84 की उम्र में डा. कलाम का निधन : जानें कैसे उम्र के साथ बढ़ता है कार्डियक अरेस्‍ट का खतरा

शिलांग में एक सेमिनार में बोलते हुए सडेन कार्डियक अरेस्‍ट के कारण पूर्व राष्‍ट्रपति डा. एपीजे अब्‍दुल कलाम का निधन हो गया। जानें कैसे बढ़ती उम्र के साथ बढ़ता है कार्डियक अरेस्‍ट का खतरा।
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84 की उम्र में डा. कलाम का निधन : जानें कैसे उम्र के साथ बढ़ता है कार्डियक अरेस्‍ट का खतरा

शिलांग में एक सेमिनार में बोलते हुए सडेन कार्डियक अरेस्‍ट के कारण पूर्व राष्‍ट्रपति डा. एपीजे अब्‍दुल कलाम का निधन हो गया। 1 अक्टूबर 1931 को रामेश्‍वरम में जन्मे मिसाइल मैन की उम्र लगभग 84 साल थी। उम्र के इस पड़ाव पर भी वह हेल्‍दी दिखते थे और उनके अंदर जोश और जज्‍बा युवाओं की तरह था। उन्‍हें देखकर कोई यह नहीं बता सकता था कि उनको कार्डियेक अरेस्‍ट भी हो सकता है। लेकिन अचानक उनके दिल ने धड़कना बंद कर दिया और पूरा देश शोक में डूब गया। आखिर उम्र के इस पड़ाव पर कार्डियेक अरेस्‍ट यानी दिल के दौरे की संभावना क्‍यों होती है, इसके बारे में आइए विस्‍तार से जानते हैं।


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Cardiac Arrest Among Senior People in Hindi

 

कलाम से जुड़ी कुछ अहम बातें

आईआईएम शिलॉग में एक कार्यक्रम में भाषण देते हुए डा. कलाम अचानक गिर गए और उनके दिल ने धड़कना बंद कर दिया। तमिलनाडु के रामेश्वरम में जन्मे अब्दुल कलाम भारत के हर दिल में बसते थे। हर उम्र वर्ग के लोग उनके मुरीद थे और बच्‍चों ही नहीं युवाओं और उम्रदराज लोगों के लिए भी वे एक प्रेरणा थे। मिसाइल मैन के नाम से मशहूर डा. कलाम 2002 से 2007 तक भारत के 11वें राष्ट्रपति रहे। इनको 1997 में भारत रत्न से नवाजा गया। अब्दुल कलाम ने 27 जुलाई की सुबह 11.30 बजे आखिरी ट्वीट किया था, "शिलांग जा रहा हूं। लिवेबल प्लेनेट अर्थ पर आईआईएम में एक कार्यक्रम में भाग लेने।" डा. कलाम के विजन को सभी ने माना और इनके द्वारा बताये गयी बातें जीवन के हर कदम पर हमको प्रेरित करेंगी।

क्या है सडेन कार्डियक अरेस्ट

केवल सडेन कार्डियक अरेस्ट अर्थात अचानक हार्ट अटैक (एससीए) से हर साल तीन लाख लोगों की मौत होती है, जिनमें 7 हजार बच्चे भी शामिल होते हैं। जिन लोगों को पहले हार्ट अटैक हो चुका हो वे इससे सामान्य लोगों की तुलना में चार गुना से अधिक प्रभावित होते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, एससीए से हर दो मिनट पर एक इंसान की मौत हो जाती है। जितनी मौतें स्तन कैंसर, फेफ़डे के कैंसर या एड्स से नहीं होती, उससे कहीं ज्यादा एससीए से हो जाती हैं। दुर्भाग्यवश 60 फीसदी से अधिक लोग अब भी इस बीमारी से अज्ञात हैं।

कार्डियक अरेस्ट में दिल के बंद होने से रक्त का संचरण पूरी तरह बंद हो जाता है। लेकिन अगर कार्डियक अरेस्ट होने के कुछ मिनटों में पीड़ित को को सीपीआर दे दिया जाए तो उसकी असामयिक मृत्यु को टाला जा सकता है और उसके जीवित रहने की संभावना 20 से 30 प्रतिशत बढ़ जाती है।
अटैक होने पर व्यक्ति के सीने में तेज दर्द होता है, शरीर में ऐंठन भी होने लगती है, तेजी से व्यक्ति को पसीना आता है, सीने में जलन या उल्टी भी हो सकती है। महिलाओं के मामले में जबड़ों में तेज दर्द होता है।

Doctor Kalam in Hindi

 

कार्डियक अरेस्ट होने पर क्या करें


सबसे पहले मरीज की धड़कन की जांच करें। यदि धड़कने चलना बंद हो गई हैं तो सीपीआर (कार्डियो पलमोनरी रेसिस्टेशन) शुरू करें। सीपीआर में छाती को दबाकर और तेजी से थपथपा कर तथा कृत्रिम श्वास द्वारा दिल को रिवाइव करने की कोशिश की जाती है। सीपीआर में ऑक्सीजनयुक्त रक्त का संचरण दिमाग और दिल तक करने में मदद मिलती है।

सीपीआर कैसे दें

यूं तो सीपीआर को ठीक से देना का प्रशिक्षण दिया जाता है, लेकिन इसे निम्न तरीके से भी दिया जा सकता है।

  • एक हाथ की हथेली को छाती के बीचों बीच रखें और दूसरी हथेली को पहली हथेली के ऊपर 90 डिग्री का कोण बनाते हुए रखें। ध्यान रखें हाथ सीधे रहें और कोहनियों से मुड़ें नहीं।
  • कम से कम 30 बार छाती को तेजी से दबाएं और जोर-जोर से गिनें।
  • सिर को नीचे झुकाकर और ठोढ़ी को ऊपर उठाकर वायु मार्ग की जांच करें।
  • अगर सांस नहीं आ रही हो तो दो बार कृत्रिम सांस भी दें।
  • मरीज को जल्द से जल्द चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराएं। चिकित्सा सहायता उपलब्ध होने तक इसे दोहराते रहें।



इसके लिए तत्काल इलाज की जरूरत होती है। अगर देश के अधिकांश लोगों को कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) से प्रशिक्षित किया जा सके तो हम हर दिन कई जानें बचा सकते हैं। इसके अलावा नियमित व्यायाम, स्वस्थ खान-पान व बेहतर जीवनशैली अपनाकर इस समस्या से बचा जा सकता है।

 


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