पल्मोनरी हाइपरटेंशन की समस्या कैसे होती है? फेफड़ों की धमनियों के वॉल्व के मोटा होने के कारण ब्लड फ्लो रुक जाता है और पल्मोनरी धमनियों पर दबाव पड़ता है जिससे पल्मोनरी हाइपरटेंशन की समस्या हो सकती है। पल्मोनरी हाइपरटेंशन होने से लंग्स में छोटी धमनियां जो ब्लड सप्लाई करती हैं वो ब्लॉक हो जाती है। इस स्थिति में हार्ट के लिए ब्लड फ्लो करना मुश्किल हो जाता है। इसके लिए हार्ट ज्यादा मेहनत करता है और उसकी मांसपेशी कमजोर हो जाती है जिसके कारण हार्ट फेलियर की समस्या हो सकती है। पल्मोनरी हाइपरटेंशन की समस्या बुजुर्गाें में ज्यादा होती है इसलिए आपको बढ़ती उम्र के साथ इस बीमारी का कारण और इलाज जरूर जान लें। omh की सीरीज 'focus of the month' के तहत हम आपको बताने जा रहे हैं बुजुर्गों में पल्मोनरी हाइपरटेंशन की समस्या को, इसका मकसद आपको बीमारी के बारे में जागरूक बनाना है। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने Asian Heart Institute, Mumbai के Senior Cardiologist, Dr Santosh Kumar Dora से बात की।
पल्मोनरी हाइपरटेंशन क्या होता है? (Pulmonary hypertension)
पल्मोनरी हाइपरटेंशन होने पर फेफड़े तक ब्लड सप्लाई करने वाली वैसल्स में बीपी बढ़ने लगता है जिससे दिल को ज्यादा काम करने के लिए प्रेशर बढ़ने लगता है और हार्ट चेंबर का दाहिना हिस्सा कमजोर होने लगता है। इस स्थिति में हार्ट के लिए फेफड़ों और शरीर के बाकि हिस्से तक ब्लड सप्लाई करना मुश्किल हो जाता है और हार्ट धीरे-धीरे कमजोर होने लगता है।
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पल्मोनरी हाइपरटेंशन से हार्ट हो सकता है बीमार
डॉ संतोष ने बताया कि पल्मोनरी हाइपरटेंशन की समस्या हार्ट के मरीजों को ज्यादा होती है। अगर आप हार्ट के मरीज हैं और आपको पल्मोनरी हाइपरटेंशन की बीमारी हुई तो हार्ट के ब्लड पंप करने की क्षमता कम हो जाती है और इसका बुरा असर फेफड़ों पर पड़ता है। हार्ट फेलियर के मरीजों में ये समस्या ज्यादा होती है। वहीं ऐसा नहीं है पल्मोनरी हाइपरटेंशन की समस्या केवल बुजुर्गों में होती है, ये समस्या 25 वर्ष व आसपास की उम्र के लोगों को भी हो सकती है। अगर लक्षणों की पहचान कर सही समय पर इलाज न किया जाए तो लंग ट्रांसप्लांट की जरूरत भी पड़ सकती है।
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पल्मोनरी हाइपरटेंशन की समस्या बुजुर्गों में ज्यादा क्यों होती है?
बुजुर्गों में पल्मोनरी हाइपरटेंशन की समस्या ज्यादा होती है, इसके कई कारण हो सकते हैं। पल्मोनरी हाइपरटेंशन की समस्या बुजुर्गों में इसलिए ज्यादा होती है क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और वीक इम्यूनिटी के कारण पल्मोनरी हाइपरटेंशन जैसी बीमारी बुजुर्गों में ज्यादा देखने को मिलती है। इसके अलावा बुजुर्गों में हाई बीपी की बीमारी ज्यादा होती है जिसका असर उनके फेफड़ों पर भी पड़ता है। वहीं कुछ एक्सपर्ट्स की मानें तो बुजुर्गों में डायबिटीज और हार्ट डिसीज के मरीज ज्यादा होते हैं जिसके कारण भी पल्मोनरी हाइपरटेंशन की समस्या हो सकती है। वहीं ऐसा माना जाता है कि कई बीमारियों से घिरे रहने के कारण भी बुजुर्गों में पल्मोनरी हाइपरटेंशन की समस्या ज्यादा होती है।
लंबे समय तक खांसी आना नजरअंदाज न करें
आपको लंबे समय तक खांसी की समस्या को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। ये पल्मोनरी हाइपरटेंशन की समस्या हो सकती है। बुजुर्गों को सर्दी-जुकाम होने पर खांसी की समस्या देर से ठीक होती है पर अगर आपको पल्मोनरी हाइपरटेंशन की समस्या है तो भी आपको लंबे वक्त तक खांसी हो सकती है और इसे नजरअंदाज न करें। खांसी के अलावा पल्मोनरी हाइपरटेंशन के अन्य लक्षणों की बात करें तो छाती में दबाव महसूस हो सकता है, सांस लेने में तकलीफ महसूस हो सकती है, पेट में सूजन की समस्या हो सकती है, हार्ट रेट में बदलाव महसूस हो सकता है। इन सभी लक्षणों को आप नजरअंदाज करने की गलती न करें।
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पल्मोनरी हाइपरटेंशन का इलाज (How to treat pulmonary hypertension)
- पल्मोनरी हाइपरटेंशन के इलाज के लिए डॉक्टर हार्ट और फेफड़ों की शारीरिक जांच करते हैं, अगर आपको हाइपरटेंशन के लक्षण नजर आ रहे हैं तो इलाज जरूर करवाएं, कई लोगों के मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर पल्मोनरी हाइपरटेंशन की समस्या हो सकती है।
- पल्मोनरी हाइपरटेंशन की समस्या को दूर करने के लिए डॉक्टर इकोकार्डियोग्राम, एक्स-रे आदि किया जाता है।
- पल्मोनरी हाइपरटेंशन के इलाज में डॉक्टर दवाएं भी देते हैं और कुछ मामलों में डॉक्टर थैरेपी लेने की सलाह भी देते हैं।
- पल्मोनरी हाइपरटेंशन में लाइफस्टाइल का बड़ा रोल है, बढ़ती उम्र में भी आपको अपनी डाइट और एक्सरसाइज को रूटीन में शामिल करना है और हेल्दी लाइफस्टाइल की जीना है।
अगर आप थोड़ी भी लापरवाही बरतेंगे तो पल्मोनरी हाइपरटेंशन की समस्या बढ़ सकती है इसलिए समय रहते इलाज करवाएं ताकि लक्षण बढ़ने से पहले ही आप सही उपचार दे सकें।