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भारतीय लोगों में क्यों बढ़ रहा है कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों का खतरा? जानें डॉक्टर की राय

खानपान से जुड़ी आदतों और बदलती जीवनशैली के कारण भारतीय लोगों में कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का खतरा ज्यादा है, जानें इसके कारण और बचाव।  
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भारतीय लोगों में क्यों बढ़ रहा है कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों का खतरा? जानें डॉक्टर की राय

हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर और स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्याएं अब देश में कम उम्र के लोगों में भी तेजी से देखी जा रही हैं। इनके पीछे लोगों के बदलते खानपान और जीवनशैली को प्रमुख कारण माना जा रहा है। एक आंकड़े के मुताबिक भारत में होने वाली कुल मौतों में से कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (दिल से जुड़ी गंभीर बीमारियां) भी प्रमुख स्थान पर है। मशहूर सिंगर केके (कृष्ण कुमार कुन्नथ) की मंगलवार को कोलकाता में लाइव शो के दौरान मौत हो गयी। बताया जा रहा है कि शो के बाद अचानक उनकी तबियत बिगड़ी और वे गिर गए जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल में डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। अभी तक यह माना जा रहा है कि सिंगर केके की मौत कार्डियक अरेस्ट की वजह से हुई है लेकी मौत के असली कारण का पता पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा। इससे कुछ महीने पहले मशहूर बॉलीवुड अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला की भी कार्डियक अरेस्ट के चलते मौत हो गयी थी। दिल से जुड़ी बीमारी के मामले अब कम उम्र में भी देखे जा रहे हैं। भारतीय लोगों में कुछ कारणों की वजह से कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ रहा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक आंकड़े के मुताबिक भारत में स्ट्रोक और हार्ट डिजीज से होने वाली कुल मौतें का पांचवां हिस्सा युवाओं का है। हर साल लगभग 30 लाख लोगों की मौत दुनियाभर में दिल से जुड़ी गंभीर बीमारियों के कारण होती है। जिसमें भारत के लोगों का भी अहम योगदान होता है। ज्यादातर लोग जिन्हें हार्ट स्ट्रोक और हार्ट अटैक जैसी गंभीर समस्याएं हो रही हैं उनमें से 40 प्रतिशत लोगों की उम्र 55 साल से कम की रहती है। डॉ तिलक सुवर्णा, सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट, बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स, मुंबई के मुताबिक भारत के युवाओं में पिछले कुछ सालों से कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का खतरा तेजी से बढ़ा है। पश्चिमी देशों की तुलना में भारत के लोगों में दिल से जुड़ी बीमारियों का जोखिम अधिक रहता है। आइये जानते हैं इसके बारे में।

भारतीय लोगों में दिल से जुड़ी बीमारियों के जोखिम (Cardiovascular Disease Risk In Indian's)

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(image source - freepik.com)

एक्सपर्ट्स के मुताबिक भारत में पिछले 26 सालों से दिल से जुड़ी बीमारियों का जोखिम 34 प्रतिशत बढ़ा है। जिसकी वजह से युवा लोगों में भी इन बीमारियों का जोखिम बढ़ रहा है। पहले हार्ट से जुड़ी बीमारियों को बुढ़ापे की बीमारी कहा जाता था लेकिन अब यह युवावस्था में भी लोगों को शिकार बना रही है जिसकी वजह से लोगों की मौत भी हो रही है।

भारतीय लोगों में कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का खतरा आनुवांशिक कारणों से भी ज्यादा होता है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि भारतीय मूल के लोग जो विदेशों में भी रहते हैं उनमें भी उस देश के लोगों की तुलना में हार्ट से जुड़ी बीमारियां ज्यादा होती हैं। इसके अलावा आधुनिक जीवनशैली की वजह से भी लोगों में कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का खतरा बढ़ रहा है। आज के समय में लोगों की गतिहीन जीवनशैली, व्यायाम की कमी, धूम्रपान और मोटापा आदि ऐसी समस्याओं को जन्म देता है। साथ ही दिल से जुड़ी बीमारियों के प्रति लोगों में जागरूकता की कमी इसके जोखिम को बढ़ा देती है। भारतीय लोगों में दिल से जुड़ी बीमारियों का जोखिम अधिक होने के पीछे कई कारण जिम्मेदार माने जाते हैं। आइये जानते हैं उनके बारे में।

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1. स्मोकिंग (Smoking)

