैं, जो कई बार खतरनाक हो सकता है। जी हां, हम सबके शरीर में कुछ हिस्सों पर जन्मजात तिल होते हैं। मगर कुछ लोगों के शरीर में बड़े होने के बाद भी तिल और मस्से उभरने लगते हैं। इन्हें सामान्य समझकर नजरअंदाज करना आपके लिए खतरनाक हो सकता है क्योंकि ये एचपीवी इंफेक्शन संकेत हो सकते हैं।
एचपीवी यानी ह्यूमन पैपिलोमावायरस, 150 से ज्यादा वायरसों का एक समूह है, जो पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित कर सकता है। कुछ प्रकार के एचपीवी वायरस के कारण त्वचा पर मस्से और तिल उभर आते हैं। पुरुषों को इस रोग का ज्यादा खतरा होता है और इस रोग के कारण उनके लिंग या इसके आस-पास के हिस्से पर मस्से उभर आते हैं। यही नहीं, एचपीवी वायरस कई प्रकार के कैंसर के खतरों को भी बढ़ाता है।
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क्या खतरनाक है एचपीवी इंफेक्शन
एचपीवी इंफेक्शन कई बार खतरनाक हो सकता है क्योंकि इसके कारण कई तरह के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। मगर ज्यादातर मामलों में ये कैंसरकारी नहीं होते हैं। इस तरह के इंफेक्शन का खतरा उन पुरुषों को ज्यादा होता है, जो पुरुषों से ही शारीरिक संपर्क बनाते हैं। इसके अलावा सिगरेट और शराब के सेवन से भी एचपीवी इंफेक्शन और इससे होने वाले अलग-अलग कैंसर का खतरा होता है।
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क्या हैं एचपीवी इंफेक्शन के लक्षण
- लिंग या योनि पर मस्से उभरना
- गुदा द्वार पर मस्से हो जाना
- हाथ, उंगलियों, कोहनी आदि अन्य अंगों पर मस्से उभरना
- तलवों में होने वाले मस्से या गोखरू
- गर्दन या चेहरे पर मस्से उभरना
- सर्वाइकल कैंसर हो जाना
एचपीवी संक्रमण का कारण
एचपीवी संक्रमण का कारण एक प्रकार का वायरस होता है, जिसे ह्यूमन पैपिलोमावायरस कहते हैं। ये वायरस शरीर में किसी घाव, कटी हुई त्वचा आदि के माध्यम से पहुंच जाते हैं। इसके अलावा यौन अंगों में होने वाले मस्से शारीरिक संबंध बनाने या त्वचा से त्वचा के संपर्क में आने से भी फैल सकते हैं। जिन महिलाओं को एचपीवी होता है, गर्भावस्था के दौरान उनके मस्से और ज्यादा बढ़ने लगते हैं। गर्भवती महिलाओं में कई बार मस्से योनि मार्ग में बाधा बनते हैं, जिससे नॉर्मल डिलीवरी में समस्या आती है। कमजोर इम्यूनिटी के कारण इस तरह के वायरस का खतरा बढ़ जाता है।
क्या है एचपीवी संक्रमण का इलाज
एचपीवी संक्रमण के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है। आमतौर पर इस वायरस से बचाव के लिए एचपीवी टीके लगाए जाते हैं। ये टीके 11-12 साल की उम्र में लड़के-लड़कियों को लगाए जाते हैं।
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