बिटेन और नीदरलैंड के शोधकर्ताओं के अनुसार मिट्टी में मौजूद बैक्टीरिया कैंसर और ट्यूमर के इलाज में मदद कर सकते हैं। नॉटिंघम विश्वविद्यालय से शोधकर्ताओं और नीदरलैंड में मासट्रीच्ट विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कैंसर का मुकाबला करने के लिए मिट्टी में बैक्टीरिया (क्लोस्ट्रीडियम स्पॉरोजेंस) की खोज की है। हालांकि यॉर्क, इंग्लैंड में एक सम्मेलन में अपने काम को प्रस्तुत करते समय प्रमुख शोधकर्ताओं ने कहा कि 2013 तक वे कैंसर रोगियों में तनाव(स्ट्रैन) का पता लगाने की उम्मीद है। यदि इस प्रक्रिया में सफल होते है तो वे इस विधि का कैंसर का मुकाबला करने के अन्य उपचार विधियों के साथ सम्मिलित करेंगे।
जब क्लोस्ट्रीडियम स्पोरोजेंस सीधे ट्यूमर के अंदर जाता है, तो यह वहां बढ़ता है और एक एंजाइम को छोड़ता है, जोकि कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए अलग से दी गई दवाओँ को सक्रिय करती है। हालांकि, शौधकर्ताओं ने चिकित्सीय परीक्षण के लिए प्रयोशाला प्रायोगिक चिकित्सा करने के लिए कई सुधार किये है। एक जीवाणु के डीएनए में जीन को सम्मिलित किया। यह जीवाणुओं की क्षमता को बढ़ाता है और अपनी सक्रिय स्थिति में प्रो-ड्रग को ट्रिगर करता है।
अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता निगेल मिंटन ने बताया कि क्लोस्ट्रीडियम स्पोरोजेंस कैंसर थेरेपी के लिए (केंडीडेट चिकित्सा स्वस्थ कोशिकाओं को प्रभावित नहीं करता है) अच्छा केंडीडेट है। यह इसलिए क्योंकि यह वातावरण में जीवाणु पैदा करते है जोकि कम ऑक्सीजन के स्तर में होते है। उन्होंने आगे कहा कि जब क्लोस्ट्रीडियम एक कैंसर रोगी के शरीर में दिया जाता है, यह केवल कम ऑक्सीजन वाले क्षेत्र में ही बढ़ता है अर्थात गंभीर ट्यूमर का केंद्र है।
मिल्टन के अनुसार, क्लोस्ट्रीडियम स्पोरोजेंस सभी प्रकार के ट्यूमर से लड़ने में मदद करता है। यह सर्जिकल द्वारा ट्यूमर को हटाने की अपेक्षा एक बेहतर विकल्प है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां पहुंचना संभव नही है। इसलिए, क्लोस्ट्रीडियम अंततः सुरक्षित और सरल तरीके के रूप में विभिन्न प्रकार के गंभीर ट्यूमर से निपटने के लिए एक आसान तरीका है।