बबूल का पेड़ आपको आसानी से अपने आस-पास के इलाके में दिख जाएगा, यह कांटेदार और घना होता है। बबूल ठंडी तासीर का है और इसका इस्तेमाल (use of acacia) आयुर्वेद में कई बीमारियों के इलाज के लिए बनने वाली दवाइयों में किया जाता है। बबूल के पेड़ को अगर पोषक तत्वों का खजाना कहेंगे तो गलत नहीं होगा क्योंकि ये विटामिन और खनिजों का एक अच्छा सोर्स है। बबूल की छाल से लेकर इसके फूल और पत्ते तक सभी शरीर को स्वस्थ और बीमारियों से दूर रखने में (What is the health benefit of acacia) असरदार साबित हो सकते हैं। बबूल की छाल टैनिन और पॉलीफेनोलिक (polyphenolic compounds) से भरपूर होती है। इस लेख में हम रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा से जानेंगे शरीर से जुड़ी 4 समस्याओं जैसे- दांतों में दर्द, खांसी, जलन और ज्यादा पसीना आने में बबूल का सेवन कैसे करें और इसके फायदे।
1: दांतों की बीमारी के लिए बबूल की छाल- Babool bark for dental disease
बबूल (कीकर) की छाल दांतों के लिए एक अच्छी आयुर्वेदिक दवाई (ayurvedic medicine) है। दांतों में कीड़ा लगना, मसूड़ों में सूजन आना, दांतों में दर्द होना (toothache), मसूड़ों से खून आना जैसी समस्याओं के लिए बबूल की छाल फायदेमंद साबित होती है। दांतों के दर्द से आराम पाने के लिए आपको बबूल की छाल (acacia bark) के साथ इसके पत्तों, फूल और फलियां का भी पाउडर चाहिए होगा। डॉक्टर श्रेय ने बताया बबूल से दांतों की बीमारी कैसे दूर करें (how to cure dental disease), बबूल की छाल के साथ सभी को बराबर-बराबर मात्रा में मिलाएं और इससे मंजन करें। बबूल से बने इस मंजन से दांतों के रोग दूर होते हैं और साथ ही दांत मजबूत भी होते हैं।
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2: खांसी के लिए बबूल की छाल का इस्तेमाल- Use of Babool bark for cough
बदलते मौसम के साथ सर्दी और खांसी की समस्या एक आम बात है। इस मौसम में अगर खास ख्याल न रखा जाए तो शरीर जल्द ही बीमारियों की चपेट में आ सकता है, कई लोगों को एक बार खांसी जब शुरू हो जाए तो 15 से 20 दिन तक सही नहीं होती। अगर आप भी खांसी से परेशान हैं और ज्यादा खांसी आने पर क्या खाना चाहिए (how to stop uncontrollable coughing) इसका जवाब ढूंढ रहे हैं तो इसके लिए भी आयुर्वेद में बबूल का उपयोग बताया गया है। खांसी के लिए बबूल की छाल के 1 या 3 ग्राम चूर्ण (पाउडर) में शहद मिलाकर सेवन करने से खांसी में आराम मिलेगा।
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3: बबूल से नकसीर का आयुर्वेदिक इलाज- Ayurvedic treatment of nosebleeds with Babool
शरीर में गर्मी बढ़ने के कारण कुछ लोगों को नकसीर की समस्या होती है। इस समस्या से लिए आयुर्वेद में बबूल का इस्तेमाल (What is the Ayurvedic medicine for Epistaxis) बताया गया है। बबूल की तासीर ठंडी होती है, ऐसे में नकसीर की समस्या के लिए यह लाभदायक साबित हो सकता है। इसके लिए बबूल की फली और गोंद का प्रयोग किया जाता है। इसके सेवन से आपको नाक से खून बहने की समस्या से आराम मिल सकता है।
4: शरीर में जलन के इलाज में बबूल का इस्तेमाल- Babool use in body irritation treatment
शरीर में जलन होने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन अगर आपके शरीर में गर्मी के कारण जलन होती है तो इसके इलाज में भी बबूल की छाल कारगर साबित हो सकती है। बबूल की छाल के साथ मिश्री मिलाकर काढ़ा तैयार करें और इसे पिएं। बबलू की छाल के काढ़े से आपके शरीर की जलन शांत हो सकती है।