एक नए ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित अनुसंधान से पता चलता है, ट्रेफिक छह घंटे तक प्रदूषण में रहने वालों में के लिए दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है।
डॉ. कृष्णन भास्करन और उनके सहयोगियों ने वर्ष 2003 से 2006 तक 79,288 दिल का दौरा पड़ने के मामलों की समीक्षा की। रिसर्च टीम ने अपने क्षेत्रीय वायु प्रदूषण (ब्रिटेन के राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता पुरालेख से लिया) की जानकारी के साथ प्रत्येक दिल का दौरा पड़ने के दर्ज समय की तुलना की। प्रदूषक कणों (पीएम 10), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ 2), कार्बन मोनोऑक्साइड (सीओ 2), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) और ओजोन को जांच में प्रदूषक तत्व पाये गये। इनमें प्रदूषक कणों और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के उच्च स्तर यातायात से संबंधित प्रदूषण का मुख्य चिन्ह हैं।
शोधकर्ताओं ने पाया कि ट्रेफिक प्रदूषक तत्व दिल के दोरे के जोखिम में पूरी तरह से वृद्धि नही करता है। बल्कि जोखिम क्षणिक था औऱ सिर्फ एक से छह घंटे के लिए ही बना रहता है। प्रदूषण में रहने के 72 घंटो के बाद, पांच प्रदूषक तत्वो को दिल के दोरे के उच्च जोखिम के साथ संबंधित पाया गया है। हालांकि, लोगो में हृदय संबंधी घटनाओं के जोखिम जो कि पहले से जोखिम में होते है।
1-6 घंटे के लिए नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जोखिम म्योकार्डियल इन्फार्क्शन के अल्पकालिक अवधि जोखिम में वृद्धि के साथ जुड़े थे।
अध्ययन के शोधकर्ताओं का कहना है कि विभिन्न तंत्र के माध्यम से ट्रेफिक प्रदूषण दिल के दोरे का खतरा बढ़ाता है। प्रदूषक तत्व रक्त चाप में वृद्धि करते है। परिणामस्वरूप दिल की बिमारियों से व्यक्ति ग्रस्त हो जाता है।
हालांकि प्रदूषण व्यापक टाइमस्केल के लिए दिल के दौरा के जोखिम में वृद्धि करता नहीं पाया गया। अध्ययन के शोधकर्ताओं का कहना है कि शोध के सेंपल में दिल के दौरा किसी भी तरह से घटित हुआ होगा, लेकिन यह प्रदूषण के कारण था तो उनको पहले घटित हुआ। इसलिए दिल का दौरा पड़ने के जोखिम वाले लोगो को यह सलाह दी जाती है, अधिक समय तक और लगातार अधिक ट्रेफिक प्रदूषण से बचें।
अब तक शोध ने साबित किया है कि दिल की बिमारीसे अकाल मृत्यु के लिए जिम्मेदार ट्रेफिक प्रदूषण को देखा गया है। हालांकि वहां केवल कुछ अध्ययन है जोकि हृदय रोग के जोखिमों के स्तर का अध्ययन किया है। यह अध्ययन इस शोध क्षेत्र में काफी योगदान देता है।