असुरक्षित गर्भपात की वजह से हर साल इतनी महिलाओं की होती है मौत

दुनियाभर में हर साल लगभग 5.6 करोड़ गर्भपात असुरक्षित तरीके से होते हैं। 
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असुरक्षित गर्भपात की वजह से हर साल इतनी महिलाओं की होती है मौत


दुनियाभर में हर साल लगभग 5.6 करोड़ गर्भपात असुरक्षित तरीके से होते हैं। इससे हर साल कम से कम 22,800 महिलाओं की मौत हो जाती है। ये चौंकाने वाली जानकारी पिछले एक दशक में वैश्विक गर्भपात ट्रेंड्स पर गुटमेचर इंस्टीट्यूट की सबसे व्यापक रिपोर्ट में दी गई है। गर्भपात पर प्रतिबंध लगाने से महिलाओं को गर्भावस्था खत्म करने से नहीं रोका जा सकता, बल्कि ऐसी स्थिति में वे अनचाहे गर्भ को गिराने के लिए खतरनाक तरीकों का सहारा ले सकती हैं। इससे जोखिम बढ़ जाता है।

लापरवाही के चलते होता है ऐसा 

हार्ट केअर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. केके अग्रवाल कहते हैं, 'गर्भपात की ऊंची दर के प्रमुख कारणों में एक यह भी है कि बहुत से क्षेत्रों में लोगों को अच्छे गर्भनिरोधक नहीं मिल पाते हैं, जिस वजह से अनचाहे गर्भ के मामले बढ़ने लगते हैं। गर्भपात की गोलियां प्रभावी हो सकती हैं, बशर्ते उन्हें सही तरीके से लिया जाए। हालांकि कई महिलाओं को उन्हें लेने का सही तरीका मालूम नहीं होता है, जो उनके स्वास्थ्य के लिए घातक भी हो सकता है।'

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उन्‍होंने कहा, 'केवल कुछ प्रतिशत महिलाओं की पहुंच ही गर्भपात की गोलियों तक है. ऐसे में बाकी महिलाओं को भी इस बारे में सही जानकारी देने की जरूरत है, ताकि वे इन गोलियों का उपयोग कर सकें और किसी मुश्किल स्थिति में अच्छे अस्पताल तक पहुंच सकें।'

जागरूकता की है जरूरत

डॉ. अग्रवाल ने बताया, 'गर्भ निरोधकों और गर्भपात के बारे में शिक्षा व जागरूकता की जरूरत है. स्थिति का आकलन करने के लिए, समय की जरूरत है कि सुरक्षित गर्भपात को वास्तविकता के नजरिये से देखा जाये और पूरे देश में इसकी सुविधा उपलब्ध हो. यह तय करना भी जरूरी है कि समाज के सभी स्तरों की महिलाओं को सही जानकारी मिले।'

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गर्भपात के लिए एनस्थीसिया देकर सर्जरी के जरिये गर्भ को हटाया जा सकता है। गोलियों के जरिए भी ऐसा किया जा सकता है। ये दवाएं गर्भपात को ट्रिगर करने के लिए हार्मोन में बदलाव लाती हैं। चिंता दूसरे तरीके के बारे में है, जिसमें गोलियों को निगला जाता है या उन्हें महिला के प्राईवेट पार्ट में रखा जाता है। सुरक्षित गर्भपात के लिए जन-स्वास्थ्य सेवा केंद्रों में सुविधाओं को सुधारने की जरूरत है, जबकि जागरूकता कार्यक्रमों से कई महिलाओं को दवाओं का गलत उपयोग करने से रोका जा सकता है।

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