
Risk And Prevention Of Uterine Cancer In Hindi: कैंसर एक घातक बीमारी है। इसके कई प्रकार होते हैं। महिलाएं और पुरुष दोनों इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। हालांकि, कुछ प्रकार के कैंसर ऐसे होते हैं, जो सिर्फ महिलाओं को हो सकते हैं, जैसे गर्भाशय कैंसर। यह कैंसर भी दो प्रकार के होते हैं। इसमें एक है, एंडोमेट्रियल कैंसर और गर्भाशय सारकोमा। एंडोमेट्रियल कैंसर सामान्य है और इससे रिकवर होने की संभावना भी काफी होती है। वहीं, गर्भाशय सारकोमा बहुत ही रेयर मामलो में होता है और इससे रिकवरी भी मुश्किल से हो पाती है। इसकी स्थितियों को देखते यह हर महिला को गर्भाशय के कैंसर के बारे में पता होना चाहिए ताकि वह पहले से ही कुछ सावधानियां बरतकर इस गंभीर बीमारी से खुद को बचा सके। दरअसल, जिनके परिवार में इस घातक बीमारी है, उन्हें इसको लेकर सावधान रहना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि आप इसके लक्षण, रिस्क फैक्टर को भी जानें। इस संबंध में शारदा अस्पताल में स्त्री रोग विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. नीरजा गोयल बता रहे हैं महत्वपूर्ण बातें।
गर्भाशय कैंसर के लक्षण (Uterine Cancer Symptoms)
गर्भाशय कैंसर होने पर महिलाओं में कई तरह के लक्षण नजर आते हैं। इसमें योनि से असामान्य तरीके से रक्तस्राव होना यानी ब्लीडिंग होना, स्पॉटिंग होना या फिर योनि से डिस्चार्ज होना। इसी तरह प्रीमेनोपॉजल महिलाओं में भी इसके लक्षण दिखते हैं, जैसे हैवी ब्लीडिंग होना या लंबे समय तक ब्लीडिंग होना। इसके अलावा, कुछ महिलाओं को गर्भाशय कैंसर होने पर पेल्विक एरिया में काफी दर्द होता है, पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है और सेक्स के दौरान भी दर्द का अनुभव होता है।
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गर्भाशय कैंसर के रिरस्क फैक्टर (Uterine Cancer Risk Factors)
उम्र (Age): बढ़ती उम्र में अक्सर इस बीमारी की आशंका बढ़ जाती है। विशेषकर 50 की उम्र के बाद महिलाओं को गर्भाशय कैंसर का खतरा अधिक होता है। 45 से कम उम्र की महिलाओं को इस बीमारी के होने के चांसेज कम होते हैं।
मोटापा (Obesity): जिन महिलाओं का वजन बहुत ज्यादा होता है या फिर जो महिलाएं मोटापे का शिकार होती हैं, उन्हें भी गर्भाशय कैंसर का रिस्क होता है। दरअसल, मोटे लोगों में फैटी टिश्यूज होते हैं, जो कि अतिरिक्त मात्रा में एस्ट्रोजन का उत्पादन करते हैं। यह एक तरह का सेक्स हार्मोन है, जो कि यूटेरिन कैंसर के रिस्क को बढ़ाता है।
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हार्मोन थेरेपी (Hormone Therapy): आजलक हार्मोन थेरेपी भी कई महिलाएं लेती हैं। हार्मोन थेरेपी करवाने के कारण गर्भाशय कैंसर का रिस्क बढ़ जाता है। इसी तरह, अगर किसी ने किसी अन्य प्रकार के कैंसर से बचने के लिए रेडिएशन थेरेपी करवाई होगी, तो उन्हें भी गर्भाशय कैंसर का जोखिम होता है।
ब्लड शुगर (Blood Sugar Level): अगर किसी महिला को लंबे समय से शुगर है, तो उन्हें भी गर्भाशय कैंसर का रिस्क होता है। विशेषकर जिन महिलाओं का वजन ज्यादा है और डायबिटीज भी है, उन्हें इसके रिस्क से सावधान रहना चाहिए।
गर्भाशय कैंसर से बचने के उपाय (Prevention Of Uterine Cancer)
वजन को नियंत्रित करें (Control Obesity): मोटापा या वजन का बढ़ना यूटेराइन कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है। इसलिए, अपने वजन को नियंत्रित रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है।
स्वस्थ आहार लें (Healthy Diet): एक स्वस्थ आहार लेना यूटेराइन कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। फल, सब्जियां, व्होल ग्रेन, अखरोट, मूंगफली और सूखे फल आदि खाने से यूटेराइन कैंसर के रिस्क को कम किया जा सकता है।
अल्कोहल और धूम्रपान से बचें (Avoid Alcohol): अधिक मात्रा में अल्कोहल और धूम्रपान करने से यूटेराइन कैंसर की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए, ये चीजें नहीं खानी चाहिए या कम से कम सेवन करना चाहिए।
नियमित रूप से व्यायाम करें (Regular exercise): जो महिलाएं एक्सरसाइज नहीं करती हैं, उन्हें कई तरह की बीमारियां होने का रिस्क हमेशा बना रहता है। एक्सरसाइज करने से आप न सिर्फ यूटेराइन कैंसर के रिस्क को कम कर सकती हैं, बल्कि ओवर ऑल स्वाथ्य को भी बेहतर रख सकती हैं।
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