एक आंकड़े के मुताबिक भारत में लगभग 34.6 प्रतिशत युवा आबादी स्मोकिंग करती है। भारत स्मोकिंग करने वाले लोगों में दुनिया में प्रमुख स्थान पर है। दुनियाभर के लगभग 12 प्रतिशत स्मोकर्स भारत में रहते हैं। स्मोकिंग और तंबाकू का सेवन दिल से जुड़ी बीमारियों का एक प्रमुख जोखिम कारक माना जाता है। 

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2. डायबिटीज (Diabetes)

डायबिटीज की बीमारी की वजह से दुनियाभर में लाखों लोगों को दिल से जुड़ी बीमारियां होती हैं। भारत में लोगों को कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का खतरा अधिक होने का कारण डायबिटीज भी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक आंकड़े के मुताबिक भारत में 18 साल से अधिक उम्र वाले 10 में से एक व्यक्ति को डायबिटीज की समस्या है। भारत में डायबिटीज के मामले 80 मिलियन से ज्यादा हैं। अधिक वजन और मोटापा, तंबाकू का सेवन और असंतुलित आहार का सेवन करने की वजह से लोगों में डायबिटीज का खतरा बढ़ रहा है।

3. मोटापा (Obesity)

भरात में मोटापे की समस्या से पीड़ित लोगों की संख्या दुनियाभर में अहम स्थान पर है। एक आंकड़े के मुताबिक भारत की शहरी आबादी को मोटापे की समस्या का खतरा सबसे ज्यादा है। शहरी आबादी में लोगों में लगभग 30-36 प्रतिशत लोगों में मोटापे या अधिक वजन की समस्या है। इसकी वजह से कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का खतरा बढ़ता है। 

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4. हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure)

भारत में 18 साल से अधिक उम्र के हर चार में से एक व्यक्ति को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है। हाई ब्लड प्रेशर की वजह से भारत में होने वाली कुल मौतों की संख्या सामान्य रूप से होने वाली मौतों की संख्या का 10.8 फीसदी है। खानपान और खराब जीवनशैली के कारण काफी लोगों में ब्लड प्रेशर से जुड़ी समस्या देखने को मिल रही है।

5. खानपान और लाइफस्टाइल से जुड़ी आदतें (Diet And Lifestyle Habits)

भारतीय लोगों की खानपान से जुड़ी आदतें और उनकी बदलती लाइफस्टाइल भी दिल से जुड़ी बीमारियों का प्रमुख कारण माना जा रहा है। पश्चिमी देशों की तुलना में भारत में लगभग आधी आबादी शाकाहारी है लेकिन इसके बावजूद लोगों में बढ़ती हार्ट डिजीज का कारण खानपान का पैटर्न और अधिक मात्रा में कार्ब्स का सेवन माना जाता है। भारतीय खानों में तेल और मसालों का इस्तेमाल भी दिल से जुड़ी बीमारियों को बढ़ाने का काम करता है।

हार्ट डिजीज से बचाव के टिप्स (Heart Disease Prevention Tips)

असंतुलित खानपान और बदलती जीवनशैली के कारण ज्यादातर भारतीय आबादी दिल से जुड़ी गंभीर बीमारियों का शिकार हो रही है। इससे बचाव के लिए आपको इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

  • तनाव और चिंता की समस्या बढ़ने पर एक्सपर्ट डॉक्टर से इलाज जरूर कराएं।
  • खानपान और लाइफस्टाइल में बदलाव करें।
  • अल्कोहल के सेवन से बचें।
  • स्मोकिंग की लत को छोड़ें।
  • जंक फूड्स या प्रोसेस्ड फूड का सेवन न करें।
  • चीनी और साल्ट के सेवन से भी परहेज रखें।
  • हार्ट के लिए फायदेमंद ताजे फल और सब्जियों का सेवन करें।
  • रोजाना एक्सरसाइज या योग जरूर करें।
  • सकारात्मक दृष्टिकोण (पॉजिटिव थिंकिंग) बनाए रखें, इससे स्ट्रेस को दूर करने में फायदा मिलेगा।
  • लक्षण दिखने पर लापरवाही न बरतें।
  • समय-समय पर हार्ट हेल्थ की जांच कराएं।

ऊपर बताये गए कारणों की वजह से भारतीय लोगों में हार्ट डिजीज का खतरा ज्यादा है। आपको दिल से जुड़ी बीमारियों से बचाव के लिए ऊपर बताई गयी बातों का ध्यान रखना चाहिए।

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